गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर किसान कानून के खिलाफ बिहार भर में निकाला गया मशाल जुलूस, भाकपा-माले ने किया था आह्वान

पटना। तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी को कानूनी दर्जा देने की मांग पर आज पूरे बिहार में मशाल जुलूस का आयोजन किया गया। भाकपा-माले ने इसका राज्यव्यापी आह्वान किया था। पटना में शाम पांच बजे जीपीओ गोलंबर से लेकर बुद्धा स्मृति पार्क तक कैंडल मार्च का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के आयोजन में माले, अखिल भारतीय किसान महासभा, आइसा, इनौस के लोग शामिल थे।

बुद्धा स्मृति पार्क में सैकड़ों लोगों की सभा को संबोधित करते हुए माले नेता धीरेंद्र झा ने कहा कि देश में चल रहे किसान आंदोलन ने आजादी के आंदोलन के दौर के जागरण जैसी स्थिति पैदा की है। आज पूरा देश मोदी सरकार की विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ एकजुट हो रहा है। देश की जनता किसान आंदोलन के पक्ष में मजबूती से खड़ी है और वह कह रही है कि इस देश में दूसरा कंपनी राज हम किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे। देश के संविधान और लोकतंत्र पर लगातार हो रहे हमले के खिलाफ उन्होंने देश की जनता से गणतंत्र की अपनी दावेदारी को फिर से बुलंद करने का आह्वान किया है।

अन्य वक्ताओं ने कहा कि तीनों कृषि कानून न केवल किसान विरोधी हैं, बल्कि पूरे देश के खिलाफ हैं। आज देश में आजादी की दूसरी लड़ाई आरंभ हो चुकी है। देश की जनता का यह नवजागरण है। इसमें कॉरपोरेटपरस्त मोदी सरकार को जाना होगा। हम मांग करते हैं कि तीनों किसान विरोधी कानूनों को तत्काल रद्द किया जाए, एमएसपी को कानूनी मान्यता प्रदान की जाए। वक्ताओं ने 30 जनवरी को महागठबंधन के आह्वान पर आयोजित मानव शृंखला को ऐतिहासिक बनाकर तानाशाह मोदी सरकार को सबक सिखाने का आह्वान किया है।

वक्ताओं ने कहा कि अब बिहार में भी किसान जागरण हो रहा है। 29 दिसंबर के ऐतिहासिक राजभवन मार्च के बाद अब 30 जनवरी की मानव श्रृंखला में भी किसानों सहित नागरिकों, खेतिहर मजदूरों और अन्य तबकों की ऐतिहासिक भागीदारी होने वाली है। कल गणतंत्र दिवस के अवसर पर बिहार के ग्रामीण इलाकों में ट्रैक्टर मार्च का आयोजन होगा। पटना में एम्स से लेकर चितकोहरा तक ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा।

राजधानी पटना के अलावा अन्य जिलों में भी मशाल जुलूस निकाला गया और तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की गई।

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