Friday, April 26, 2024

किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

विनीत नारायण का चीफ जस्टिस एनवी रमना को लिखा गया यह पत्र उनके फेसबुक वाल पर है।

योर लार्डशिप!

देर से आप बार-बार किसान आंदोलन, विरोध और धरना जारी रखने के औचित्य पर सवाल उठाते रहे हैं कि तीनों किसान अधिनियमों पर पहले ही रोक लगा दी गई है। भारत सरकार ने आश्वासन दिया है कि ये अधिनियम एससीआई के अंतिम परिणाम तक निलंबित रहेंगे। आप यह भी कहते हैं कि इस तरह के आश्वासन के साथ इस आंदोलन का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि इससे आम जनता को असुविधा हो रही है।

मैं आपके लॉर्डशिप से अपील करता हूं कि इन सभी मामलों की सुनवाई और अंतिम रूप से जल्द से जल्द सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर निपटारा करें।
यह गंभीर चिंता और राष्ट्रीय हित का विषय है। किसानों और देशवासियों की पीड़ा को देखते हुए इन मामलों को लगभग एक साल तक लंबित रखने का कोई औचित्य नहीं है।
विनीत नारायण,वरिष्ठ पत्रकार,नई दिल्ली

दरअसल उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि जब किसानों ने कृषि कानूनों को अदालत में चुनौती दी है तो फिर विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं। उच्चतम न्यायालय ने तो कृषि कानूनों के अमल करने पर रोक लगा रखी है। तो फिर किसान किस बात का विरोध कर रहे हैं। केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल ने कहा कि अदालत को कहना चाहिए कि जब कानून पर पहले से ही सुनवाई चल रही है तो विरोध नहीं चल सकता। यह दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की ओर ले जाता है।

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि कल लखीमपुर खीरी में घटना हुई। 8 लोगों की की मौत हो गई। विरोध इस तरह नहीं हो सकता। जस्टिस खानविलकर ने कहा कि जब आंदोलन के दौरान कोई हिंसा होती है, सार्वजनिक संपत्ति नष्ट होती है तो कोई जिम्मेदारी नहीं लेता। जान माल की हानि होती है, कोई जिम्मेदारी नहीं लेता। एसजी तुषार मेहता ने कहा कि जब मामला पहले से ही अदालत में है तो लोग सड़कों पर नहीं उतर सकते।
जस्टिस एएम खानविलकर की अगुआई वाली पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि एक ओर तो आप कोर्ट में याचिका दायर कर न्याय मांगने आए हैं और दूसरी ओर विरोध-प्रदर्शन भी जारी है। याचिकाकर्ता किसान महापंचायत के वकील अजय चौधरी ने कहा कि यहां उच्चतम न्यायालय में हमने अपनी याचिका में एमएसपी को लेकर समानता का जिक्र किया है। उसमें हमने फसल खरीद का एमएसपी और उपभोक्ता के लिए भी अधिकतम खरीद मूल्य भी तय करने की बात की है। ताकि कोई कॉरपोरेट हाउस मनमानी नहीं कर सके। एमएसपी (मिनिमम सपोर्ट प्राइस) से नीचे खरीद कर एमएसपी (मैक्सिमम सेलिंग प्राइस) से ऊपर न बेच सके।
इस बीच, कृषि कानूनों को लेकर किसानों के चलते हाइवे जाम करने के खिलाफ याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने संयुक्त किसान मोर्चा के 43 किसान संगठनों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले पर 20 अक्‍टूबर को सुनवाई होगी। हरियाणा सरकार ने उच्चतम न्यायालय में संयुक्त किसान मोर्चा के तहत 43 किसान संगठनों को पक्षकार बनाने की अर्जी दाखिल की है। अर्जी में नेताओं राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, दर्शन पाल का नाम शामिल है। जनहित याचिका में पक्षकार बनाने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने ही इजाजत दी थी।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमने समितियों का गठन किया और किसानों को चर्चा के लिए आमंत्रित किया, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वे इस मामले में पक्षकार नहीं हैं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालतों ने जो निर्धारित किया है, उसे आपको लागू करना होगा लेकिन अगर आप चाहते हैं कि कोई इस मामले में पक्षकार बने तो आपको आवेदन दाखिल करना होगा। बताएं कि आपने अब तक क्या किया है।

उच्चतम न्यायालय ने याचिकाकर्ता मोनिका अग्रवाल से पूछा – क्या स्थिति में कोई सुधार हुआ है?मोनिका अग्रवाल ने कहा-नहीं। एसजी तुषार मेहता ने कहा कि हमने तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर किसान नेताओं को बुलाया था और अन्य स्थान पर धरने का प्रस्ताव दिया था,लेकिन उन्होंने अस्वीकार कर दिया। इस पर सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि आप इस मामले में अदालत में आवेदन क्यों नहीं करते। एसजी ने कहा कि ठीक है हम दाखिल कर देंगे।

इसके पहले, हरियाणा सरकार ने उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दाखिल किया और कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों को हाईवे से जाम हटाने के लिए मनाने की कोशिश जारी रहेगी। राज्य ने उच्चतम न्यायालय को बताया है कि किसान सार्वजनिक स्थानों पर आंदोलन के मुद्दे को हल करने के लिए गठित पैनल से नहीं मिले। किसानों के लंबे आंदोलन के कारण आम जनता को “बड़ी कठिनाई” का सामना करना पड़ रहा है।

किसानों को सड़कों से हटाने के लिए मनाने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह इस समस्या का कोई हल निकाले नोएडा की रहने वाली मोनिका अग्रवाल ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया कि नोएडा से दिल्ली को जोड़ने वाली सड़कें किसान आंदोलन के चलते बंद हैं और इसकी वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इन सड़कों को खोला जाना चाहिए।
(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

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