कर्नाटक राज्य स्कूल बोर्ड की किताब में, सावरकर द्वारा अंडमान जेल की कोठरी से, एक बुलबुल पर सवार होकर, रोज वहां से निकल कर भारत आने और चले जाने की रूपक कथा का, जब उपहास उड़ा तो कर्नाटक सरकार...
यह एक बहुत दिलचस्प प्रसंग है । हमारे मित्र अजय तिवारी ने फेसबुक पर एक पोस्ट लगाई वीर सावरकर के बारे में । शायद उन्हें लगा कि आज के सावरकर की स्तुति के काल में भी उनके प्रति ‘न्याय’...
15 अगस्त, 1947 को जब देश की आजादी का ऐलान हुआ, वह गाँधी जी के लिए जश्न का दिन नहीं था। इधर देश उत्सव में मग्न था, और उधर महात्मा गांधी 14 अगस्त, 1947 की रात कलकत्ता में शांति...
दिल्ली स्थित गांधी दर्शन और स्मृति नामक संस्थान ने अपनी पत्रिका `अंतिम जन’ का सावरकर विशेषांक निकाला है। एक तरफ इसका चारों ओर यह कहते हुए प्रचार किया जा रहा है कि इतिहास में गांधी से कम नहीं हैं...
अब तक, गांधीजी की हत्या, हत्या की साजिश, अदालती सुनवाई (ट्रायल) जैसे मख़्सूस मौज़ू' पर कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। जिसमें जस्टिस जी.डी खोसला (1963), केएल गौबा (1969), वकील पी.एल. इनामदार (1979), जे.सी. जैन (1961), तपन घोष...
द मर्डरर, द मोनार्क एंड द फकीर, (The Murderer, The Monarch and The Fakeer) इस साल सावरकर पर आने वाली तीसरी महत्वपूर्ण किताब है। इसके पहले दो और किताबें आयीं जिनकी बहुत चर्चा हुयी, पर इस किताब की चर्चा...
शुरुआत हुई थी जवाहर लाल नेहरू से। नेहरू को संघी आखिरी अंग्रेज घोषित किए थे। और उनके बहाने सेकुलर शब्द को सबसे ज्यादा बदनाम किया गया था। और आखिर में सेकुलर को सेखुलर करार देते हुए उसे एक गाली...
सावरकर के आधुनिक पाठ में उन्हें वैज्ञानिक, आधुनिक और तार्किक हिंदुत्व के प्रणेता तथा हिन्दू राष्ट्रवाद के जनक के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। रणनीति कुछ ऐसी है कि जब सावरकर के इन कथित विचारों को प्रचारित...
हिन्दू राष्ट्रवाद अपने नये नायकों को गढ़ने और पुरानों की छवि चमकाने का हर संभव प्रयास कर रहा है। इसके लिए कई स्तरों पर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। हाल में 2 अक्टूबर (गांधी जयंती) को महात्मा गांधी के...
सावरकर सन् 1911 से लेकर सन् 1923 तक अंग्रेज़ों से माफी मांगते रहे, उन्होंने छः माफीनामे लिखे और सन् 1923 के बाद वह लगातार ही इस देश की जनता को बांटने की बात करते रहे। नफरत और हिंसा की...
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