छत्तीसगढ़ की हार पर टीएस सिंहदेव बोले-भाजपा के आरोपों का कांग्रेस नहीं दे सकी जवाब

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नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को मिली करारी शिकस्त के बाद चुनावी अभियान में कहां कमियां रह गई, इस पर विचार-विमर्श चल रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता टीएस सिंह देव ने कांग्रेस की हार का कारण भाजपा की अपेक्षा कमजोर रणनीति को बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार और संगठन में बेहतर तालमेल का अभाव रहा। भ्रष्टाचार और आदिवासियों की नाराजगी भी कांग्रेस की हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव ने कहा कि चुनावी मैदान में हम रणनीतिक स्तर पर भाजपा की बराबरी नहीं कर सके। क्योंकि केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने राज्य में उन मुद्दों को उठाया, जो जनता की भावनाओं को छूते थे। भाजपा ने पीएससी (परीक्षा पेपर लीक) मुद्दा उठाया,  यह भ्रष्टाचार का मुद्दा था, वे बहुत सक्रिय और व्यवस्थित रूप से इसको जनता के बीच ले गए, सबसे बड़ी बात यह है कि इस मामले में कोई सबूत नहीं था…सिर्फ आरोप थे…फिर भी वे किसी तरह लोगों को समझाने में सफल रहे।

भाजपा राज्य सरकार की कमियों को समझाने में सफल रही, कांग्रेस अपनी उपलब्धियों को जनता तक नहीं ले जा पायी। चुनाव के पहले उन्होंने परिस्थितियों को समझा और उसके अनुसार रणनीति बनाई। कांग्रेस सरकार ने कुछ अच्छे काम किए थे, लेकिन उनके प्रचार के समाने हम टिक नहीं सके।

सिंहदेव ने कहा कि बीजेपी ने पीएससी घोटाले को आधार बनाते हुए सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। बीजेपी ने इसे मुद्दा बना लिया कि वाकई कुछ गलत हुआ। हम उनके दुष्प्रचार का मुकाबला नही कर सके।

टीएस सिंह देव ने कहा कि आदिवासी बेल्ट में अलग मुद्दे थे- बस्तर में अलग मुद्दे, सरगुजा में अलग मुद्दे। मुझे लगता है कि हम आदिवासी सामाजिक संगठनों, जो कि सर्व आदिवासी समाज है, का समर्थन बरकरार नहीं रख पाए…उन्हें लगा कि शायद हम उनके आंतरिक मामलों, उनके संबंधों आदि में हस्तक्षेप कर रहे हैं और यह नहीं रुका। आख़िरकार, उन्होंने एक राजनीतिक दल बनाया और चुनाव लड़ा। इसलिए हमें यह देखने की जरूरत है कि वास्तव में क्या हुआ।

उन्होंने कहा कि लोगों के एक वर्ग में असंतोष था, यह सच है। बस्तर में आदिवासी ईसाई समुदाय के बीच काफी असंतोष था। आरएसएस, भाजपा संगठन उन्हें (कुछ स्थानों पर) दफनाने से रोक रहे थे…और  आदिवासियों को लगा कि सरकार उनके साथ खड़ी नहीं है। सरकार उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा  सुनिश्चित नहीं कर सकी। 

छत्तीसगढ़ में प्रदेश इकाई के साथ ही केंद्रीय नेतृत्व को यह भरोसा था कि राज्य में कांग्रेस सीएम भूपेश बघेल के नेतृत्व में अच्छा प्रदर्शन करेगी। लेकिन सबके विश्वास पर पानी फिर गया। इस चुनावी हार में सबसे ज्यादा नुकसान पूर्व उप-मुख्यमंत्री एवं सरगुजा राजपरिवार के सदस्य टीएस सिंह देव को चुकानी पड़ी है। वह अंबिकापुर की अपनी परंपरागत सीट 94 वोटों के अंतर से हार गए।

राजस्थान की तरह छत्तीसगढ़ में भी बघेल और सिंहदेव में सत्ता को लेकर संघर्ष था। लेकिन सिंहदेव धैर्य के साथ पांच वर्षों तक इंतजार करते रहे। सिंहदेव ने कई बार इशारों में सत्ता परिवर्तन की मांग की थी, लेकिन बात नहीं बनी।   

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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