Monday, March 20, 2023

अब केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा के गोद लिए गांव में बीजेपी नेताओं की नो एंट्री

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चरण सिंह

नई दिल्ली। गांव का नाम है कचैड़ा वारसाबाद। गौतमबुद्ध नगर जिले के इस गांव में बीजेपी नेताओं के प्रवेश पर पाबंदी लग गयी है। गांव के बाहर बाकायदा उनके नो एंट्री का बोर्ड लगा दिया गया है। ये बीमारी अभी तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अमरोहा और बिजनौर तक ही सीमित थी। लेकिन इसने अपना पांव पसारना शुरू कर दिया है और फैलते-फैलते ये दिल्ली की नांक के नीचे तक पहुंच गयी है। खास बात ये है कि बादलपुर थाना क्षेत्र के तहत आने वाले इस गांव को केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने गोद लिया हुआ है।

गांव के बाहर लगे बोर्ड पर लिखा गया है कि महेश शर्मा द्वारा गोद लिए गए इस गांव में भाजपा वालों का आना सख्त मना है। ग्रामीणों का यह आक्रामक रुख गांव की जमीन को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों पर किये गए लाठीचार्च का नतीजा बताया जा रहा है। उनका कहना है कि ये पहल किसानों को जेल भेजने और उनकी मांगें माने बिना हाई सिटी बिल्डर को जमीनों पर जबरन कब्जा दिलाने के विरोध में है। ग्रामीणों का कहना है कि किसानों की हितैषी होने का दावा करने वाली सरकार किसानों पर लाठियां बरसा रही है और किसानों को ठग रहे बिल्डर को संरक्षण दे रही है। 

किसानों का आरोप है कि पिछले दिनों हाईटेक सिटी बिल्डर, दादरी के एसडीएम और सीओ भारी पुलिस फोर्स के साथ कचेड़ा गांव पहुंचे और किसानों के खेतों पर जबरन कब्जा करने लगे। इस पूरी कार्रवाई के दौरान जेसीबी मशीनों से किसानों की खड़ी फसल को बर्बाद कर दिया गया। किसानों ने प्रशासन की इस कार्रवाई का विरोध किया तो उन पर लाठीचार्ज किया गया और फिर काफी संख्या में किसानों को जेल भेज दिया गया।

आंदोलन में शामिल जय-जवान जय किसान आंदोलन के नेता सुनील फौजी पर पुलिस ने बर्बर लाठीचार्ज किया। आंदोलन में  किसान सभा और किसान अधिकार आंदोलन के सभी घटक शामिल हैं। किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएंगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने ऐलानिया तरीके से कहा कि किसानों के हो रहे दमन और उत्पीड़न का जोरदार तरीके से विरोध किया जाएगा। भाजपा और पुलिस प्रशासन के पूंजीपतियों के साथ चल रहे गठजोड़ का पर्दाफाश किया जायेगा।

गैरकानूनी रूप से जमीन पर किये गए कब्जे को बिल्डर से मुक्त कराया जाएगा। आंदोलन के समर्थन में मनोज मास्टर, पवन दुजाना, मौजी राम मास्टर के अलावा कई प्रदर्शनकारियों ने गिरफ्तारी दी है।  किसानों का आरोप है  कि बिल्डर किसानों के साथ किए गए समझौते का उल्लंघन कर रहा है। जबकि पुलिस प्रशासन बिल्डर की नाजायज व गैर कानूनी कार्रवाई में मदद कर रहा है। बताया जा रहा है कि जमीन पर कब्ज़ा करते समय किसानों ने एसडीएम को हाईकोर्ट में चल रहे मुकदमे के कागजात दिखाए पर उन्होंने उनकी एक न सुनी।

कचैड़ा गांव के प्रधान तेज सिंह ने बताया कि ‘2013 में बिल्डर ने एक समझौता किया था, जिसमें किसानों को 10% आबादी प्लाट, गांव का विकास और भूमिहीन लोगों को 70-70 गज का प्लॉट देने पर सहमति बनी थी। उनका कहना है कि यह समझौता लिखित में किया गया था, जो उनके पास है। इस समझौते में प्रशासन के लोग भी शामिल थे। उनका आरोप है कि समझौते को लागू करने के बजाय उनकी जमीन पर जबरन कब्जा किया जा रहा है’। गांव के पूर्व प्रधान सुशील ने बताया कि बिल्डर के साथ 2010-2013 में जो समझौते हुए थे, उनका पालन नहीं किया जा रहा है। कचेड़ा गांव के भूमेश का कहना है कि प्रशासन बिल्डर के इशारे पर किसानों का दमन कर रहा है।

आपको बता दें कि 2 अक्टूबर को भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले राजघाट जा रहे किसानों पर हुए लाठीचार्च के विरोध में अमरोहा के रसूलपुर माफी और बिजनौर के कई गांवों में इसी तरह से बोर्ड लगाकर भाजपा नेताओं के घुसने पर प्रतिबंध की घोषणा की गयी थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों ने सत्तारूढ़ नेताओं का विरोध करने का यह अनोखा तरीका अपनाया है।

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