“मैं दुखी हूं कि वह जेल में है पर शर्मिंदा नहीं। मुझे अपने बेटे पर गर्व है।“
-नूरजहां, एनआरसी, सीएए विरोधी राजनीतिक कैदी अतहर खान की मां
मुझे अपराध बोध होता है कि मैं अतहर खान को नहीं जानता था जो पिछले 1053 दिनों से जेल में हैं।
हम उनके बारे में क्यों नहीं जानते? जैसा कि सिद्धीक कप्पन ने इंटरव्यू के दौरान कहा, “उन कैदियों के बारे में बात करना आसान है जिनके बारे में दूसरे कई लोग बात कर रहे हैं और यह ‘सेफ ज़ोन एक्टिविज़्म‘ है। राजनीतिक पार्टियां केवल समाज के गणमान्य और जाने-माने लोगों के बारे में बात करने के लिए तैयार रहती हैं।“
क्या आपमें से किसी ने भी 28 वर्षीय अतहर खान के बारे में सुना है, जो 2 जुलाई 2020 से दिल्ली हिंसा साज़िश मामले में गैरकानूनी गतिविधि (प्रतिरोधक) कानून (यूएपीए) के तहत जेल में बंद है।
इसके कई कारण हैं कि क्यों लोग यूएपीए के कैदियों के मामले में हर किसी के बारे में बात नहीं करते। कारणों में कैदी की शैक्षणिक पृष्ठभूमि, वर्गीय और सामाजिक हैसियत, राजनीतिक जुड़ाव और धर्म आदि शामिल हैं। निचले वर्ग और वंचित पृष्ठभूमि से कई निर्दोष राजनीतिक कैदी तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ताओं का ध्यान आकर्षित करने वाले “तथाकथित कारकों “से मरहूम होते हैं और फासीवाद के खिलाफ इस रवैये के शिकार बनते हैं। अतहर खान, कमज़ोर आर्थिक वर्ग से और बिना किसी राजनीतिक जुड़ाव वाला शख्स है, जिनकी गिनती आप उक्त पीड़ितों में कर सकते हैं।
अतहर, जो सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय से डिस्टेंस एजुकेशन के ज़रिये बीबीए कर रहे थे, दिल्ली में चांद बाग सीएए-विरोधी प्रदर्शन में शामिल हुए थे। उन्होंने पुलिस से विरोध प्रदर्शन संबंधी अनुमतियां लेने से लेकर समाचार एंकरों से समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
विडंबना देखिये, अतीत में अतहर ने भाजपा नेता कपिल मिश्रा के साथ काम किया था। जब कपिल आम आदमी पार्टी में थे। कपिल विधायक के पद से दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य करार दिये जाने के बाद भाजपा में शामिल हुए थे। जिस चुनाव में कपिल आप के प्रतिनिधि के तौर पर विधायक बने थे, अतहर ने कपिल के सोशल मीडिया का प्रबंधन किया था।
23 फरवरी 2020 को वह कपिल ही थे जिन्होंने जाफराबाद, दिल्ली में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को जबरन हटाने की धमकी देकर हिंसा को उकसाया था। उन्होंने ही संघ परिवार के सदस्यों को प्रदर्शनकारियों के खिलाफ उकसाया था और हिंसा भड़काई थी यह भाषण देकर, “मैं यह आप सबकी तरफ से कह रहा हूं। हम ट्रंप की वापसी तक शांति से मिलजुलकर रहेंगे। उसके बाद, यदि सड़कें खाली नहीं हुईं, मैं आपकी बात नहीं सुनूंगा। “2022 और 2023 में भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरती भाषण देने के बावजूद आज भी कपिल आजाद हैं।
अतहर को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने पूछताछ के लिए बुलाया था और उसी दिन गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि, पुलिस ने यह दावा किया कि उन्हें उनके घर से गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने अतहर, आप पार्षद ताहिर हुसैन और पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत जहां समेत 15 कार्यकर्ताओं के खिलाफ 17000 पृष्ठों का अपराध पत्र दाखिल किया। आप ने ताहिर को अयोग्य करार देकर अपना असली रंग दिखाया। क्या कांग्रेस ने इशरत के लिए कोई राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया?
जब संघ परिवार ने दिल्ली में मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा फैलाई, कपिल मिश्रा ने अतहर की फोटो ट्वीट की और उन्हें दंगों के पीछे मास्टरमाइंड करार दिया। परिवार को लगता है कि कपिल ने अतहर को आप से विवाद के समय साथ न देने के कारण ही निशाना बनाया।
अतहर जैसे राजनीतिक कैदी, जिन्होंने न सिर्फ ब्राह्मणवादी हिंदुत्व फासीवाद का प्रतिरोध किया बल्कि कपिल मिश्रा के सत्ता के लालच से भी दूर रहे, को सामने लाना ज़रूरी है। ज़मीनी स्तर पर कार्य करने वाले अतहर जैसे राजनीतिक कैदियों की गाथाएं साझा करने की ज़रूरत है।
अतहर खान के लिए आवाज़ उठाएं!
सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करें!
कड़े कानून निरस्त करें!
(रेजाज़ एम शीबा सिदीक की फेसबुक पोस्ट का अनुवाद महेश राजपूत ने किया है।)