Thursday, March 28, 2024

कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीबीआई की मंशा पर पानी फेरा, कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर को दी अग्रिम जमानत

सारदा चिटफंड घोटाला मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीबीआई को जोर से झटका दिया है और अपने आदेश से सीबीआई की उस मंशा पर पानी फेर दिया है जिसके तहत जांच एजेंसी पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ  करना चाहती थी। हाईकोर्ट ने जांच का सामना कर रहे कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को अग्रिम जमानत दे दी है, जिससे अब उन्हें गिरफ्तारी से राहत मिल गई है। कोर्ट ने कहा है कि यह मामला हिरासत में पूछताछ के लायक नहीं है। कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस साहिबुल मुंशी और जस्टिस  सुभाशीष दासगुप्ता की खंडपीठ ने कहा है कि कोर्ट के समक्ष पेश सामग्रियों अथवा केस डायरी से प्रासंगिक सारांश पर विचार करने के बाद हमारे पास शायद ही यह मानने की कोई गुंजाइश है कि याचिकाकर्ता जांच को रोक रहा है और उससे हिरासत में लेकर पूछताछ किये बिना जांच में अवांछनीय परिणाम निकल सकता है। हाईकोर्ट ने कहा है कि कुमार को पूछताछ के लिए बुलाने से 48 घंटे पहले सीबीआई को नोटिस देना चाहिए था।

खंडपीठ ने सीआरएम संख्या  9230/ 2019, राजीव कुमार बनाम सीबीआई, एसपी, आर्थिक अपराध चतुर्थ में पारित अपने आदेश में कहा कि घोटाले की रकम को बरामद करने से रोकने  के बड़े षड्यंत्र का पर्दाफाश करने के लिए याचिकाकर्ता राजीव कुमार से बार-बार सघनता से पूछताछ की गई है और अन्य कई व्यक्तियों से भी घोटाले में उनकी संबंधित भूमिका के लिए पूछताछ की गई है।

खंडपीठ ने कहा कि अगर सीबीआई राजीव कुमार को गिरफ्तार करती है, तो उन्हें 50,00 रुपए की सेक्योरिटी राशि के साथ तुरंत जमानत दी जाएगी। कुमार को अदालत की तरफ से कोलकाता से बाहर जाने की इजाजत नहीं है। करोड़ों रुपए के सारदा चिटफंड घोटाला मामले में गवाह के रूप में पूछताछ के लिए सीबीआई ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार को पेश होने के लिए कई नोटिस दिए हैं। लेकिन वह सीबीआई के सामने नहीं पेश हो रहे हैं। हालांकि वह सीबीआई के सामने पेश होने के लिए कई बार अधिक समय मांग चुके हैं।

इससे पहले बंगाल की एक अदालत ने आईपीएस राजीव कुमार की अग्रिम जमानत याचिका 21 सितंबर को खारिज कर दी थी। सारदा चिटफंड घोटाले की जांच के लिए 2013 में ममता बनर्जी सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) का नेतृत्व करने वाले कुमार पर इस मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप है। उच्चतम न्यायालय ने मई 2014 में इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया था। सीबीआई कुमार की हिरासत में पूछताछ की मांग कर रही है, जिसमें तर्क दिया गया है कि घोटाले की प्रारंभिक जांच के दौरान एसआईटी द्वारा जब्त किए गए कुछ दस्तावेजों को उसे नहीं सौंपा गया है।

न्यायमूर्ति एस मुंशी और न्यायमूर्ति एस दासगुप्ता की पीठ ने कहा कि अगर इस मामले के संबंध में राजीव कुमार को गिरफ्तार किया जाता है तो भी उन्हें 50-50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर सक्षम अदालत से जमानत पर रिहा कर दिया जाएगा। हाईकोर्ट ने राजीव कुमार को सीबीआई द्वारा 48 घंटे पहले नोटिस मिलने पर मामले में जांच अधिकारियों के समक्ष उपलब्ध रहने के निर्देश दिए। राजीव कुमार अभी पश्चिम बंगाल अपराध जांच विभाग (सीआईडी) के अतिरिक्त महानिदेशक हैं।

विधिक क्षेत्रों में कलकत्ता हाईकोर्ट के इस आदेश को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इस समय न केवल सीबीआई बल्कि ईडी पर राजनितिक बदले की भावना से काम करने के आरोप लग रहे हैं और बिना ठोस सबूत के बड़े बड़े लोगों को हिरासत में लेकर उनका प्रकारान्तर से अपमान किया जा रहा है। कोलकाता हाईकोर्ट के इस आदेश से विधिक क्षेत्रों में माना जा रहा है कि अभी भी न्यायपालिका में ऐसे लोग हैं जो संविधान और कानून के शासन को महत्वपूर्ण मान रहे हैं।

(लेखक जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार होने के साथ कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles