नीति आयोग ने चौथा हेल्थ इंडेक्स जारी किया है। इसके मुताबिक, बड़े राज्यों में स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में केरल टॉप पर है, जबकि उत्तर प्रदेश अंतिम पायदान पर है। नीति आयोग के हेल्थ इंडेक्स में केरल एक बार फिर अव्वल, तमिलनाडु दूसरे और तेलंगाना तीसरे नंबर पर; बिहार और एमपी नीचे से दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। यह लगातार चौथी बार है जब केरल ओवरऑल परफॉर्मेंस के मामले में बेस्ट परफॉर्मर है। वहीं, यूपी ने 2018-19 की तुलना में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार (इंक्रीमेंटल परफॉर्मेंस) के मामले में टॉप किया है।
हेल्थ इंडेक्स में उत्तर प्रदेश 19वें तो बिहार 18वें नंबर पर है। गौरतलब है कि स्वास्थ्य सेवा जैसी बुनियादी सुविधा देने के मामले में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों की ये हालत इस तथ्य के बावजूद है कि वहां पीएम मोदी के कथन के मुताबिक डबल इंजन की सरकार है, जो ज्यादा तेजी और बेहतर तरीके से काम करती है। एक और खास बात ये है कि लोगों को स्वास्थ्य सेवा देने के मामले में इन राज्यों की ये हालत कोरोना महामारी के समय है, जो और ज्यादा चिंता का विषय है।
सरकार के थिंकटैंक की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, हेल्थ परफॉर्मेंस को लेकर तमिलनाडु का दूसरा और तेलंगाना का तीसरा स्थान है। हालांकि, इंक्रीमेंटल परफॉर्मेंस के मामले में केरल का 12वां स्थान है जबकि तमिलनाडु 8वें पायदान पर है। तेलंगाना इंक्रीमेंटल परफॉर्मेंस के मामले में भी तीसरे स्थान पर है। चौथे राउंड के हेल्थ इंडेक्स के लिए साल 2019-20 का आकलन किया गया है। यह वह दौर था जब देश कोरोना की पहली लहर का सामना कर रहा था। खराब परफॉर्मेंस के मामले में बिहार का दूसरा और मध्य प्रदेश का तीसरा स्थान है। वहीं, राजस्थान का दोनों ही मामलों में सबसे खराब प्रदर्शन है।
रिपोर्ट के मुताबिक, छोटे राज्यों में ओवरऑल परफॉर्मेंस और इंक्रीमेंटल परफॉर्मेंस के मामले में मिजोरम टॉप पर है। त्रिपुरा ने भी दोनों मामलों में बेहतर प्रदर्शन किया है। वहीं, केंद्र प्रशासित प्रदेशों में ओवरऑल परफॉर्मेंस के मामले में दिल्ली और जम्मू-कश्मीर की निचली रैंक है लेकिन इंक्रीमेंटल परफॉर्मेंस को लेकर ये लीडिंग परफॉर्मर हैं।
हेल्थ इंडेक्स को तैयार करने के लिए 24 पहलुओं को ध्यान में रखा गया है। यह इंडेक्स मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा जा सकता है- हेल्थ आउटकम, गवर्नेंस एंड इंफॉरमेशन और इनपुट्स एंड प्रॉसेस। विश्व बैंक की तकनीकी सहायता और स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से यह रिपोर्ट तैयार की गई है।
यह बात गौर करने लायक है कि खुद केंद्र सरकार की संस्था द्वारा जारी इस इंडेक्स में बेहतर प्रदर्शन के लिए टॉप करने वाले तीनों राज्य गैर-बीजेपी शासित हैं, जबकि सबसे निचले पायदान पर मौजूद तीनों राज्यों में बीजेपी-एनडीए की सरकारें हैं। लिहाजा, उत्तर प्रदेश में चुनावी माहौल के बीच आई यह रिपोर्ट जल्द ही सियासी आरोप-प्रत्यारोप की वजह बन जाए तो हैरानी की बात नहीं होगी।
नीति आयोग के इस हेल्थ इंडेक्स में हर राज्य की स्वास्थ्य सुविधाओं का मूल्यांकन उसके प्रमुख पहलुओं की हालत बताने वाले 24 इंडिकेटर्स के आधार पर किया जाता है। इनमें हेल्थ आउटकम, गवर्नेंस, स्वास्थ्य सूचनाओं और प्रक्रियाओं जैसे अहम पहलू शामिल हैं। इस इंडेक्स को जारी करते हुए नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि देश के तमाम राज्य अपने हेल्थ इंडेक्स का इस्तेमाल नीति निर्धारण और संसाधनों के आवंटन बेहतर बनाने के लिए कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह इंडेक्स एक ऐसी संघीय व्यवस्था की मिसाल हैं, जो एक साथ प्रतिस्पर्धात्मक और सहयोगात्मक दोनों हैं।
राजीव कुमार ने बताया कि नीति आयोग ने यह रिपोर्ट केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर तैयार की है, जबकि विश्व बैंक ने इसके लिए तकनीकी सहयोग मुहैया कराया है। इस बारे में जारी एक आधिकारिक बयान के मुताबिक केंद्र सरकार ने नेशनल हेल्थ मिशन के तहत दिए जाने वाले इंसेंटिव को इस इंडेक्स से जोड़ने का फैसला किया है, जिससे इसकी अहमियत का पता चलता है।
(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)
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