विवादित स्थल हिंदुओं को दिया जाए और मुस्लिमों के लिए सरकार वैकल्पिक व्यवस्था करे: सुप्रीम कोर्ट

Estimated read time 0 min read

नई दिल्ली। अयोध्या पर फैसला आ गया है। जमीन को सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं के हवाले कर दिया है और मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए सरकार को वैकल्पिक व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। इसके लिए कोर्ट ने सरकार को तीन महीने का समय दिया है। प्लाट का क्षेत्रफल 5 एकड़ होगा। और वक्फ बोर्ड को यह जमीन केंद्र या फिर राज्य सरकार अयोध्या के भीतर मुहैया कराएगी। इसके साथ ही राम मंदिर बनाने के लिए कोर्ट ने एक ट्रस्ट बनाने का निर्देश दिया है। हालांकि साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि राम लला का अधिकार वहां शांति और व्यवस्था बनाए रखने की शर्त पर आधारित है। इसके साथ ही उसने सरकार को शांति व्यवस्था बनाए रखने का निर्देश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या पर 10.30 बजे फैसला सुनाना शुरू कर दिया था। यह फैसला पांचों जजों की बेंच ने सर्वसहमति से लिया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कोर्ट को निश्चित तौर पर पूजा करने वालों की आस्था और विश्वास को स्वीकार करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि एएसआई के दावे को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है। बाबरी मस्जिद को बाबर के निर्देश पर मीर बाकी ने बनवाया था। इसका मतलब है कि बाबरी मस्जिद खाली स्थान पर नहीं बनायी गयी थी। उस विवादित ढांचे के भीतर कोई ढांचा था। और वह ढांचा इस्लामिक नहीं था। लेकिन एएसआई इस बात की पुष्टि नहीं करती है कि वहां किसी मंदिर को ध्वस्त किया गया था।

कोर्ट ने कहा कि राम अयोध्या में पैदा हुए थे इसको लेकर हिंदुओं की आस्था और विश्वास पर कोई विवाद नहीं है। विवादित स्थल का उपयोग दोनों धर्मों के लोगों द्वारा पूजा के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। गवाहों से पूछताछ में यह बात सामने आयी है कि ऐसा नहीं है कि हिंदुओं की आस्था का कोई मतलब नहीं है। इस बात में कोई विवाद नहीं है कि यह नोजुल की जमीन है। मस्जिद खत्म नहीं हुई थी। और केवल मस्जिद में नमाज न होने का मतलब यह नहीं है कि उससे मुस्लिमों का दावा खत्म हो जाता है।

मुस्लिम संबंधित स्थल के भीतर पूजा करते थे जबकि हिंदू बाहर करते थे। जमीन का मालिकाना आस्था और विश्वास के आधार पर नहीं तय किया जा सकता है बल्कि यह कानून के आधार पर होगा। 1992 में बाबरी मस्जिद का विध्वंस कानून का उल्लंघन था। पांच जजों की संविधान पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल थे।

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author