‘नदियों के किनारे घर बने हैं/बाढ़ की संभावनाएं सामने हैं।’ पंजाब में लगातार कहर ढहाती रिकॉर्ड तोड़ मूसलाधार बारिश यही कहती है। समूचा सूबा आसमान से बरसती आफत से बेइंतहा बेजार है। पड़ोसी राज्यों हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में भी ठीक यही स्थिति है। स्कूलों में छुट्टियों की घोषणा कर दी गई है और अति संवेदनशील इलाकों में गांव खाली कराए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की हिदायत पर मंत्री, विधायक और वरिष्ठ से कनिष्ठ अधिकारी खुद फील्ड में उतरे हुए हैं।
प्राकृतिक आपदा पर किसका बस? पंजाब में कई जगह हालात से निपटने के लिए फौज बुला ली गई है। अर्धसैनिक बल भी हर जिले में पुलिस की सहायता से जलभराव में घिरे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने में लगे हुए हैं। तकरीबन चार दशक के बाद पंजाब के लोग अपने घरों और सामान को जैसे का तैसा छोड़कर कैंपों में जाने को मजबूर हो गए हैं। अनेक रेलगाड़ियां स्थगित कर दी गई हैं और लंबे रूट पर चलने वाली बसें भी।
शासन-व्यवस्था का मानना है कि अगर और बारिश होती है तो चौतरफा तबाही का आलम होगा। इस सरहदी प्रदेश का ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर भारत का। इस बार बारिश का कहर समूचे उत्तर भारत में एक जैसी गति के साथ बरपा है। हजारों एकड़ फसल सौ फीसदी बर्बाद हो गई है। वे किसान भी जबरदस्त दुश्वारी में आ गए हैं जिन्होंने फसली चक्र से निकलकर अन्य फसलों की बिजाई की। धान की तबाही का अंदाजा बारिश रुकने के बाद लग पाएगा। आंकड़ों का गणित कुछ भी कहे, किसानोंं के तन-मन पर बेइंतहा बर्बादी के हस्ताक्षर हो चुकेे हैं।
24 घंटों में मूसलाधार बारिश के चलते कितने ही कच्चे-पक्के घर गिर गए। काफी घर और इमारतें खंडित हो गईं। बारिश निरंतर जारी रहती है तो उनका भी गिरना तय है। घर ध्वस्त होने, पेड़ और आकाशीय बिजली गिरने और भूस्खलन की वजह से 30 से ज्यादा लोगों की मौत अब तक हो चुकी है। अजब है कि इस बार पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में बारिश की तबाही का पैटर्न तकरीबन एक जैसा रहा।

राज्य की राजधानी चंडीगढ़ में भी बारिश ने पिछले तमाम रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इलाके में शनिवार सुबह से शुरू हुई जानलेवा बारिश रविवार रात को बंद हुई और उसके बाद रविवार आधी रात से तड़के तक हल्की बारिश होती रही। इसके भी अपने नुकसान हैं। फसलों और कच्चे घरों के लिए। उनके लिए भी जो खुली छत के नीचे हैं। झोपड़ियां तो खैर तिनकों की तरह बह गईं। हर जिले के शहर, कस्बों और गांवों से ऐसी खबरें हैं।
बेशुमार दुधारू जानवर बारिश ने लील लिए। उनके पालनहार उनके जरिए अपनी रोजी-रोटी चलाते थे। जालंधर से सटे गांव मंड में दूध का कारोबार करने वाले असीम गुज्जर का कहना था कि झोपड़ियों के साथ-साथ उनके दुधारू जानवर भी बह गए। इस सवाल का जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है कि अब वे क्या करेंगे? पीड़ित प्रशासन के भरोसे हैं और प्रशासन नजर न आने वाले किसी भगवान के भरोसे।
पिछले चौबीस घंटो में पंजाब में 57.5 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य 4.6 मिमी के मुकाबले 1151 प्रतिशत ज्यादा है। राज्य की राजधानी चंडीगढ़ में 24 घंटे में 322 मिमी बारिश दर्ज की गई। रविवार को 290.9 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य से 6826 प्रतिशत ज्यादा है। भारी बारिश के चलते मोहाली समेत पंजाब के ज्यादातर जिलों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। कई लोगों की मौत हो गई है। जानवरों की भी। रोपड़ के नूरपुर बेदी में खड्ड बठलोग के ग्रामीण सुखविंदर सिंह की मिट्टी का तोंदा गिरने से जान चली गई। एक घुमंतू साधु की डूबने से मौत हो गई।
कपूरथला, पटियाला, होशियारपुर, मोगा, बठिंडा, मानसा, मोहाली, जालंधर, पठानकोट और जालंधर के कई गांवों में सात से आठ फुट तक पानी भर गया है और वह लगातार दूषित हो रहा है। पूरी तरह जलभराव वाले गांवों की छत्तों पर भूखे-प्यासे लोग सुरक्षित निकलने का रास्ता देख रहे हैं। पटियाला में प्रशासन ने बाढ़ का सीधा अलर्ट जारी कर निचले इलाकों में मकान खाली करवा लिए हैं।

मोहाली में हालात काबू करने के लिए फौज को बुलाया गया है। मोहाली के डेराबस्सी में गुलमोहर हाउसिंग सोसाइटी में पानी भरने से लोगों को महफूज बाहर निकालने के लिए बोट इस्तेमाल की गईं। चंडीगढ़, रोपड़, नवांशहर, फिरोजपुर, पटियाला, फतेहगढ़ साहिब और मोहाली के तमाम स्कूलों में छुट्टी कर दी गई है। सुखना लेक के दोनों फ्लडगेट खोल दिए गए हैं।
शहीद भगत सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से कई उड़ानें रद्द कर दी गईं। बाढ़ की वजह से रोपड़-नंगल रेल ट्रैक उखड़ गया है। फिरोजपुर में भी ट्रैक पानी में डूबने से ट्रेनों की आवाजाही बाधित है। उत्तर रेलवे ने इन पंक्तियों को लिखे जाने तक 17 ट्रेनें रद्द कर दी हैं और 12 ट्रेनों के रास्ते बदल दिए हैं।
भारत-पाकिस्तान सीमा की फेसिंग भी टूट गई है। यह एक नाजुक स्थिति है। फतेहगढ़ साहिब और बठिंडा के रेलवे क्वार्टरों में पानी भर गया है। मोगा-जालंधर सड़क मार्ग का एक हिस्सा पूरी तरह बह गया है। कई जिलों में आंगनबाड़ी केंद्रों में अवकाश की घोषणा कर दी गई है। बीएसएफ के जवान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बेतहाशा फंसे हुए लोगों की मदद कर रहे हैं। मुतवातर बरसात में सूबे कि तमाम नदियों-नेहरों में तगड़ा उफान ला दिया है।
सतलुज में आए तूफान से फिरोजपुर में सीमा से सटे कई गांवों का शेष दुनिया से संपर्क कट गया है। वहां हजारों एकड़ फसल जलमग्न हो गई है। सतलुज किनारे बसे गांव कालूवाला में 100 से ज्यादा झुग्गियां बरसात के क्रोध को हासिल हो गईं। अब उनका नामोनिशान तक नहीं बचा। उनमें रहने वाले बाशिंदे मुआवजे के हकदार भी नहीं क्योंकि उन्होंने एक तरह से खाली जमीनों पर कब्जा करके किसी तरह अपना बसेरा बनाया था।

जालंधर के शाहकोट में सतलुज से लगती 25 हजार एकड़ में लगी धान की फसल बर्बाद हो गई है। इस इलाके में 50 गांव को खाली कराने के आदेश दिए गए हैं। स्थानीय निकाय मंत्री बलकार सिंह कहते हैं, “पहले जीवन सुरक्षित किया जाए, उसके बाद बाकी चीजें देखीं जाएंगी।” बलकार सिंह मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार जालंधर में पड़ाव डाले हुए हैं। सतलुज जिस-जिस जिले को छूकर निकल रही है; वहां-वहां तबाही के निशान छोड़ रही है।
एहतियातन पटियाला से लेकर फाजिल्का तक कई गांव खाली करा लिए गए हैं और लोगों को राहत कैंपों में भिजवा दिया गया है। प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि भारी बारिश की वजह से बांधों से अतिरिक्त पानी छोड़ा गया है, जिससे जलस्तर और बढ़ सकता है। अबोहर की मलूकपुरा माइनर में भी कटाव आने से हजारों एकड़ फसल डूब गई है। रोपड़ में भाखड़ा बांध के निकट भूस्खलन की वजह से नंगल-नैना देवी मार्ग बंद हो गया है जबकि सरहिंद नहर का 15 फिट का हिस्सा धंसने से उसमें एक कार गिर गई।
नाजुक हालात के मद्देनजर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने तमाम मंत्रियों, विधायकों, उपायुक्तों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों सहित तमाम छोटे-बड़े अफसरों को जनता के बीच जाने के निर्देश दिए हैं।
आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रिंसिपल बुधराम कहते हैं कि, “फिलहाल सरकार का सबसे बड़ा एजेंडा बाढ़ से लोगों की सुरक्षा है। पुलिस और एनडीआरएफ की कई टीमें तैनात कर दी गई हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री भगवान सिंह मान ने खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को भी खाने के पैकेट बड़े पैमाने पर तैयार करने को कहा है। हमारी सरकार किसी भी कीमत पर लोगों के जान-माल की पूरी हिफाजत करेगी।”

उधर, बिगड़े हालात के मद्देनजर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पंजाब के मुख्यमंत्री मान से फोन पर बात की और भारी बारिश से हुए नुकसान की जानकारी ली। शाह ने हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।
मौसम विभाग ने पंजाब के कई इलाकों में अगले 48 घंटों में भारी बारिश को लेकर रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। नदियों और नहरों के किनारे बसे लोगों को वहां से हटाकर सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाने के लिए कहा है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक पश्चिमी विक्षोभ और मॉनसूनी हवाओं में संपर्क से उत्तर भारत में जोरदार बारिश का दौर जारी रहेगा।
तबाही की खबरों के बीच एक यह दुखद खबर भी है कि जम्मू-कश्मीर के पुंछ सेक्टर में सर्च ऑपरेशन के दौरान नदी में अचानक आई बाढ़ में पंजाब के दो जवान बह गए। दोनों के शव बरामद हो गए हैं। बाढ़ में बहे साथी तेलू राम को बचाने के लिए कूदे 16 आरआर बटालियन के नयाब सूबेदार कुलदीप सिंह तरनतारन के गांव सरवरगापुरी के रहने वाले थे। उनके शव सोमवार शाम तक पंजाब पहुंचेंगे और तब सरकारी सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
बहरहाल, पंजाब का कोई कोना ऐसा नहीं जहां बारिश से हुई बर्बादी की खबरें निरंतर न मिल रही हों। जान-माल के असली नुकसान का आकलन आफत की बारिश रुकने के बाद ही संभव हो पाएगा। फिलहाल तो पंजाब बारिश से खासा बेजार है।
(अमरीक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
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