नई दिल्ली। लखनऊ स्थित घंटाघर पर धरने पर बैठी महिलाओं पर आज कोरोना नहीं बल्कि लखनऊ पुलिस गाज बनकर गिरी। खाकी वर्दीधारियों के झुंड ने अचानक हमला बोल दिया। जिसमें कई महिलाओं के घायल होने के साथ ही तीन के बेहोश होने की ख़बर है।
घंटाघर पर बैठी महिलाओं को लगातार पुलिस-प्रशासन हटाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन महिलाएँ हैं कि हटने के लिए तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि एनपीआर और एनआरसी किसी भी कोरोना से ज़्यादा ख़तरनाक है। लिहाज़ा वे क़तई धरने से नहीं उठेंगी।
बताया जा रहा है कि पुलिस ने महिलाओं के पेट पर लाठी, लात और घूसों से वार किया। मौके पर तीन महिलाएं बेहोश हो गईं और कई को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। इतना ही नहीं पुलिस धार्मिक ग्रंथ क़ुरान का भी अपमान करने से नहीं बाज आयी। पुलिस बर्बरता के ही पूरे इरादे से आयी थी। इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि हमलावर पुलिस के जवानों की वर्दी पर नेमप्लेटें नहीं थीं और उसके जवान अपने चेहरों को रुमाल से ढके हुए थे। पुलिस ने बुजुर्ग महिलाओं तक को नहीं बख्शा।
बताया जा रहा है कि पूरे इलाक़े को रैपिड एक्शन फ़ोर्स के जवानों घेर रखा है। यह पहली बार नहीं है जब पुलिस ने धरने पर बैठी महिलाओं के साथ इस तरह से बर्बर तरीक़े से पेश आयी है। पुलिस कई बार उन्हें हटाने की कोशिश में ऐसा कर चुकी है।