सोनभद्र। सूबे के सबसे अंतिम छोर पर स्थित इस जिले में कई सरकारी विद्यालय हैं। जिसमें पढ़ने वाले नौनिहालों की जिंदगी पर हमेशा खतरे की घंटी लटकती रहती है। खतरा भी ऐसा है जिसका किसी के पास कोई उपाय भी नहीं है, जिसकी वजह से कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। कई स्कूलों की छत के ऊपर से हाईटेंशन तार गुजर रहा है जिसकी वजह से हमेशा यहां खतरा मंडराता रहता है और नौनिहाल अपनी जान हथेली पर रखकर पढ़ाई करने आते हैं। वहीं अधिकारी भी गोल-मोल जवाब देकर बचने की कोशिश करते हैं।
इसकी वजह से कई बार हादसा भी हो चुका है जिसके एवज में नौनिहालों को अपनी जान भी गवानी पड़ी है लेकिन न जाने क्यों प्रशासनिक अमला मौन साधे हुए है। बिजली विभाग तो कान में तेल डालकर सो रहा है। देखा जाए तो जिले में कई ऐसे स्कूल हैं जिनके ऊपर से हाईटेंशन तार गुजर रहे हैं, कई स्थानों पर ये काफी जर्जर हालत में हैं। आलम ये है कि ये कभी भी टूटकर नीचे गिर सकते हैं।
ऐसा हुआ तो कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है। इसकी चपेट में कौन कब आ जाए, कोई भरोसा नहीं। ऐसा नहीं है कि इसकी वजह से पहले कभी कोई हादसा नहीं हुआ है। करीब तीन वर्ष पूर्व दुद्धी तहसील क्षेत्र के मेदनीखाड़ गांव के रहने वाले 13 साल के नीरज का एक हाथ व एक पैर यहां के स्कूल में पढ़ाई के दौरान हाईटेंशन की चपेट में आ गया था, जिसकी वजह से उसके हाथ और पैर को हमेशा की लिए काटना पड़ा था।
378 स्कूलों के ऊपर से गुजर रहा है हाईटेंशन तार
जिले में 2061 परिषदीय विद्यालय संचालित हैं। इनमें से कई स्कूल ऐसे हैं जिनके ऊपर से हाईटेंशन तार गुजर रहे हैं। इसको हटाने के लिए शिक्षा विभाग ने पत्राचार शुरू कर मौन साध लिया। शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में 378 स्कूल ऐसे हैं जिनके ऊपर से हाईटेंशन तार गुजर रहा है। शिक्षक उच्चाधिकारियों को कई बार इन तारों को हटाने के लिए प्रार्थना पत्र दे चुके हैं लेकिन इस पर अभी तक सरकारी अमले ने कोई कार्यवाही नहीं की। ऐसे में जुलाई से एक ओर जहां पठन-पाठन शुरू होगा तो सिस्टम की बेरुखी से स्कूलों के इन हालात से बच्चों की जान को हर समय खतरा बना रहेगा।
जिले का शिक्षा विभाग एक तरफ इस मामले पर पत्र लिखकर मौन हो गया है तो वहीं दूसरी तरफ बिजली विभाग ने बजट न होने का हवाला देकर चुप्पी साध ली है। परिषदीय विद्यालय के ऊपर से गुजर रहे हाईटेंशन लाइन के तार को हटाने के लिए बिजली विभाग ने शिक्षा विभाग से करोड़ों की मांग की है। जिस पर बेसिक शिक्षा अधिकारी की ओर से एक वर्ष पूर्व निदेशालय को स्थिति से अवगत कराते हुए धन की मांग की गई है। मगर शासन की ओर से इस मामले में अब तक कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई है, जिसकी वजह से यहां से खंभे नहीं हटाए गए हैं और न ही इसका किसी के पास कोई समाधान है।
कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
स्कूलों के ऊपर से जो हाईटेंशन लाइन जा रही है उन तारों के पावर कॉरपोरेशन की तरफ से करंट से बचाव का कोई प्रबंध नहीं किया गया है। हाइटेंशन के नीचे जाली भी नहीं लगी है। ऐसे में अगर कभी किसी विद्यालय पर तार टूटता है तो सीधे जमीन पर गिरेगा। विद्यालयों के प्रिंसिपल भी कई बार बीएसए को इसके लिए लिख चुके हैं। बेसिक शिक्षा विभाग व बिजली विभाग दोनों ही इस पर टालमटोल कर जाते हैं।
हाईटेंशन तारों पर अफसरों की खानापूर्ति
इस मामले पर बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कहा कि जिला बिजली उत्पादन का केंद्र है और यहां पर बिजली के तारों का बहुत बड़ा जाल है। यहां पर सैकड़ों स्कूलों के ऊपर से हाईटेंशन तार गुजर रहे हैं। विभाग की ओर से एक वर्ष पूर्व ही शासन को पत्र भेजा गया है लेकिन अभी तक धन नहीं आया, आते ही तार को हटवा दिया जाएगा।
(सोनभद्र से गणेश कुमार की रिपोर्ट)
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