कपूर आयोग रिपोर्ट-2: पटेल और नेहरू समेत कांग्रेस के दूसरे शीर्ष नेता भी थे हत्यारे समूह के निशाने पर

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(जेएल कपूर आयोग की दो खंडों में प्रकाशित रिपोर्ट के पहले खंड के पेज नंबर 321 पर एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है। यह बात अभी तक देश के सामने उस रूप में नहीं आयी थी जैसी यहां पेश की गयी है। इसमें बताया गया है कि गांधी की हत्या करने वाली जमात के निशाने पर कांग्रेस के दूसरे नेता भी थे। इसमें संघ-बीजेपी द्वारा अपने प्रियतम नेता के तौर पर पेश किए जाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल भी शामिल थे। रिपोर्ट के इस हिस्से को पढ़कर कोई भी समझ सकता है कि न केवल गांधी बल्कि कांग्रेस के संबंधित नेताओं की हत्या की साजिश की पूरी जानकारी वीडी सावरकर को थी। रिपोर्ट पढ़कर ऐसा लगता है कि कांग्रेस नेताओं की हत्या हिंदू महासभा के अगुआ दस्ते का मिशन बन गया था। पेश है इस रिपोर्ट की दूसरी किस्त-संपादक)

नई दिल्ली।

25.181: उस फाइल के विभिन्न पेजों पर अलग-अलग ऐसे व्यक्तियों का जिक्र है जिन्हें गिरफ्तार किया गया था और फिर उनसे पूछताछ की गयी थी। लेकिन पेज नंबर 52 पर सीआरपीसी के सेक्शन-164  के तहत देवेंद्र कुमार नाम के एक शख्स द्वारा मजिस्ट्रेट के सामने दिया गया बयान दर्ज है जो मूलत: गोवा का रहने वाला था और हिंदू राष्ट्र दल में मार्च 1937 में शामिल हुआ था। उसने बताया था कि उसकी दल के कैप्टन एनवी गोडसे से मुलाकात हुई थी।

बयान दिखाता है कि गवाह को कैसे बम बनाना सिखाया गया था साथ ही उसे साइकिल तथा कार के जरिये गन बनाने की विधि भी बतायी गयी थी। साथ ही यह भी बताया गया था कि पिस्टल और रिवाल्वर का कैसे इस्तेमाल किया जाता है। वह दूसरों को भी ट्रेनिंग दे रहा था। तमाम दूसरी चीजों के अलावा उसने खुलासा किया कि महात्मा गांधी, नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना आजाद और बलदेव सिंह सभी की हत्या करने की योजना बनी थी। क्योंकि ये सभी राष्ट्र दल के रास्ते का बाधा बन रहे थे। पार्टी इस कार्यक्रम को लागू करने के लिए मौके का इंतजार कर रही थी। उसके बाद उसने जोड़ा:

“हम इन नेताओं के खिलाफ जनता के दिमाग में घृणा पैदा कर रहे थे और इस बात की योजना बनी थी कि जैसे ही जनता तैयार हो जाएगी एक के बाद दूसरे नेताओं की हत्या कर दी जाएगी……..जब मैंने गांधी जी की दुखद घटना के बारे में सुना तो मैं पूरे सकते में आ गया। मैंने सावरकर को एक पत्र लिखा जिसमें कहा कि अगर वह शेष कार्यक्रम को लागू होने से नहीं रोकते हैं तो मैं उनका पर्दाफाश कर दूंगा……..”

25.182: महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल नामों की जो फेहरिस्त बतायी उसमें देश पांडेय, आप्टे, गोडसे, ए चह्वाण, मोदक, जोग और सावरकर के सचिव तथा बाडीगार्ड क्रमश: दामले और कासर, कासकर, जोशी, जोगुलकर और चंद्रशेखर अय्यर शामिल थे। उसने बम को बनाने वालों की सूची दी और उसमें पूना के नारायन पेठ का डीआर बडगे शामिल था। अपराध के संदर्भ में इस बयान का शायद कोई मतलब न हो लेकिन यह दिखाता है कि हत्या के बाद देश की पूरी पुलिस सक्रिय हो गयी थी। देवेंद्र कुमार से पूछताछ यूपी के मिर्जापुर में एक मजिस्ट्रेट ने की थी। और जांच बनारस और लखनऊ के अफसरों ने किया था। इस देवेंद्र कुमार को दिल्ली लाया गया था और यहां पुलिस ने उससे पूछताछ किया था।  उसका बयान यह दिखाता है कि हिंदू महासभा और राष्ट्रीय दल के काम करने के तरीकों की उसको अच्छी जानकारी थी।

साथ ही यह बात भी सामने आयी कि सावरकर समूह के प्रमुख कार्ताधर्ताओं में कासर, एनडी आप्टे, एनवी गोडसे, करकरे और ढेर सारे ऐसे लोग थे जिनका हम लोगों से कुछ लेना-देना नहीं है। बयान बरसी में आय़ोजित हिंदू महासभा के एक सत्र का भी जिक्र करता है जहां एनवी गोडसे ने एक बेहद उत्तेजक भाषण दिया था और कांग्रेस सरकार के खिलाफ “मौलाना गांधी मुर्दाबाद”, “गांधीवाद मुर्दाबाद” जैसे बेहद आपत्तिजनक नारे लगाए थे। गोडसे ने कांग्रेस से लड़ने के लिए हथियारों को एकत्रित करने की भी वकालत की और मुख्य निशाना “मौलाना गांधी”, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना आजाद और बलदेव सिंह थे। यह जोगेश्वरी मंदिर में हिंदू राष्ट्र दल की एक बैठक थी जिसमें गोडसे, आप्टे, करकरे, कासर और ढेर सारे दूसरे मौजूद थे।

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