मोदी जी, आपको नींद कैसे आती है?

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मोदी जी अभी आप फ्रांस गए थे वहां के सबसे चर्चित और प्रतिष्ठित अखबारों में से एक ‘ला मोंडे’ ने आपको ‘गुजरात का कसाई’ कह कर संबोधित किया था। केवल गुजरात ही नहीं अब मणिपुर ने भी आपको वही तमग़ा दे दिया है। इंसानियत को शर्मसार करने वाली मणिपुर की तस्वीरें देखकर देश की रूह कांप गयी है। और हर शख्स ऐसी तस्वीरों को देखने के बाद अपने अस्तित्व पर ही शर्मिंदा है। आखिर हम क्यों देख रहे हैं ऐसी तस्वीरें? इसको देखने से पहले मौत क्यों नहीं आ गयी? इस तरह की सोच लोगों की जेहनियत में पैदा हो रही है। इन तस्वीरों को वह न खुद देख पा रहा है और ही दूसरे को दिखाने की स्थिति में है। लेकिन आपको और आपकी मणिपुर की सरकार और मणिपुर की दो-दो बार यात्रा करने वाले गृहमंत्री अमित शाह को इन सारी घटनाओं के बारे में पता था।

क्योंकि हिंसा शुरू होने के ठीक दूसरे दिन यानि चार मई को यह घटना घट गयी थी। और उसके कुछ दिनों बाद ही एफआईआर भी दर्ज करा दी गयी थी। इसका मतलब है कि राज्य सरकार को इसकी सूचना थी। आप के पास तो इंटेलिजेंस है हर जिले की रोजाना सूचना मिलती है। आप हर सूचना से वाकिफ होते हैं। एफआईआर न भी होती तो इस घटना की सूचना आप तक पहुंच जाती। यहां तो बाकायदा एफआईआर हुई है और पूरी घटना का ब्योरा दर्ज है। बावजूद इसके अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई। और इन सब जानकारियों के बाद भी आपने चुप्पी साधे रखी। एक बयान तक नहीं आया मणिपुर पर। क्या आपने नहीं सोचा कि जिस दिन यह घटना देश के सामने आएगी लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे?

लेकिन आप की चुप्पी का सच मैं जानता हूं। आप मणिपुर को भी एक गुजरात बना देना चाहते थे। गुजरात में आपने इस काम को मुसलमानों को निशाने पर लेकर किया था। गर्भवती महिलाओं के साथ बलात्कार और फिर उनके भ्रूण शिशुओं को तलवार की नोक पर रखने का आपने जो बजरंगी मॉडल दिया था वह आप की जेहनियत का हिस्सा है। ऐेसे दृश्यों को देखकर दुखी होने की जगह आप खुश होते हैं। पूरा देश जब गुजरात पर शर्मसार था और आपके प्रधानमंत्री आपको राजधर्म की याद दिला रहे थे तब भी आप अपनी इन वहशी हरकतों पर गर्वान्वित थे। और बजाय माफी मांगने और इस्तीफा देने और चीजों को दुरुस्त करने के आपने उन्हीं नरमुंडों के शीर्ष पर बैठकर चुनाव की वैतरणी पार की। 

इसी तरह से आपने अब देश के दूसरे अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर पैशाचिक सोच में पहुंचा दिए गए अपने भक्तों को नफरत और घृणा की दूसरी अफीम चटाना चाहते थे। आप यह दिखाना चाहते थे कि इंसानों की लाशों पर पलने वाले उनके शेर ने अब एक और शिकार की तलाश कर ली है। और अब मुसलमानों के अलावा ईसाइयों का भी देश में खुला नरभक्षण हो सकता है। उन्हें भी रास्ते चलते हुए कहीं भी कभी भी लिंच किया जा सकता है। उनकी महिलाओं के साथ बलात्कार किया जा सकता है। अनायास नहीं है कि मणिपुर में 253 से ज्यादा चर्च हमले का निशाना बने और उन्हें जलाकर खाक कर दिया गया। इस चुप्पी के जरिये आप लोहे की बन चुकी अपनी आत्मा को और लौह बना देना चाहते थे।

आप तो 56 इंच के लिए जाने जाते हैं और भारतीय संस्कृति की दुहाई देते रहते हैं और हर महिला में देवी देखने की बात करते हैं। क्या यही है आपकी भारतीय संस्कृति? इसी तरह से होती है महिलाओं की पूजा? आपने मणिपुर में बीरेन सिंह नाम के एक शख्स को बैठा रखा है। वह अपने सूबे की बिगड़ी शासन-व्यवस्था देखने की जगह दिन भर आपके ट्वीट का इंतजार करता रहता है आए और तत्काल कैसे उसे रिट्वीट किया जाए। इसी फिराक में रहता है। क्योंकि वह जान गया है कि मणिपुर की जनता ने उसे खारिज कर दिया है। और उसकी कुर्सी आपकी रहमोकरम की मोहताज है। आप तो डबल इंजन की सरकार बताते थे और उससे विकास की गति को दुगुना कर देने की बात करते थे। लेकिन यह क्या? डबल इंजनों ने जनता का उत्पीड़न भी डबल कर दिया है। मणिपुर का हर इंसान असुरक्षित है। और अपनी जान बचाने के लिए जंगलों से लेकर बंकरों का सहारा ले रहा है।

और हां आपने तो इतिहास रच दिया है और वैसे भी कोई चीज आप पहली बार करने के लिए जाने जाते हैं भले ही वह पीछे कई बार हो चुकी हो लेकिन अंध भक्तों को वह दिखती ही नहीं। लेकिन मणिपुर में सचमुच में आपने वह कर दिखाया जो पिछले सारे प्रधानमंत्री नहीं कर सके। यहां तक कि देश के अब तक के सबसे बदतर हालात के दौर से गुजरे कश्मीर तक में नहीं हुआ। वह है एक ही सूबे में आधुनिक हथियारों के साथ जनता का आपसी संघर्ष जिसमें सरहदें खिंच गयी हों और दोनों तरफ बंकर बना दिए गए हों तथा बीच में सुरक्षा बल के जवानों और स्थानीय पुलिस को बाकायदा नो मेंस लैंड की लकीर खींचकर उस पर पहरेदारी करनी पड़ी हो। इसका श्रेय आपको ज़रूर दिया जाना चाहिए। इस देश को नफ़रत और घृणा के जिस बाजार में आपने तब्दील कर दिया है उसमें आपके भक्तों के अलावा उसका कोई खरीदार नहीं है। उसके एकछत्र राजा आप हैं।

लेकिन इतिहास के पास आंखें होती हैं। वह अंधा नहीं होता है। न ही उसे किसी संघी तरकीब से बदला जा सकता है। मणिपुर से आ रही तस्वीरें लोगों की आत्मा में गड़ गयी हैं। वह उनकी ज़ेहनियत का हिस्सा बन गयी हैं वहां से उन्हें मिटाया नहीं जा सकता है। और आने वाला इतिहास जब अपनी इबारत लिखेगा तो उसके पन्नों पर आपकी तस्वीर बिल्कुल काली होगी। हिटलर, चंग़ेज और हलाकुओं की श्रेणी में आप खुद को पाएंगे। आपके नाम दर्ज किए जाएंगे गुजरात और मणिपुर। आप इतिहास में एक बुरे सबक के तौर पर याद किए जाएंगे। और भविष्य के शासकों और निजाम को किस तरह से शासन नहीं चलाना चाहिए उसकी ऩजीर के तौर पर आपको पढ़ाया जाएगा।

और आने वाली पीढ़ियां आपको हमेशा पढ़ते हुए आपके प्रति हर तरह की घृणा और नफरत से भर जाएंगी। क्योंकि आप में इंसानियत को छोड़कर बाकी सब कुछ है। देश की एक ऐसी शख्सियत जिसे प्यार ने छुआ तक नहीं है। उसमें घृणा, नफरत, विष, हिंसा जैसी हर तरह की बुराइयों का का समावेश है। हां इस तरह से आप म्यूजियम की वस्तु ज़रूर बन गए हैं और अगर इस देश में कोई ऐसी व्यवस्था शुरू हो जिसमें इतिहास के सबकों को रखने की व्यवस्था हो तो उसके लिए आप सबसे उपयुक्त व्यक्ति होंगे।

(महेंद्र मिश्र जनचौक के फाउंडर एडिटर हैं।)

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Abhilash
Abhilash
Guest
1 year ago

Very TRUE and thought provoking

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