Friday, September 29, 2023

क्या यह अमेरिका का आतंकवाद नहीं है?

शेमूर हर्श 85 साल के हो चुके हैं, लेकिन अमेरिकी साम्राज्यवाद के अपराधों को बेनकाब करने का उनका जज्बा बदस्तूर बना हुआ है। अब उन्होंने अमेरिका के एक ऐसे कार्य को बेनकाब किया है, जिसे ‘आतंकवाद’ की परिभाषा के तहत रखा जा सकता है। कम-से-कम इस कार्य के आधार पर यह तो जरूर ही कहा जाएगा कि अमेरिका एक rogue state (उद्दंड राज्य) है, जो अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए अपने सहयोगी देश के खिलाफ भी आक्रामक कार्रवाई कर सकता है।

शेमूर हर्श ने अपने एक ताजा खोजी रिपोर्ट में बताया है कि पिछले सितंबर में नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइन को समुद्र के अंदर जिस विस्फोट के जरिए उड़ाया गया था, उस कार्रवाई को योजनाबद्ध ढंग से अमेरिका ने अंजाम दिया था।

नॉर्ड स्ट्रीम परियोजना के तहत कुल चार पाइपलाइऩें रूस से जर्मनी तक बनी थीं। नॉर्ड स्ट्रीम-1 और 2 दोनों के तहत दो-दो पाइपलाइनें थीं। नॉर्ड स्ट्रीम-1 साल 2011 में तैयार हो गई थी, जिसके जरिए जर्मनी तक गैस की सप्लाई होती थी।

नॉर्ड स्ट्रीम-2 साल 2021 में बन कर तैयार हुई, लेकिन उसके जरिए अभी गैस सप्लाई शुरू नहीं हुई थी। अमेरिका को आरंभ से ही रूस से जर्मनी का यह रिश्ता पसंद नहीं था। इसलिए कि इससे उसके गैस उद्योग के स्वार्थ पर चोट होती थी।

जर्मनी की तत्कालीन चांसलर अंगेला मैर्केल पर अमेरिका के बराक ओबामा, डॉनल्ड ट्रंप और जो बाइडेन प्रशासनों ने लगातार नॉर्ड स्ट्रीम-2 पर काम रोकने के लिए दबाव बनाया था। लेकिन मैर्केल नहीं झुकीं। उनके बाद चांसलर बने ओलोफ शोल्ज दबाव में आ गए, जिस वजह से इन पाइपलाइन से गैस आपूर्ति शुरू नहीं हो सकी थी।

इसी बीच यूक्रेन युद्ध शुरू हो गया। अमेरिकी नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन नाटो (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन) रूस के खिलाफ यह प्रॉक्सी वॉर लड़ रहा है। राष्ट्रपति बाइडेन ने युद्ध शुरू होने से दो महीने पहले खुलेआम प्रेस कांफ्रेंस में यह कहा था कि अगर ‘रूस ने यूक्रेन पर हमला’ किया, तो अमेरिका इस गैस पाइपलाइन को मौजूद नहीं रहने देगा।

इस पर जब एक संवाददाता ने उनसे पूछा था कि पाइपलाइन जर्मनी के अधीन है, तो अमेरिका ऐसा कैसे करेगा? इस पर बाइडेन का जवाब था- ‘हमारे पास इस कार्य को संपन्न करने के साधन हैं।’

उनके प्रशासन में विदेश उप मंत्री विक्टोरिया न्यूलैंड ने भी ऐसी बात कही थी। न्यूलैंड साजिशों को अंजाम देने में माहिर मानी जाती हैं। 2014 में यूक्रेन के बहुचर्चित मैदान तख्तापलट का संचालन उन्होंने ही किया था, जहां से यूक्रेन के मौजूदा संकट की शुरुआत हुई थी।

सितंबर में हुए विस्फोट के बाद से नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन बेकार पड़ी हुई है। जब ये घटना हुई, तब से यह संदेह जताया जाता रहा है कि इसके पीछे अमेरिका का हाथ था। ऐसा संदेह जताने वालों में अमेरिका के दक्षिणपंथी टीवी चैलन फॉक्स न्यूज के बहुचर्चित एंकर टकर कार्लसन भी थे। लेकिन अब तक बात कयास और संदेहों की थी। शेमूर हर्श ने उसे एक एक्सलूसिव न्यूज रिपोर्ट के रूप में दुनिया के सामने पेश किया है।

हर्श खोजी पत्रकारिता के दुनिया में सबसे बड़े नामों में एक हैं। उनकी खोजी रिपोर्टों ने कई बार अमेरिकी साम्राज्यवाद के लिए असहज और शर्मनाक स्थितियां पैदा की हैं। हर्श ने एक बार कहा था कि वे ऐसी पत्रकारिता इसलिए करते हैं, ताकि सार्वजनिक अधिकारियों को शिष्टता और ईमानदारी के सर्वोच्च प्रतिमानों का पालन करने के लिए मजबूर किया जा सके।

हर्श के कार्यों और योगदान से परिचित कोई व्यक्ति इससे इनकार नहीं कर सकता कि इस पत्रकार ने अपने इस मिशन को हासिल करने के लिए कई बार खुद को जोखिम में डाला है और विवादों से घिरने का जोखिम उठाया है।

शेमूर हर्श को पहली शोहरत 1968 में वियतनाम में हुए माइ दाई नरसंहार को सामने लाने के बाद मिली थी। उस समय वियतनाम युद्ध चल रहा था, जिस दौरान माइ दाई नाम की जगह पर अमेरिकी फौजियों ने अनगिनत निहत्थे लोगों का संहार किया था।

इसके बाद उन्होंने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के कार्यकाल में विभिन्न देशों में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की गतिविधियों का खुलासा किया था। उस प्रकरण से तत्कालीन विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर की बहुत खराब छवि दुनिया के सामने आई, जिससे अब अपने 100वें वर्ष में चल रहे डॉ. किसिंजर आज तक उबर नहीं पाए हैं।

हालांकि वॉटरगेट कांड को बेनकाब करने श्रेय वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकारों बॉब वुडवर्ड और कार्ल बर्नस्टीन को दिया जाता है, लेकिन उस दौरान शेमूर हर्श ने भी न्यूयॉर्क टाइम्स के लिए गंभीर रिपोर्टिंग की थी और उसका भी उन परिस्थितियों को निर्मित करने में बड़ा योगदान था, जिसकी वजह से रिचर्ड निक्सन को राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

इसके बाद शेमूर हर्श ने 2003 के इराक युद्ध के दौरान अबू घरैब में इराकी नौजवानों के साथ अमेरिकी सैनिकों के यौन अत्याचार की दिल दहला देने वाली घटना को बेनकाब किया था। उनका अगला बड़ा खुलासा 2011 में ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान के एबटाबाद में मारे जाने को लेकर रहा।

दुनिया को यही बताया गया था कि अमेरिकी बलों ने यह कार्रवाई गुपचुप की और पाकिस्तान की सेना या सरकार को इसकी भनक तक नहीं लग पाई। लेकिन शेमूर हर्श ने 2015 में अपने सूत्रों के हवाले से यह बताया कि पाकिस्तानी अधिकारियों को एबटाबाद में हुई कार्रवाई की पूरी जानकारी थी। यानी ओसामा को अमेरिका ने पाकिस्तान की सहमति से मारा था।

यह बात ध्यान में रखने की है कि शेमूर हर्श की खोजी रिपोर्टों पर शुरुआत में हमेशा विवाद खड़ा करने की कोशिश हुई, लेकिन उनकी हर स्टोरी आखिरकार सच साबित हुई। अबू घरैब जैसे कांड में खुद अमेरिका को आरोपी लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी।

अपने लंबे करियर में अमेरिका में पत्रकारों को दिया जाने वाला कोई ऐसा बड़ा पुरस्कार नहीं है, जिससे हर्श को ना नवाजा गया हो। इनमें पुलित्जर पुरस्कार भी है। वैसे पुरस्कारों से किसी की शख्सियत तय नहीं होती। लेकिन इनका उल्लेख करना इसलिए जरूरी है कि हर्श की पहचान सनसनीखेज पत्रकारिता से नहीं, बल्कि गंभीर और शोधपरक रिपोर्टिंग से बनी है, जिसे अंततः व्यवस्था ने भी स्वीकार किया है।

तो अब उन्होंने ये बातें दुनिया के सामने रखी हैः

  • अमेरिका ने दिसंबर 2021 में ही नॉर्ड स्ट्रीम को क्षतिग्रस्त करने की योजना बनानी शुरू कर दी थी।
  • जून 2022 में अमेरिकी नौसेना के दस्ते को कार्रवाई को अंजाम देने का आदेश जो बाइडेन प्रशासन ने दे दिया।
  • कार्रवाई से उन तमाम बलों को दूर रखा गया, जो अमेरिका में संसदीय जांच के दायरे में आ सकते थे।
  • अमेरिकी नौसेना नॉर्वे के साथ साझा अभ्यास किया और उसी दौरान अमेरिकी नौसैनिकों ने विस्फोट करके नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपों को उड़ा दिया।

स्पष्ट है कि अमेरिका ने एक ऐसा कदम उठाया, जिसका नुकसान रूस को तो हुआ, लेकिन उतनी ही क्षति जर्मनी को भी हुई, जो नाटो का सदस्य है, और जिसे अमेरिका अपना सहयोगी देश बताता है। अब यह अमेरिका के सहयोगी देशों के लिए विचार करने का मुद्दा है कि अमेरिका आखिर कैसा सहयोगी या दोस्त है?

दरअसल, किसी अन्य देश की संपत्ति को नष्ट करना एक आतंकवादी कार्रवाई है। अगर यही काम किसी अन्य देश ने किया होता, तो अमेरिका और उसके साथी देश उस पर आतंकवादी होने का आरोप मढ़ चुके होते।

लेकिन दुनिया के सूचनातंत्र और विमर्श पर अमेरिका की इतनी पकड़ है कि इतना बड़ा खुलासा होने के बाद भी भारत जैसे देश में यह मामला सुर्खियों में नहीं आया और ना ही अमेरिका को आतंकवादी या उद्दंड कहे जाने को यहां लोग सहज स्वीकार करेंगे।

बहरहाल, जो लोग घटनाओं पर बारीक नजर रखते हैं, उन्हें मालूम है कि नॉर्ड स्ट्रीम प्रोजेक्ट से अमेरिका को कितना गुरेज था। इस पाइपलाइन को नष्ट करने के पीछे उसकी मंशा क्या थी, यह स्पष्ट है और इसके नष्ट होने से उसके गैस उद्योग को सबसे ज्यादा लाभ हुआ वह भी साफ है। न्यायशास्त्र में motive (मंशा) और घटना के परिणामस्वरूप होने वाले लाभ को भी अपराध तय करने की प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण पहलू समझा जाता है।

ब्लॉगर कैटलीन जॉन्सस्टोन ने हर्श की ताजा रिपोर्ट सामने आने के बाद एक महत्त्वपूर्ण टिप्पणी लिखी। उन्होंने कहा- मेरे सूत्र शिमूर हर्श की नॉर्ट स्ट्रीम रिपोर्ट की पुष्टि करते है और मेरे सूत्र है- तर्क, सामान्य विवेक, और अमेरिकी अधिकारियों के सार्वजनिक बयान।

तात्पर्य यह कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य भी वही बात कहते रहे हैं, जो शेमूर हर्श ने बताया है। इस तरह हर्श ने अपने जीवन की उत्तरवेला में एक अन्य ऐसा योगदान किया है, जिससे उसके गौरवशाली करियर की चमक और बढ़ी है। इस चमक की रोशनी में दुनिया को यह देखने में अधिक सक्षम हुई है कि अमेरिकी साम्राज्यवाद असली चेहरा क्या और कैसा है।

(सत्येंद्र रंजन वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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