पाक पीएम इमरान सुप्रीम कोर्ट में तलब; मिली फटकार, जज बोले- आपके पास होने चाहिए सवालों के जवाब

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क्या भारत के उच्चतम न्यायालय के तत्कालीन चीफ जस्टिसों जस्टिस जे एस खेहर, जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एसए बोबडे ने इस खबर को देखा होगा, जिसमें कहा गया है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान बुधवार को पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ के समक्ष पेश हुए और सफाई देते हुए कहा कि पाकिस्तान में कोई भी ‘पवित्र गाय’ नहीं है। मैं कानून के शासन में विश्वास करता हूं। आर्मी पब्लिक स्कूल (एपीएस) हत्याकांड से संबंधित एक मामले में चीफ जस्टिस की ओर से तलब किए जाने के बाद इमरान खान मंगलवार को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे।

इमरान को कोर्ट ने फटकार भी लगाई और कहा कि आपके पास सवालों के जवाब होने चाहिए। क्या जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एसए बोबडे को शर्म आई होगी कि जिस पकिस्तान के बारे में आम धारणा है कि वहां लोकतंत्र नहीं है बल्कि शक्तिशाली सेना के प्रति प्रतिबद्ध सरकार है वहां का सुप्रीम कोर्ट इतना ताकतवर है कि प्रधानमन्त्री को कोर्ट में तलब कर सकता है और प्रधानमन्त्री को पेश होकर सफाई देनी पड़ सकती है। यहाँ तो भारत में प्रधानमन्त्री को तलब करना तो दूर पिछले चार चीफ जस्टिसों ने न्यायपालिका को सरकार के कदमों में लिटा रखा था और संविधान और कानून के शासन पर राष्ट्रवादी मोड को तवज्जो दिया जा रहा था।  

गौरतलब है कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के लड़ाकों ने 16 दिसंबर 2014 को पेशावर में आर्मी पब्लिक स्कूल पर हमला कर दिया था। इस नरसंहार में 140 लोग मारे गए थे जिसमें ज्यादातर स्कूली बच्चे थे। सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में बच्चों के माता-पिता ने तत्कालीन देश के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की थी। साथ ही कोर्ट से घटना की पारदर्शी जांच का भी अनुरोध किया था। अदालत ने अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान को स्थिति की समीक्षा करने और आवश्यक कदम उठाने और अदालत को सूचित करने के लिए कहा था। चाहे वह जांच हो या जिम्मेदार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करना।

सोमवार को जब सुनवाई फिर से शुरू हुई तो पाकिस्तान के चीफ जस्टिस ने इमरान खान को पीठ के सामने पेश होने के लिए तलब किया। कोर्ट में जस्टिस एजाज उल अहसन ने कहा कि शहीद बच्चों के माता – पिता हमले के समय के शासकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इमरान खान ने कहा कि जब नरसंहार हुआ तब उनकी पार्टी खैबर पख्तूनख्वा में सत्ता में थी। घटना के बाद वह अस्पतालों में बच्चों के माता-पिता से मिले थे लेकिन वे सदमे और दुःख में थे इसलिए उनसे ठीक से बात करना संभव नहीं था।

चीफ जस्टिस ने कहा कि पीड़ितों के माता-पिता सरकार से मुआवजे की मांग नहीं कर रहे थे। वे सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं। हमारे व्यापक आदेशों के बावजूद कोई कदम नहीं उठाए गए। इमरान खान ने कहा कि एपीएस नरसंहार के बाद एक राष्ट्रीय कार्य योजना पेश की गई थी। उन्होंने कोर्ट में कहा कि पाकिस्तान में कोई ‘पवित्र गाय’ नहीं है। हमने आतंकवाद के खिलाफ जंग जीती है। उस समय हर रोज बम धमाके हो रहे थे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को एपीएस स्कूली बच्चों के माता – पिता की बात सुननी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। इमरान खान ने आश्वासन दिया कि सरकार न्याय दिलाने का काम करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री को अपने 20 अक्टूबर के फैसले पर अमल सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। इस पर इमरान खान ने कहा, ‘एक मिनट रुकिए जज साहब! अल्लाह स्कूली बच्चों के माता – पिता को सब्र देगा, सरकार मुआवजा देने के अलावा और क्या कर सकती है ?’

चीफ जस्टिस ने इमरान खान से कहा कि पता करें कि 80,000 लोग क्यों मारे गए ? यह भी पता करें कि पाकिस्तान में हुए 480 ड्रोन हमलों के लिए कौन जिम्मेदार है।’ चीफ जस्टिस ने कहा कि इन चीजों के बारे में पता लगाना आपका काम है। आप प्रधानमंत्री हैं। प्रधानमंत्री के रूप में आपके पास इन सवालों का जवाब होना चाहिए। उन्होंने इमरान खान से कहा कि इस त्रासदी को हुए सात साल बीत चुके हैं। प्रधानमंत्री जी, हम कोई छोटा देश नहीं हैं। हमारे पास दुनिया की छठी सबसे बड़ी सेना है।’ जस्टिस अमीन ने इमरान से कहा कि वह अब नरसंहार के दोषियों (टीटीपी) को बातचीत की मेज पर लेकर आए हैं। क्या एक बार फिर से वह समर्पण दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने वाले हैं ?

जस्टिस एजाज उल अहसानी ने प्रधानमन्त्री इमरान खान से कहा कि स्कूल पर हुए हमले में मारे गए बच्चों के माता – पिता उस समय के शासकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, जब एपीएस हत्याकांड हुआ था। इसके जवाब में इमरान खान ने कहा, जब नरसंहार हुआ था, तब खैबर पख्तूनख्वा में उनकी पार्टी सत्ता में थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब आतंकवादी घटना हुई थी तब वह अस्पतालों में शोक संतप्त माता – पिता से मिले थे, चूंकि वे त्रासदी से त्रस्त थे, इसलिए उनसे ठीक से बात करना संभव नहीं था। इसके बाद चीफ जस्टिस ने खान से कहा कि पीड़ितों के माता – पिता सरकार से मुआवजे की मांग नहीं कर रहे हैं। वह पूछ रहे हैं कि (उस दिन) सुरक्षा व्यवस्था कहां थी ? हमारे आदेशों के बावजूद, कुछ भी नहीं किया गया।

साल 2014 में 16 दिसंबर को तहरीक – ए – तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के चरमपंथियों ने पेशावर में आर्मी पब्लिक स्कूल पर धावा बोल दिया था और 140 से अधिक लोगों को मार दिया। इनमें ज्यादातर स्कूली बच्चे थे।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

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