Saturday, April 20, 2024

कानपुर: परिजनों की इच्छा के विरुद्ध पुलिस ने कराया मां-बेटी का अंतिम संस्कार

कानपुर। आज सुबह पुलिस-पीएसी की भारी मौजूदगी की बीच बिठूर में गंगा के किनारे मां-बेटी को एक बार फिर अग्नि को समर्पित कर अंतिम संस्कार कर दिया गया। मां-बेटी के दाह-संस्कार के लिए गंगा घाट पर भारी संख्या में पुलिस-पीएसी को तैनात किया गया था। प्रशासन ने पहले ही अंतिम संस्कार के लिए सारी तैयारी पूरी कर ली थी। बिठूर में सुबह से ही बैरिकेट लगाकर भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया था।

जिला प्रशासन ने मृतक के परिजनों की इच्छा के विरुद्ध घटनास्थल पर (जहां पर मां-बेटी जली थी) उस जगह पर अंतिम संस्कार करने से रोक दिया। प्रशासन का दावा है कि कुछ रिश्तेदारों के समझाने के बाद मृतक के परिजनों ने गंगा किनारे अंतिम संस्कार करने पर राजी हो गए।

चाहला गांव के चारों तरफ सन्नाटा है। गांव को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। माहौल का सन्नाटा बीच-बीच में पुलिस-पीएसी के बूटों की आवाज से टूटती है। हर कोई अपने घर के अंदर कैद है या घर छोड़कर दूसरे गांवो में रिश्तेदारों के यहां चला गया है।

पीड़ित परिजन योगी सरकार के आश्वासन और जिला प्रशासन की निगरानी के बीच झूल रहा है।पहले परिजन दोनों शवों को रखकर अपनी मांग पूरी करने की बात कर रहे थे। कानपुर के कमिश्नर राजशेखर ने पीड़ित परिवार की डिप्टी सीएम से बात करवायी। कमिश्नर के मुताबिक मुख्यमंत्री ने डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को पीड़ित परिवार से बातचीत करने के लिए अधिकृत किया था।

वीडियो कॉल पर डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के सामने पीड़ित परिवार ने अपनी मांगें रखीं। इसके बाद जिला प्रशासन व शासन स्तर पर जल्द से जल्द मांगों को पूरा करने के लिए आश्वासन दिया गया। डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के आश्वासन के बाद परिजन पोस्टमार्टम कराने को तैयार हो गए और घटना के 24 घंटे बाद शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। रात में ही कानपुर देहात जिला अस्पताल में पैनल पोस्टमार्टम हुआ। पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी कराई गयी। पोस्टमार्टम के बाद परिजन शवों को घर ले आये।

कांग्रेस का जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन

कानपुर देहात के मैथा तहसील के मड़ौली पंचायत के चाहला गांव में मां-बेटी की जलाकर की गई निर्मम हत्याकांड के ख़िलाफ़ आज पूरे प्रदेश में जिला मुख्यालयों पर कांग्रेस विरोध प्रदर्शन कर रही है। कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधि दल ने राज्यपाल से मिलने के लिये समय मांगा। लेकिन राज्यपाल ने मिलने का समय नहीं दिया। राज्यपाल से मिलने जाते समय यूपी कांग्रेस अध्यक्ष बृजलाल खाबरी, नकुल दुबे, नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी, अनिल यादव को पुलिस ने रोका लिया। जिसके बाद प्रदेश अध्यक्ष सड़क पर बैठ गये। उनके साथ तमाम कांग्रेस के नेता भी धरने पर बैठे हैं। वहीं दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर भारी मात्रा में पुलिस बल भेजकर उसे पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है।

घटनास्थल पर ही बनेगी समाधि

पीड़ित बेटे शिवम ने कहा है कि मां-बहन का समाधि उसी जगह पर बनायी जायेगी, जहां दोनों को जिंदा जलाया गया है। उस जमीन के लिए दोनों ने अपनी जान दे दी। उन्होंने बताया कि जिस ज़मीन पर बाबा ने पेड़ लगाए थे और वह रहते थे, उसी जमीन पर अब दो दशक से पूरा परिवार झोपड़ी डालकर रह रहा था। उसे गांव के कुछ लोगों के इशारे पर लेखपाल और एसडीएम मिलकर खाली कराने पर अमादा थे। बता दें कि मृतक महिला का बड़ा बेटा शिवम बजरंग दल में सह संयोजक है।
अभी तक क्या कार्रवाई हुई

मड़ौली गांव में सोमवार को अवैध कब्जा हटाने की कार्रवाई के दौरान संदिग्ध हालात में जलीं मां-बेटी के मामले में एफआईआर दर्ज करने के बाद लेखपाल अशोक सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। वहीं, डिविजनल कमिश्नर राजशेखर ने बताया कि मैथा तहसील के एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद को भी निलंबित कर दिया गया है। उन्हें मैथा तहसील से हटाकर डीएम दफ्तर से अटैच कर दिया गया। मंगलवार रात 10 बजे के आसपास बुलडोजर चलाने वाले दीपक कुमार को भी गिरफ्तार कर लिया गय़ा।

मामले में अशोक दीक्षित, अनिल दीक्षित, निर्मल दीक्षित, विशाल, बुलडोजर ड्राइवर दीपक, एसडीएम मैथा ज्ञानेश्वर प्रसाद, लेखपाल अशोक सिंह, रूरा थाने के एसओ दिनेश कुमार गौतम, बुलडोजर ड्राइवर के 10-12 सहयोगी, तीन अज्ञात लेखपाल, कानूनगो, 12-15 महिला और पुरुष पुलिसवालों के खिलाफ हत्या 302, हत्या के प्रयास 307, किसी की अचल संपत्ति या उपासनास्थल को नुकसान पहुंचाने 436, मवेशियों को मारने 429 और धारा-34 आईपीसी में रिपोर्ट लिखी गई है।

महिला कल्याण मंत्री ने डीएम के खिलाफ़ मोर्चा खोला

महिला कल्याण राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला वारसी ने डीएम नेहा जैन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने सोमवार देर रात कहा कि एक महीने पहले कृष्ण गोपाल का घर गिराए जाने की सूचना पर वह गांव आई थीं। मौके से ही डीएम को फोन किया था। डीएम ने आश्वासन दिया था कि वह मामला देख लेंगी, लेकिन यह नहीं पता था कि डीएम महिला होकर इतनी निष्ठुर होंगी। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार डीएम से मिलने भी गया था, लेकिन उन्हें वहां से भगा दिया गया और उनके खिलाफ़ मुकदमा भी लिखा दिया।

मंगलवार देर शाम जब मां-बेटी के शव का पोस्टमॉर्टम हो रहा था, तभी राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला, उनके पति पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी भी मौके पर पहुंच गये। ठीक तभी ‘मैं हूं ब्राम्हण महासभा’ के कुछ पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे। इन पदाधिकारियों ने सोमवार को घटना के बाद राज्यमंत्री के सामने ही गांव में उनके विरुद्ध अभद्र टिप्पणी की थी। अतः जब वही पदाधिकारी पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचे तो अनिल शुक्ला वारसी से इसी बात पर बहस हो गई। राज्यमंत्री के सामने गाली गलौज भी हुआ। इस दौरान वहां मौजूद बारा जिला पंचायत सदस्य कृष्णा गौतम ने चप्पल लेकर ‘मैं हूं ब्राम्हण महासभा’ के पदाधिकारियों को पीटना शुरू कर दिया।

डीएम, एसएचओ अभी भी आत्महत्या साबित करने में लगे

कानपुर की डीएम नेहा जैन ने बयान दिया है कि पीड़ित परिवार ने ग्राम सभा की ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा करके पक्का निर्माण कर लिया था, शिकायत पर उसे हटा दिया गया। इसके बाद कृष्ण गोपाल ने वहीं पर झोपड़ी बना ली। इस पर एसडीएम मैथा को कार्रवाई के लिए कहा था। सामान हटाने के लिए महिला से कहा तो उन्होंने बेटी के साथ आग लगा ली। डीएम के इस बयान से ग्रामीणों में नाराजगी है। मौके पर पहुंचे प्रशासन के लोग भी यही बात बताते रहें। पुलिस का कहना है कि अतिक्रमण दस्‍ते के आने के बाद नाराज़ होकर मां-बेटी ने झोपड़ी का दरवाजा बंद कर लिया और खुद को आग लगा लिया।

पुलिस अधीक्षक (कानपुर देहात) बीबीजीटीएस मूर्ति ने मीडिया को बाइट देते हुये कहा कि विशाल दीक्षित ने पीड़ित प्रमिला दीक्षित के बेटे शिवम दीक्षित के खिलाफ़ ‘ग्राम समाज’ की ज़मीन पर क़ब्ज़ा करने की शिक़ायत की थी। इसी अतिक्रमण को हटाने के लिए एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद के नेतृत्व में जिला प्रशासन की टीम वहां गई थी। एसपी ने कहा कि अतिक्रमण हटाया जा रहा था, तभी मां-बेटी ने आत्मदाह कर लिया।

पट्टीदार की शिक़ायत पर हुई कार्रवाई

पीड़ित परिवार के खिलाफ़ शिक़ायत करने वाले अशोक दीक्षित, अनिल दीक्षित, निर्मल दीक्षित, विशाल दीक्षित उनके पट्टीदार हैं, और परिवार से उनकी पुरानी रंजिश चली आ रही है। कृष्ण गोपाल ने बेटे शिवम दीक्षित ने बताया है कि कार्रवाई के दौरान लेखपाल से बचने के लिए मां ने घर का दरवाजा बंद कर लिया था। इसके बाद लेखपाल ने झोपड़ी में पीछे की तरफ से जाकर बहन और मां के ऊपर डीजल डालकर आग के हवाले कर दिया। इसी दौरान जेसीबी से झोपड़ी ढहा दी गई।

शिवम बताते हैं कि रूरा एसओ ने उन्हें भी आग में झोंकने का प्रयास किया था। आग से मां और बहन को बचा नहीं पाए, क्योंकि सरकारी हैंडपंप को उखाड़ दिया गया था। बुलडोजर टीम ने पहले नल और मंदिर को गिराया और फिर छप्पर गिरा दिया। छप्पर गिरते समय उसमें आग लग गई। झोपड़ी में मौजूद कृष्ण गोपाल की पत्नी प्रमिला और 23 साल की बेटी नेहा की आग की चपेट में आने से जलकर मौके पर ही मौत हो गई, जबकि कृष्ण गोपाल गंभीर रूप से झुलस गए।

घटना के बाद ग्रामीण भड़क गए। उन्होंने प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाएं और कार्रवाई की मांग की। शिवम दीक्षित बजरंग दल में सह संयोजक है, अतः त्रासद घटना को अंजाम दिये जाने के बाद दर्जनों की संख्या में बजरंग दल के कार्यकर्ता भी वहां पहुंच गए। भीड़ ने मौके से बुलडोजर टीम को खदेड़ दिया। इस दौरान ग्रामीणों ने मौके पर खड़ी लेखपाल की गाड़ी को पलट दिया।

प्रदेश का जनहितकारी भला कैसे संभव है

बसपा प्रमुख मायावती ने बुधवार को कहा कि यह घटना राज्य सरकार की विज्ञापित वैश्विक निवेशक सम्मेलन से ज्यादा चर्चा में है, ऐसे में प्रदेश का जनहितकारी भला कैसे संभव है। मायावती ने बुधवार को ट्वीटर पर लिखा, “देश एवं खासकर उत्तर प्रदेश जैसे गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, पिछड़ेपन आदि से त्रस्त विशाल राज्य में भाजपा सरकार की लोगों को अति-लाचार एवं आतंकित करने वाली बुलडोजर राजनीति से अब निर्दोष गरीबों की जान भी जाने लगी है, जो अति-दुखद एवं निन्दनीय है। सरकार अपना जनविरोधी रवैया बदले।”

उन्होंने आगे कहा है कि, “कानपुर देहात जिले में अतिक्रमण हटाने के नाम पर हुई ज्यादती एवं आगजनी की घटना के दौरान झोपड़ी में रहने वाली मां-बेटी की मौत तथा 24 घण्टे बाद उनके शव उठने की घटना उत्तर प्रदेश सरकार के विज्ञापित वैश्विक निवेशक सम्मेलन से ज्यादा चर्चा में है, ऐसे में उत्तर प्रदेश का जनहितकारी भला कैसे संभव है?”

पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने घटना पर ट्वीट करके कहा है कि एक ब्राह्मण परिवार को जिंदा बुलडोज़र ने उसके घर के नीचे दबा कर मार दिया, कोई हिंदू आहत नहीं हुआ। आज का हिंदू दीपिका पादुकोण के कपड़ों के रंगों से आहत होता है।

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