Tuesday, March 19, 2024

सत्याग्रह की राह पर राहुल गांधी, कर्नाटक के कोलार से शुरू करेंगे ‘सत्यमेव जयते’ अभियान

नई दिल्ली। लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने के बाद भी राहुल गांधी अडानी समूह के मुद्दे पर चुप होकर नहीं बैठे हैं, वह 5 अप्रैल को कर्नाटक के कोलार से ‘सत्यमेव जयते’ अभियान की शुरुआत करेंगे। यह वही जगह है, जहां 2019 में उन्होंने ‘मोदी सरनेम’ को लेकर बयान दिया था। इस बयान पर गुजरात के बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने मानहानि का मुकदमा दायर किया और राहुल गांधी लोकसभा सदस्यता चली गई।

कर्नाटक के कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि कोलार से 5 अप्रैल को ‘सत्यमेव जयते’ आंदोलन शुरू किया जायेगा। फिर यह आंदोलन पूरे देश में चलेगा। कर्नाटक कांग्रेस ने कोलार से आंदोलन के लिए राहुल से बात की और वे तैयार हो गए। कर्नाटक इकाई ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी है। डी के शिवकुमार ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य नेताओं की मौजूदगी में राहुल कोलार की धरती से बदलाव का संदेश देंगे।

राहुल गांधी लगातार यह कह रहे हैं कि आरएसएस-भाजपा को सिर्फ सामान्य चुनावी राजनीति से पराजित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि उन्होंने लोकतंत्र को संचालित करने वाली करीब-करीब सभी संस्थाओं पर कब्जा कर लिया है, जो चुनावी राजनीति को संचालित और नियंत्रित करती हैं। इसमें चुनाव आयोग भी शामिल है। राहुल गांधी यह बात बार-बार सही साबित हो रही है।

अब तो अदालत और कानूनी प्रक्रियाओं का इस्तेमाल भी विपक्ष के खिलाफ राजनीतिक हथियार के रूप में किया जा रहा है। इसका सबसे ताजा उदाहरण अदालत और कानूनी का इस्तेमाल करके राहुल गांधी की संसद की सदस्यता छीन लेना है।

ऐसी स्थिति में राहुल गांधी के जनता के बीच जाना और संघर्षों का रास्ता चुनना ही एकमात्र वह तरीका दिखाई दे रहा है, जिससे भाजपा को पराजित किया जा सकता है। इसी सोच के साथ राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा किया था। जिसका बड़ा असर भारतीय समाज और राजनीति दोनों पर पड़ा। राहुल का एक नया संघर्षशील व्यक्तित्व सामने आया। राजनीतिक गलियारों में उन्हें गंभीरता से लिया जाने लगा। अब उन्हें पप्पू के रूप में प्रस्तुत करने की भाजपा की कोई कोशिश कामयाब नहीं हो रही है।

भारत की व्यापक जनता से जुड़कर और जनसंघर्षों के रास्ते ही आरएसएस-भाजपा के शिकंजे से भारत को मुक्त कराया जा सकता है, शायद इसी समझ को आगे बढ़ाने के लिए राहुल गांधी ने सत्यमेव जयते आंदोलन की शुरूआत की है। मई में होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत और भाजपा की राह न केवल कांग्रेस के लिए बल्कि भारतीय लोकतंत्र को बचाने के संघर्ष में एक अहम चीज बन सकती है। सत्यमेव जयते आंदोलन के लिए कर्नाटक कोलार का चुनाव इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। लेकिन भारत जोड़ो यात्रा की तरह इस आंदोलन में भी राहुल गांधी को जनता के बुनियादी मुद्दे को केंद्र में रखना होगा। राहुल बनाम मोदी जैसी स्थिति कर्नाटक में भाजपा के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकती है।

राहुल गांधी को 23 मार्च को सूरत कोर्ट ने मानहानि के मामले में दोषी ठहराया था। कोर्ट के फैसले के अगले दिन ही लोकसभा सचिवालय की ओर से उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई। इतना ही नहीं राहुल की सदस्यता जाने के बाद उनके को सरकारी बंगला भी खाली करने का नोटिस दिया गया है। उन्हें 22 अप्रैल तक बंगला खाली करने का समय दिया गया है। राहुल गांधी दिल्ली के लुटियंस जोन स्थित 12, तुगलक रोड पर सरकारी आवास में रहते हैं। इस बंगले में राहुल 2005 से ही रह रहे थे। सरकारी आवास खाली करने का नोटिस मिलने के बाद सोशल मीडिया पर “मेरा घर, आपका घर” अभियान शुरू किया है। इसके साथ ही पार्टी ने देश के हर राज्य में प्रेस कांफ्रेसकर मोदी-अडानी संबंध पर सवाल पूछा है।

राहुल गांधी को लोकसभा सदस्यता से अयोग्य ठहराने के मुद्दे पर कांग्रेस और राहुल गांधी को अदालत से ज्यादा आंदोलन पर भरोसा है। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस इस मुद्दे पर अदालत नहीं जाएगी, लेकिन पार्टी ने तय किया है केंद्र सरकार की तानाशाही के विरोध में अब सड़क पर संघर्ष करना होगा। यह किसी एक व्यक्ति की संसद सदस्यता बचाने का सवाल भर नहीं है बल्कि पूरे मुल्क को बचाने की चुनौती है।

कांग्रेस नेता कार्ती चिदंबरम ने एक वीडियो शेयर कर राहुल गांधी की संसद सदस्यता से अयोग्य ठहराने को भारत के न्यायिक इतिहास की अभूतपूर्व घटना है।

कांग्रेस मोदी सरकार के विरोध में सड़कों पर उतर रही है। ब्लॉक, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन का खाका तैयार किया गया है। कांग्रेस अब न सिर्फ वर्तमान राजनीतिक मुद्दों पर आंदोलन की राह पर है, बल्कि आजादी के पहले दलितों-पिछड़ों और महिलाओं के हक और बराबरी के लिए शुरू किए गए आंदोलन की याद फिर से ताजा करने में जुट गई है। इसी सिलसिले में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे आज यानि 30 मार्च को केरल में वायकोम सत्याग्रह के शताब्दी समारोह में शामिल हुए।

क्या है वायकोम सत्याग्रह

वायकोम सत्याग्रह (1924–25) में केरल में चलाया गया था। यह सत्याग्रह दलितों (एडवा समुदाय) के लोगों को मंदिर में प्रवेश कराने को लेकर था। यानि यह छुआ-छूत की कुप्रथा के विरुद्ध था। इसका उद्देश्य निम्न जातीय एवं अछूतों को गांधी के अहिंसावादी तरीके से त्रावणकोर के एक मंदिर के निकट की सड़कों के उपयोग के बारे में अपने-अपने अधिकारों को मनवाना था। सर्वप्रथम हिन्दू मंदिरों में प्रवेश तथा सार्वजनिक सड़कों पर हरिजनों के चलने को लेकर त्रावनकोर के ग्राम ‘वायकोम’ में आंदोलन शुरू हुआ।

30 मार्च, 1924 को के.पी. केशव के नेतृत्व में सत्याग्रहियों ने मंदिर के पुजारियों तथा त्रावनकोर की सरकार द्वारा मंदिर में प्रवेश को रोकने के लिए लगाई गई बाड़ को पार कर मंदिर की ओर कूच किया। सभी सत्याग्रहियों को गिरफ़्तार किया गया। इस सत्याग्रह के समर्थन में पूरे देश से स्वयंसेवक वायकोम पहुंचने लगे थे। मार्च 1925 में गांधी जी के नेतृत्व में त्रावणकोर की महारानी से मंदिर में प्रवेश के बारे में आंदोलनकारियों से समझौता हुआ।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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