नई दिल्ली/ बेंगलुरु। ‘जीत के हजार बाप होते हैं और हार अनाथ होती है’-इस कहावत को कई दिनों तक कर्नाटक कांग्रेस के नेताओं ने चरितार्थ किया। जीत का श्रेय लेने और कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद पर दावा करने वालों के बीच बात इतनी आगे बढ़ गई कि कांग्रेस आलाकमान कई दिनों तक कई दौर की बैठक के बाद भी नेतृत्व का मसला हर नहीं कर सका। आखिर कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम आने के पांच दिनों बाद मुख्यमंत्री का मामला हल कर लिया है। सूत्रों के मुताबिक कर्नाटक में सरकार गठन में गतिरोध समाप्त हो गया है। कांग्रेस ने सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री और डीके शिवकुमार को उप मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया है। कांग्रेस के शीर्ष सूत्रों ने कहा कि शपथ ग्रहण समारोह शनिवार 20 मई को दोपहर 12.30 बजे होने की संभावना है।
सूत्रों का दावा है कि डीके शिवकुमार को मनाने में कांग्रेस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। कहा जा रहा है कि शिवकुमार को अहम मंत्रालय तो दिए ही जायेंगे, साथ ही प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी से भी नहीं हटाया जायेगा। लेकिन कांग्रेस ने अभी आधिकारिक तौर पर मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा नहीं की है।
कर्नाटक में कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के चयन को लेकर बुधवार को कई दौर की बातचीत हुई। दोनों उम्मीदवार सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के समक्ष अपना तर्क पेश किया। कांग्रेस ने गुरुवार को कर्नाटक सरकार के गठन पर गतिरोध को समाप्त कर दिया।
इससे पहले दिन में, सिद्धारमैया और शिवकुमार, दोनों शीर्ष पद के दावेदारों ने बुधवार को पार्टी नेता राहुल गांधी के साथ अलग-अलग बैठकें कीं। शिवकुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ भी लंच किया। बैठकों के बाद, कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शिवकुमार अपने समर्थक विधायकों और करीबी नेताओं के साथ अपने भाई और लोकसभा सदस्य डीके सुरेश के आवास पर गए।
यहां तक कि केंद्रीय नेतृत्व ने सिद्धारमैया, शिवकुमार और राज्य के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ विचार-विमर्श किया, पार्टी की कर्नाटक महिला शाखा की अध्यक्ष पुष्पा अमरनाथ ने मीडिया को बताया कि मुख्यमंत्री पद के लिए सिद्धारमैया के नाम को मंजूरी दे दी गई है। अमरनाथ को सिद्धारमैया का वफादार माना जाता है।
बेंगलुरू में सिद्धारमैया के आवास के बाहर जश्न शुरू होने और शिवकुमार के समर्थकों ने सोनिया के 10 जनपथ स्थित आवास के बाहर नारेबाजी की, कांग्रेस ने एक बयान में स्पष्ट किया कि विचार-विमर्श अभी भी जारी है।
कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, “अगले 48 से 72 घंटों के भीतर, हमारे पास कर्नाटक में एक नया मंत्रिमंडल होगा, और पहली कैबिनेट बैठक में, हम कांग्रेस की पांच गारंटी को लागू करेंगे और एक भव्य कर्नाटक के निर्माण का काम शुरू करेंगे।”
कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी के शानदार प्रदर्शन के पीछे प्रमुख कारणों में से एक राज्य भर के ग्रामीण और पिछड़े जिलों में मिला समर्थन है, जहां इसके प्रतिद्वंद्वियों, भाजपा और जद (एस) ने काफी जमीन खो दी।
कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी के शानदार प्रदर्शन के पीछे प्रमुख कारणों में से एक राज्य भर के ग्रामीण और पिछड़े जिलों में इसका महत्वपूर्ण लाभ है, जहां इसके प्रतिद्वंद्वियों, भाजपा और जद (एस) ने काफी जमीन खो दी।
चुनाव परिणामों के विश्लेषण से पता चलता है कि कांग्रेस ने रायचूर और यादगीर की अधिकांश विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की, जिसमें कुल 11 सीटें हैं। इनमें से कांग्रेस को सात और बीजेपी और जेडी(एस) को दो-दो सीटों पर जीत मिली है। 2018 के विधानसभा चुनावों में, कांग्रेस को दो जिलों में सिर्फ चार सीटें मिली थीं, जिसमें भाजपा और जद (एस) ने क्रमशः चार और तीन सीटें जीती थीं।
कांग्रेस अभियान ने पार्टी को लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और संवैधानिकता को मानने वाले के रूप में स्थापित किया और राजनीतिक बहिष्कार, अधिनायकवाद, सत्ता के केंद्रीकरण, राज्य के पक्षपात और भ्रष्टाचार के खिलाफ रैली की। कांग्रेस ने हर क्षेत्र और समुदाय को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए विभिन्न समुदायों के नेताओं मसलन, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सिद्धारमैया, डीके शिवकुमार, एम बी पाटिल और सतीश जरकिहोली समेत अन्य नेताओं को आगे किया।
(जनचौक की रिपोर्ट।)