अनुच्छेद-370 खात्मे के खिलाफ दसियों हजार कश्मीरियों ने किया विरोध-प्रदर्शन, पैलेट गन फायरिंग में कई घायल

Estimated read time 1 min read

नई दिल्ली। अनुच्छेद 370 खत्म करने के बीजेपी सरकार के फैसले के बाद पहली बार श्रीनगर में बड़े स्तर पर विरोध-प्रदर्शन हुआ है। जिसमें हजारों की संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया है। एजेंसियों के मुताबिक कल पहली बार स्थानीय प्रशासन ने जुमा के मौके पर लोगों को अपने पास की मस्जिदों में जाने की छूट दी थी। उसके लिए प्रशासन ने 1 किमी का दायरा तय किया था। लेकिन अभी लोग बाहर निकले थे कि तभी उन्होंने जुलूस बनाकर मार्च करना शुरू कर दिया। उनके हाथों में झंडे थे और वो भारत विरोधी नारे लगा रहे थे। अल जजीरा चैनल के मुताबिक इन प्रदर्शनकारियों को काबू में करने के लिए सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले छोड़े।

अलजजीरा की ओर से जारी एक वीडियो में हजारों लोगों को सड़कों पर मार्च करते हुए देखा जा सकता है। चैनल के मुताबिक इन सभी ने कर्फ्यू को तोड़कर ये मार्च निकाला। कुछ प्रदर्शनकारियों के हाथों में काले झंडे और प्लेकार्ड्स थे। प्लेकार्डों पर ‘हम आजादी चाहते हैं’, ‘अनुच्छेद 370 का खात्मा स्वीकार्य नहीं है’ आदि लिखा हुआ था।

महिलाओं ने शुक्रवार को किया प्रदर्शन।

चैनल के मुताबिक इस भीड़ को बिखेरने के लिए पुलिस ने हवा में फायरिंग की। इसके अलावा आंसू गैस के गोले छोड़े और रबर कोटेड स्टील बुलेट्स फायर किया। इन पैलेट गनों से कुछ लोगों को गंभीर चोटे आयी हैं जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं।

रायटर्स से बात करते हुए एक पुलिस अफसर ने अपना नाम न बताने की शर्त पर कहा कि विरोध प्रदर्शन में तकरीबन 10 हजार लोग शामिल थे। प्रदर्शनकारी श्रीनगर के सौरा क्षेत्र में एकत्रित हुए और फिर उन्हें ऐवा पुल तक पीछे धकेल दिया गया।

https://twitter.com/NicolaCareem/status/1160107113890426880

एक प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक कुछ महिलाएं और बच्चे नदी में कूद गए। दूसरे ने बताया कि सुरक्षा बलों ने उन्हें दोनों तरफ से घेर लिया था।

गौरतलब है कि केंद्र ने घाटी में 10 हजार से ज्यादा अतिरिक्त सुरक्षा बलों को भेजा है। उसके पहले से ही 7 लाख सैनिकों को वहां तैनात किया गया है। इस बीच मोबाइल से लेकर इंटरनेट और संचार के सभी साधनों की बंदी जारी है। केवल दूरदर्शन अकेला चैनल है जिसका प्रसारण हो रहा है। सभी इलाकों में कर्फ्यू बना हुआ है।

आंसू गैस के गोले से बचते
युवक।

इसके पहले शुक्रवार को जुमे की नमाज पढ़ने के लिए प्रशासन ने अपने पड़ोसी मस्जिदों में नमाजियों को एक घंटे की छूट दी थी। हालांकि मुख्य जामा मस्जिद को बंद रखा गया था। मौके पर तैनात पुलिस अफसरों ने रायटर्स को बताया कि उन्हें लगातार युवकों के पत्थरों का सामना करना पड़ रहा है।

यूनिवर्सिटी में काम करने वाले एक कर्मचारी ने रायटर्स से कहा कि “अगर वो निहत्थे कश्मीरियों के खिलाफ बल का प्रयोग किए हैं तो हम भी उसी ताकत के साथ उसकी प्रतिक्रिया देंगे।”

उन्होंने बताया कि हमें भारत सरकार में कोई विश्वास नहीं है। उन्हें हमें विरोध करने देना चाहिए। वरना केवल हथियारबंद संघर्ष ही विकल्प बचेगा।

कश्मीर के रहने वालों को इस बात की आशंका है कि बीजेपी विशेष दर्जा छीनने के बाद वहां बाहरी लोगों को बसाने और जमीन खरिदवाने के जरिए सूबे की जनसंख्या के चरित्र को बदलने की कोशिश करेगी।

हफिंगटन पोस्ट के एक पत्रकार ने महाराजा हरि सिंह अस्पताल का दौरा करने पर पाया कि पैलेट गन से घायल होने के बाद कुछ लोगों को वहां भर्ती किया गया है। जिसमें सात पुरुष और एक महिला शामिल थी। इन लोगों का कहना था कि उन्होंने श्रीनगर के निचले हिस्से में स्थित नौहट्टा इलाके में एक प्रदर्शन देखा जहां सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर पैलेट गन का इस्तेमाल किया। अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि वे पिछले तीन दिनों से तकरीबन 40 लोगों का इलाज कर रहे हैं जो पैलेट गन से घायल हो गए थे।

अस्पताल में भर्ती राफिया और दूसरा युवक।

अस्पताल में भर्ती 31 साल की राफिया बानों की आंख में चोट लगी है। उनकी मां महमूदा अख्तर ने बताया कि अल्लाह ने उसकी आंख को बचा दिया। उसके पास एक बच्चा है जिसकी उसे देखभाल करनी है।

राफिया ने बताया कि “जब उन्होंने पैलेट गन से फायर किया तो मैं अपने कोर्टयार्ड में थी।” मुझे महसूस हुआ कि मेरी आंखें जल रही हैं जैसे किसी ने उसमें आग लगा दी हो।

पुरुषों के वार्ड में एक युवक ने अपना नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि वह नौहट्टा में अपने एक मित्र से मिलने जा रहा था तभी वह एक विरोध-प्रदर्शन की चपेट में आ गया और फिर पैलेट गन का निशाना बन गया।

अस्पताल के बाहर काला झंडा।

उधर, मरीजों का इलाज करते हुए हरि सिंह अस्पताल के डाक्टरों ने अस्पताल के सामने काले झंडे फहरा रखे हैं। इससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि केवल जनता ही नहीं बल्कि संस्थाओं के स्तर पर भी इस फैसले का पुरजोर विरोध हो रहा है।

इस बीच, गृहमंत्रालय ने इस प्रदर्शन का खंडन किया है। उसकी एक प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा है कि रायटर्स के हवाले से सामने आयी खबर जिसमें 10 हजार लोगों के एक प्रदर्शन में भाग लेने की बात कही गयी है, बिल्कुल मनगढ़ंत और असत्य है। श्रीनगर और बारामुला में कुछ छिटपुट घटनाएं हुई हैं। इनमें से किसी में 20 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा नहीं लिया है।

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author