मनी, माफिया और राजनीति के गठजोड़ के मूर्त रूप हैं, बृजभूषण शरण सिंह 

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नई दिल्ली। अयोध्या से आगे बढ़ते ही सरयू नदी के साथ सड़क राजमार्ग में आपको जगह-जगह पर यदि कोई एक चेहरा तमाम पोस्टरों और होर्डिंग्स में नजर आता है तो वह है बृजभूषण शरण सिंह का। सड़क के दोनों तरफ बने कॉलेजों के बाहर या पोस्टर, बैनरों में अयोध्या में प्रस्तावित महापंचायत की घोषणा नजर आएगी। आज वह चेहरा एक जाना-पहचाना नाम बन चुका है, जो भारतीय विश्व कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह हैं, जिनके खिलाफ भारत की कुछ चोटी की महिला पहलवान खिलाड़ियों ने यौन शोषण के आरोप लगाये हैं और उन्हें कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद से बर्खास्त करने एवं गिरफ्तारी की मांग को लेकर एक महीने से भी अधिक समय तक दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे थे। 

गोंडा जिले का नवाबगंज वह क्षेत्र हैं जहां पर बृजभूषण की तूती बोलती है, और उनका दबदबा पूरे इलाके में नजर आता है। यहां के समूचे परिदृश्य में तमाम स्कूल-कॉलेजों की स्थापना और युवाओं एवं किसानों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न योजनाओं के साथ उनका प्रभुत्व साफ नजर आता है। इस बोलबाले के चलते यहां पर रहने वाले और काम करने वाले लोगों की सिंह के प्रति अटूट निष्ठा बनी हुई है। आमतौर पर यहां पर लोग बृजभूषण के बारे में बोलने से बचते हैं और उसमें भी बहुत कम हैं जो हाल के दिनों में राष्ट्रीय सुर्ख़ियों में उनके नाम के पीछे चल रहे विवादास्पद मुद्दे पर कुछ ही बोलने के लिए आगे आते हैं।

अयोध्या से गोंडा के रास्ते में चार जिले, गोंडा, बलरामपुर, बहराइच और श्रावस्ती स्थित हैं, और इन जिलों में बृजभूषण के 54 शैक्षणिक संस्थान चल रहे हैं, जिनमें करीब 3,500 अध्यापक कार्यरत हैं और 80,000 छात्र दर्ज हैं। लेकिन नवाबगंज, जो कि गोंडा से 45 किमी की दूरी पर है और बृजभूषण सिंह का मुख्यालय है, की तो महिमा ही अपरम्पार है। यहां पर कॉलेजों के अलावा, सिंह का एक होटल, एक शूटिंग रेंज और एक राष्ट्रीय कुश्ती एकेडमी भी हैं। एक ऐसा क्षेत्र जहां पर रोजगार के अवसर बेहद सीमित हों, वहां पर युवाओं के लिए “टैलेंट हंट”, “प्रगतिशील किसानों” के लिए किसान सम्मान के तौर पर बछिया देने, और खेल मेलों के माध्यम से ईनाम पाने को लेकर जो उत्साह उत्पन्न होता है, वह बृज भूषण सिंह को इस क्षेत्र के मसीहा वाला आभामंडल प्रदान करता है।      

गोंडा कालेज और स्कूलों में वार्षिक तौर पर जिस एक समारोह का बेसब्री से इंतजार रहता है वह है जिला-स्तरीय “टैलेंट हंट” का, जिसे हर साल ओएमआर टेस्ट पेपर के तौर पर जिले और इसके बाहर के संस्थानों में व्यापक पैमाने पर वितरण किया जाता है। आमतौर पर इसके विजेता को ईनाम के तौर पर मोटरसाइकिल या स्कूटी दी जाती है, जबकि दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर आने वाले प्रतिभागी को 22,000 रूपये से लेकर 2,000 रूपये तक का नकद ईनाम दिया जाता है। 

जिले के एक पुराने भाजपा नेता ने बताया, “हम पिछले दो दशक से बृजभूषण के साम्राज्य के विस्तार को देख रहे हैं। इसकी शुरुआत 1990 में नवाबगंज में नंदिनी नगर कॉलेज की स्थापना से हुई, जिसमें आधिकारिक रूप से 1995 में अपना कामकाज शुरू हो गया था। इसके बाद तो जो सिलसिला शुरू हुआ, वह आगे ही बढ़ता चला गया। जल्द ही सिंह ने कई अन्य व्यवसाय यहां पर खोलने शुरू कर दिये, जिनमें स्कूलों की श्रृंखला, कॉलेज और गोंडा होटल सहित अस्पताल थे।” उन्होंने आगे बताया कि अयोध्या के साकेत कालेज में छात्र संघ के नेता के तौर पर सिंह की युवाओं के बीच में पैठ थी, जिसके चलते वे 80 के दशक में मंदिर आंदोलन के नेताओं के करीब आ गये थे। उन्होंने कहा, “आज जो संस्थान चल रहे हैं वे सिंह को युवाओं और लोगों के उपर पूर्ण नियंत्रण प्रदान करने में सहायक सिद्ध होते हैं, क्योंकि यहां पर जो भी अर्थव्यवस्था चल रही है वह वस्तुतः उनके द्वारा खड़े किये गये विभिन्न व्यवसायों की बदौलत है।”

नंदिनी नगर कालेज 

अयोध्या के राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से संबद्ध नंदिनी नगर कॉलेज 6 एकड़ में फैला हुआ है। बड़े-बड़े खेल के मैदान और बैडमिंटन कोर्ट के साथ इस कॉलेज में जिस प्रकार की सुविधायें मुहैय्या की गई हैं, उसका दावा तो अवध विश्विद्यालय भी नहीं कर सकता जिससे यह कॉलेज सम्बद्ध है। कॉलेज में 5 मेट वाला आधुनिकतम  ‘राष्ट्रीय कुश्ती एकेडमी” है। इसके साथ ही स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया की दो मेट की एकेडमी भी है और साथ ही एक विशाल मिट्टी वाला अखाड़ा भी मौजूद है। इतना ही नहीं एक दर्शक दीर्घा का भी निर्माण किया गया है, जिसमें हाल ही में ओपन सीनियर नेशनल रैंकिंग रेस्लिंग टूर्नामेंट का आयोजन हुआ था। लेकिन सबसे बेजोड़ 5-मेट एकेडमी है जिसकी दर्शक दीर्घा पूरी तरह से वातानुकूलित है, जहां से खेलों का लुत्फ़ उठाया जा सकता है, और इस पर गर्व किया जाता है। 

इतना ही नहीं, इस एकेडमी में एक विदेशी कोच एलेग्जेंडर शोरेंको भी अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं, जिन्हें यहां पर विदेशी कोच के नाम से जाना जाता है। शोरेंको के पास हिंदी की जानकारी न के बराबर है और वे टूटी-फूटी अंग्रेजी से अपना काम चला रहे हैं, जिससे पता चला कि रेसलिंग फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के द्वारा उनकी नियुक्ति हुई है, और कांट्रेक्ट के तहत उन्हें प्रतिमाह 2,000 डॉलर मिलते हैं, जो सितंबर में खत्म होने जा रहा है। एक अन्य कोच प्रेम चंद यादव ने बताया कि दोनों एकेडमी में कुल मिलाकर 100 छात्र और 5 कोच हैं, जिनमें शोरेंको के अलावा एक तदर्थ कोच, एक खेलो इंडिया द्वारा नियुक्त और दो कोच कॉलेज के द्वारा निजी आधार पर नियुक्त किये गये हैं। 

कोच यादव और पीटी टीचर नवीन सिंह ने अपनी बातचीत में बताया कि कैसे इस विवाद से पहले तक बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक सहित कई अन्य चोटी के पहलवान खिलाड़ी अक्सर कॉलेज का दौरा करते थे, और अक्सर अन्य खिलाड़ियों की तरह परिसर के भीतर ही रहकर ट्रेनिंग लिया करते थे। रेसलिंग एकेडमी से कुछ मीटर की दूरी पर हाल ही में संपन्न किसान समारोह की होर्डिंग लगी हुई है, जिसमें बृजभूषण सिंह और उनकी पुत्रवधू की तस्वीर नजर आती है। इसके पास ही स्विमिंग पूल है, जिसे 2018 में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उद्घाटन किया था। गर्मी की छुट्टी के करण कॉलेज फ़िलहाल बंद है, और कुछेक छात्र ही परिसर में नजर आ रहे हैं।    

बीसीए के द्वितीय सत्र की छात्रा ख़ुशी सिंह जो कॉलेज गेट से बाहर निकली है, मूलतः बिहार की हैं बातचीत के लिए रूकती हैं, लेकिन जैसे ही दिल्ली में हो रहे महिला पहलवानों के विरोध प्रदर्शन का जिक्र आता है, खुद को सिकोड़कर कहती हैं, “हमने इस बारे में सुना है लेकिन इस बारे में हमारे बीच में कोई बात नहीं होती है। मैं पिछले एक वर्ष से इस कॉलेज में हूं लेकिन मैंने कभी भी इस प्रकार की घटना के बारे में नहीं सुना है।” इसी तरह एक पेड़ की छांव में अपनी दोस्त का इंतजार कर रही अंकिता पांडे मिलती हैं, जो बी.ए प्रथम वर्ष की छात्रा हैं और पास के इलाके में रहती हैं, ने कहा कि उसने सिंह से जुड़े विवाद के बारे में सुन रखा है। वे कहती हैं, “हम कॉलेज में इस बारे में बात नहीं करते हैं। हम अपनी पढ़ाई पर ध्यान देते हैं। लेकिन मेरे माता-पिता जब इस तरह की खबर सुनते हैं तो उन्हें चिंता होती है, इसलिए भी क्योंकि मैं पैदल कॉलेज आती-जाती हूं। इसीलिए उन्होंने अब मुझे एक मोबाइल दे दिया है।”

नवाबगंज में सिंह का साम्राज्य

इसके अलावा नवाबगंज में बृजभूषण सिंह के व्यवसायों की एक लंबी सूची है। इनमें नंदिनी नगर लॉ कालेज, नंदिनी एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, नंदिनी नगर पीजी कॉलेज, नंदिनी नगर पीजी कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी, नंदिनी नगर टेक्निकल कैंपस फॉर इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट, विमेंस एजुकेशनल ट्रेनिंग कालेज के साथ-साथ 100 बेड का गोनार्ड हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर, गोनार्ड कालेज ऑफ़ नर्सिंग एंड फार्मेडिकल साइंस, चंद्र भान सिंह इंटर कालेज और विपिन बिहारी बालिका माध्यमिक स्कूल हैं। ये सभी संस्थान या तो बृजभूषण सिंह द्वारा स्थापित किये गये हैं, या उनके और उनके परिवार के द्वारा चलाए जा रहे हैं। 

पड़ोसी जिले बलरामपुर में सिंह परिवार के द्वारा कम से कम 7 स्कूल-कॉलेज चलाये जा रहे हैं। इसी तरह बहराइच में 8 और श्रावस्ती जिले में 3 संस्थान के मालिकान बृजभूषण सिंह का परिवार है। नंदिनी नगर कॉलेज से कुछ किमी की दूरी पर बृजभूषण का पैतृक गांव विश्नोहरपुर है। गांव की ओर जाती सड़क के दोनों ओर अभी भी 5 जून की अयोध्या रैली के पोस्टर चस्पा हैं। यहां सिंह का दुमंजिला आवास कई एकड़ में फैला है, जिसमें माली द्वारा कंटाई-छंटाई कर बाग़-बगीचे को सजाया गया है। साथ ही एक आधुनिकतम सुविधा से युक्त जिम, विशाल पार्किंग एरिया जिसमें छह एसयूवी वाहनों की फ्लीट ही नहीं बल्कि पिछले हिस्से में रोबिन्सन R-66 टरबाइन हेलिकॉप्टर मौजूद है। केयरटेकर से पता चलता है कि दो-तीन दिन में एक बार हेलिकॉप्टर उड़ान भरता है।

घर से ठीक बाहर एक अस्तबल और 70 गायों का शेड बना है। अस्तबल के केयरटेकर ने बताया कि सिंह अक्सर दो घोड़ों में से किसी एक की सवारी करते हैं। वे कहते हैं, “घोड़े मालिक से काफी जुड़ाव रखते हैं। वे उन्हें पहचानते हैं और उनकी गाड़ी की आवाज से ही वे समझ जाते हैं।” इस घर से करीब 45 किमी की दूरी पर गोंडा के परसपुर में स्थित महाकवि तुलसीदास पीजी कॉलेज भी बृजभूषण सिंह के संस्थानों में से एक है।      

बृजभूषण सिंह उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल की राजनीति में दबदबा रखते हैं। इसमें उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि और उनके गोंडा से अध्योध्या तक फैले साम्राज्य की अहम भूमिका है। यूपी की कैसरगंज लोकसभा से वर्तमान में वह सांसद हैं और 6 बार लोकसभा सांसद निर्वाचित हो चुके हैं। वे न केवल चुनाव जीतते हैं, बल्कि अगल-बगल की सीटों पर चुनाव जीतने की भी क्षमता रखते हैं। अब तो वे ठाकुरों के नेता के रूप में खुद को स्थापित कर चुके हैं। कुश्ती संघ के अध्यक्ष के रूप में वे पूरे देश की राजनीति में दखल रखते हैं। भाजपा ने विभिन्न प्रदेशों में जोड़तोड़ में कई बार उनका इस्तेमाल किया है। अभी हाल में उनका इस्तेमाल गोवा में भी किया गया।

भाजपा ने जब 1991 में बृजभूषण शरण सिंह को लोकसभा का टिकट दिया, तब इनके खिलाफ 34 आपराधिक मामले दर्ज थे। वह बड़े अंतर से चुनाव जीते थे। वह बड़े अंतर से चुनाव जीते थे। बृजभूषण शरण सिंह को लेकर सबसे बड़ा विवाद तब हुआ था, जब उन पर अंडरवर्ल्ड के साथ जुड़ाव के आरोप लगे। वर्ष 1996 में जब बृजभूषण टाडा के तहत तिहाड़ जेल में सजा काट रहे थे, तब उनकी पत्नी केतकी सिंह ने गोंडा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और कांग्रेस के आनंद सिंह को 80,000 वोटों से हराया। बाद में CBI ने इन सभी आरोपों से बृजभूषण को बरी कर दिया था।2009 में बृजभूषण ने भाजपा छोड़ सपा का दामन थाम लिया और एक बार फिर अपनी सीट से जीत दर्ज की। हालांकि 2014 में वो एक फिर भाजपा में शामिल हो गए और कैसरगंज से सांसद बने। इसके बाद वह लगातार जीत दर्ज करते आ रहे हैं। बृजभूषण शरण सिंह 2011 से कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष हैं, 2019 में वह तीसरी बार अध्यक्ष चुने गए। इससे कुश्ती संघ में उनकी ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है।

बृजभूषण सिंह एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके पास बाहुबल है, अकूत संपत्ति है, विभिन्न संस्थानों का एक साम्राज्य है। राजनीति में गहरी दखल है। गोंडा से अयोध्या के बीच में चुनाव जीतने और हराने की एक हद तक क्षमता रखते हैं। उनका एक बड़ा आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक नेटवर्क है। उनकी जाति का भी नेटवर्क है। आज की राजनीति, विशेषकर भाजपा की राजनीति के लिए वे बहुत ही सुटेबल हैं। अब तो वे अपनी जाति के भी नायक बन चुके हैं। वे पूर्वांचल में भाजपा की राजनीति के खेल को बनाने और बिगाड़ने की क्षमता रखते हैं। यही कारण है कि आरएसएस-भाजपा यहां तक कि नरेंद्र मोदी भी उनके ऊपर हाथ डालने बच रहे हैं। 

( द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट पर आधारित साभार। प्रस्तुति रविंद्र पटवाल)

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