वाराणसी, उत्तर प्रदेश। भारत के कृषि प्रधान राज्य उत्तर प्रदेश में मौसम की उठा-पटक से रबी की ज्यादातर फसलें प्रभावित हुई थीं, उस पर 21 मार्च को हुई बारिश और उसके बाद घंटों तक चली तूफानी हवा ने गेहूं किसानों पर कहर बरपा दिया है। किसानों ने बताया कि उनकी फसल को 60 से 70 फीसदी तक नुकसान हुआ है।
गेहूं, जौ, आलू, चना, मसूर, अरहर, अलसी, मटर और सरसों की फसल इन दिनों पूरी तरह पककर खेतों में तैयार है। भले गेहूं की फसल अभी कटी न हो, लेकिन सरसों की फसल ज्यादातर किसानों ने काटकर सूखने के लिए रख दिया था।
सोमवार से मंगलवार के बीच हुई बारिश और तूफ़ान से बनारस, भदोही, मिर्जापुर, सोनभद्र, मऊ, आजमगढ़, बलिया, गाजीपुर समेत जलालपुर, कांटा, तेजोपुर, दुधारी, सुगाई, बगही, नेवादा, बेलवनिया, भुजना, सिघना, भतीजा, कमालपुर, चकिया, धानापुर, सकलडीहा, नादि, प्रीतमपुर, मरुई, मुहम्मदपुर, लोकमनपुर, नौबतपुर, बरहनी, कंदवा, धीना, सिकठा, शेरपुर, चंदौली, नौगढ़, शहाबगंज, तिलौरी, अटौली समेत चंदौली जिले के 1651 गांवों में रबी की फसलें खेतों में बिछ गईं हैं।
गिरे फसल के दानों के सड़ने, दानों में हल्कापन आने की दशा से किसान चिंतिंत हो उठे हैं। कृषि विभाग रबी की फसल का अच्छा उत्पादन होने का दावा कर रहा था, लेकिन अब बेमौसम हुई इस बारिश से उत्पादन में कमी आने की बात स्वीकार रहा है।
किसानों के चेहरे पर पसरी उदासी
पंद्रह बीघा जमीन लीज पर ली थी। लेकिन आज जब उनकी फसल कटने के लिए तैयार खड़ी है, तो उसे बर्बाद होते देखना 63 साल के घुरहू प्रसाद के लिए आसान नहीं है। वह इस नुकसान से काफी परेशान हैं। कल तक लहलहाती फसल देखकर मूंछ पर ताव देने वाले हाथ निढाल हैं और चेहरे पर उदासी पसरी हुए है।
चंदौली के मानिकपुर सानी निवासी घुरहू प्रसाद ने ‘जनचौक’ को बताया कि “मैंने पंद्रह बीघे जमीन पर गेहूं की खेती की है, जिसमें अब तक 1.25 लाख रुपए खर्च कर दिए है। यह मेरी जमीन नहीं थी, मैंने इसे छह हजार रुपये प्रति बीघे की दर से लीज (मालगुजारी) पर लिया था।”

घुरहू प्रसाद बताते हैं कि “21 मार्च, मंगलवार की रात चमक-गरज के साथ छोटे-छोटे ओले के गिरने के बाद करीब एक घंटे 20-22 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से चली हवा ने गेहूं की लहलहाती फसल को खेतों में बिछा दिया। मेरे साथ गांव के पचासों किसानों की रबी की फसल को तूफान और बारिश ने बेरहमी से रौंद दिया है।”
मानिकपुर गांव के पश्चिम और उत्तर में विस्तारित गेहूं के खेतों की ओर इशारा करते हुए घुरहू प्रसाद ने कहा, “मैंने अपनी सारी खरीफ की बचत- लगभग सवा लाख रुपये से खेत लीज पर लिया और उसे बीज, सिंचाई, जुताई और खर-पतवार नाशक के इस्तेमाल पर इस उम्मीद में खर्च कर दिया कि मुझे इस साल अच्छा मुनाफा हो जाएगा। मैं सूखे और कीटों के हमलों से अपनी फसल बचाने में कामयाब रहा। लेकिन, बे-मौसमी बारिश और तूफ़ान ने मेरे परिवार पर कहर बरपा दिया है।”
बेचने पड़ सकते हैं मवेशी
किसान घुरहू प्रसाद जनपद चंदौली के उन 1651 गांवों के लाखों किसानों में से एक हैं, जिनके खेत की भरी-पूरी फसल को तूफ़ान से 60 फीसदी से अधिक नुकसान पहुंचा है। वे बताते हैं कि “मालगुजारी पर खेत लेने के लिए कर्ज लिया था। अब पूरी फसल ही चौपट हो गई है। इस वजह से साहूकार का अगले सीजन तक कर्जदार रहना पड़ेगा। या फिर साहूकार दबाव बनाएगा तो मवेशी बेचकर कर्ज चुकाकर जान छुड़ाऊंगा।”
वो कहते हैं कि “मैंने पिछैती बुआई की थी, प्रति एकड़ गेहूं की बुआई में पांच से छह हजार रुपये खर्च हुए थे। मौसमी आपदाओं, सूखे और कीटों के हमले से अब तक फसल को बचाने में कामयाब रहा, लेकिन बारिश ने फिर से कर्जे के भंवर में धकेल दिया है।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
रबी के चालू सीजन में चंदौली जिले के कृषि विभाग की ओर से 100910 हेक्टेयर में गेहूं की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसके सापेक्ष 100916 हेक्टेयर में किसानों ने गेहूं खेती की है। वहीं, उत्पादन 379.984 मीट्रिक टन व उत्पादकता 38.82 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रखी गई है।

लेकिन अब असमय बारिश ने कृषि विभाग के आंकड़ों का हिसाब गड़बड़ा दिया है। कुछ हफ्ते पहले तक नहरों का जाल फैले जिले के किसान पानी को तरस रहे थे। अब बड़े पैमाने पर हुए नुकसान से लाखों किसानों की कमर टूट गई है।
फिर नहीं चुका पाऊंगा बैंक का कर्ज
बरहनी विकास खंड के किसान कुबेरनाथ मौर्य ने छह हजार रुपये बीघे (1 बीघा =20 बिस्वा) की दर से 18 बीघे खेत लीज पर लेने में 60,000 रुपये खर्च किए थे। खरीफ में सूखे की मार की वजह से पूरे खेत परती रह गए थे, यानी धान की बुआई नहीं कर पाने की वजह से लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था। रबी सीजन में हिम्मत कर उन्होंने पंद्रह बीघे में गेहूं और शेष तीन बीघे में सब्जी की खेती की है।
कुबेरनाथ मौर्य बताते हैं कि “तीन बीघे में लगी गेहूं की फसल को आंधी और बारिश ने तहस-नहस कर बर्बाद कर दिया है। किसान क्रेडिट कार्ड से कर्ज लेकर किसी तरह से किसानी को आगे बढ़ाया था। फसल भी खेतों में अच्छी लगी थी, लेकिन बारिश ने सबकुछ बंटाधार कर दिया। गांव के उत्तर-पश्चिम के मेरे 12 बीघे में लगी गेहूं की फसल 70 फीसदी नष्ट हो गई।”
वो कहते हैं कि “खेत में गिरी फसल की बालियों में अब दाने भी बीमार बनेंगे या उनमें हल्कापन आएगा। उम्मीद थी की इस बार अच्छी फसल होगी तो बैंक के कर्जे से मुक्त हो जाऊंगा, लेकिन हुआ ठीक इसके उलट। मेरी राजस्व अधिकारियों से मांग है कि जल्द से जल्द किसानों की फसलों का सर्वे कर उचित मुआवजा दिया जाए, ताकि किसान व उनके परिवारों को खाली पेट न सोना पड़े।”
नीलगाय के आतंक के बीच तूफान की तबाही
किसान कुबेर नाथ मौर्य अठारह बीघे में से तीन बीघे में सब्जी की खेती किये हुए हैं। वे आगे कहते हैं कि “नीलगायों के आतंक से फसल को बचाना टेढी खीर है। अब आंधी-तूफ़ान से सिर्फ गेहूं, सरसों और दलहन को ही नुकसान नहीं पहुंचा है, बल्कि आम, लौकी, खीरा, करैला, लहसुन, प्याज, नेनुआ, ककड़ी, खरबूजा, मिर्च, टमाटर, बैगन समेत अन्य सब्जियां भी बारिश से कीचड़ में सन गई हैं।

लौकी की लताओं को तूफान ने उलट-पुलट कर रख दिया है। पौधे में आए फूल और फल बारिश और हवा के थपेड़ों से टूटकर अलग हो गए हैं। कुछ ही दिनों में मंडी जाने को तैयार सब्जी की फसल का इंतज़ार और बढ़ा गया है। केवल सब्जी से मुझे दस हजार रुपये का नुकसान हुआ है।”
नुकसान का शूल अगले सीजन तक चुभेगा
मानिकपुर सानी के प्रगतिशील किसान 40 वर्षीय संजय बिंद का कहना है कि “तीस हजार रुपये कर्ज लेकर और कुल 60 हजार रुपये लगाकर जैसे-तैसे वेजिटेबल फार्म हॉउस को पटरी पर ले आया था। हालांकि इस समय सब्जी के दाम काफी कम मिल रहे हैं। फिर भी उसे किसी तरह बेचकर लागत निकाली जा रही थी। लेकिन बारिश ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। बारिश से खीरा और खरबूजा की फसल बर्बाद हो गई है। अब लागत निकलना भी मुश्किल हो गया है।”
संजय बिंद करते हैं कि “आंधी-पानी के कारण सब्जी की खेती, खेत में पानी लगने से सड़ने के कगार पर पहुंच चुकी है। बारिश की वहज से सब्जियों के फूल और फल झड़ गए हैं, डालियां और लताएं आपस में उलझ कर सूखने लगी हैं, कीटों का हमला बढ़ गया है, फंगस और सूंडी लगने से सब्जियों में उकट्ठा रोग की शिकायत भी अब हम लोगों का पीछ नहीं छोड़ने वाली है।”
वो कहते हैं कि “इन समस्याओं से सब्जी उत्पादन पर बुरा असर पड़ रहा है। असमय बारिश ने फसलों को नुकसान पहुंचाकर जो दर्द दिया है उसका शूल अगले सीजन तक दिल में चुभता रहेंगा।”
नुकसान का सर्वे करने नहीं आया कोई अधिकारी
संजय बिंद आगे कहते हैं कि “किसानों के ऊपर आफत की बारिश हुई है। अभी तक कोई भी राजस्व अधिकारी खेतों में फसलों के नुकसान का सर्वेक्षण करने नहीं आया है।” चकिया के विनीत मौर्य की करीब डेढ़ बीघा में सब्जी की खेती थी जिसमें पानी लगने के कारण भिंडी-नेनुआ सहित अन्य सब्जियों को नुकसान पहुंचा है। हिनौती उत्तरी के जितेंद्र के आम के बगीचे से आम टूट कर गिर जाने से आम बागवानों को बहुत नुकसान हुआ है।

सुदामा बिन्द व उनके परिवार का 15 बीघा, रोजमुहम्मद का डेढ बीघा, प्रभुनाथ सिंह का पांच बीघा, वीरेंद्र मौर्या का ढाई बीघा, बुल्लू का तीन बीघा, कमलेश का दो बीघा, खर्चु व उनके परिवार का 12 बीघा, करमुल्ला का डेढ बीघा, रामसुधारे व उनके परिवार का पांच बीघा, राजनीत प्रसाद का तीन बीघा, सर्वजीत का दो बीघा समेत सैकड़ों किसानों की रबी के फसलों को पचास फीसदी से अधिक नुकसान पहुंचा है।
दोहरी मुश्किल में बटाई वाले किसान
किसान रामविलास मौर्य ने बताया कि “बारिश में जो गेहूं खेतों में गिर गया है, वह बहुत हल्का पड़ गया है। सरसों का भी यही हाल है। हमारा बहुत नुकसान हो गया है। सरकार अगर उचित रेट पर मुआवजा देती है तो लाभ मिल जाएगा नहीं तो नुकसान ही है।”
रामविलास कहते हैं कि “जो किसान बटाई पर खेती करते हैं उनको तो मुआवजे का कोई फायदा नहीं मिलेगा। क्योंकि, सरकार सर्वे करेगी तो भूस्वामी के खाते में पैसा देगी। जबकि बटाई पर खेती करने वाले लाखों किसान मेहनत और लागत लगाने के बाद भी सरकार के मुआवजे से वंचित रह जाएंगे। ऐसे किसान दोहरी मुश्किल में घिरे हैं। ऐसे किसानों के बारे भी सरकार व जिम्मेदार लोग विचार करें।”
सदमे में गेंदा फूल किसान
पचास वर्षीय रामसुधार साहनी तकरीबन एक दशक से गेंदा के फूल की खेती करते आ रहे हैं। गेंदा की फसल के नुकसान से वे सदमे में हैं। वह बताते हैं कि “बेटों से तीस हजार रुपये लेकर डेढ बीघे में गेंदा फूल की खेती किया हूं। समय से पहले गर्म हुए मौसम और चिलचिलाती धूप से फूलों के खिलने पर नकारात्मक असर पड़ा है।
उम्मीद थी कि चैत नवरात्रि में लागत के तीस हजार रुपये निकल आएंगे और कुछ मुनाफा भी हो जाएगा, लेकिन बारिश और तूफ़ान ने फूल की कलियों को ऐसा नुकसान पहुंचाया की खेत में लगे पौधों के सभी फूलों की पंखुड़ियों पर काले धब्बे उग आये हैं।

इससे बाजार में मेरे फूलों का अच्छा रेट नहीं मिल रहा है, और नवरात्र में भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इतना ही नहीं खेत में पानी भरने की वजह से गेंदा के पौधे उकठ (सूख) रहे हैं। लाभ को छोड़िये, लागत भी निकलना मुश्किल है”।
मिर्जापुर में क्षतिपूर्ति की मांग
मिर्जापुर के हलिया क्षेत्र में गरज-चमक के साथ ओला पड़ने से हुए नुकसान से किसान चिंतित थे, इस बीच सिटी ब्लाॅक के खजुरी, महेवा, हरिहरपुर बेदौली, अर्जुनपुर, अनंतराम पट्टी के अलावा राजगढ़ क्षेत्र के कई गांवों में मंगलवार को ओला पड़ने के साथ हुई तेज बारिश से किसानों की फसलें गिर गईं। बेमौसम हुई बारिश से गेहूं, चना, मसूर, मटर, सरसों, अरहर की फसलों को काफी नुकसान हुआ।
बारिश से बर्बाद फसलों के लिए किसानों ने क्षतिपूर्ति की मांग की है। राजगढ़ विकास खंड क्षेत्र के कई गांवों में मंगलवार की शाम करीब पांच बजे गरज-चमक के साथ ओला पड़ने व बारिश होने से किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं।
कम्हरिया, सेमरी, सरसो, नौड़िहाव, दारानगर सहित कई गांवों में पत्थर गिरने से गेहूं, सरसों, चना, जौ, मटर के साथ सब्जियों की खेती बर्बाद हो गई है।
गाजीपुर के किसानों कहा- करें भी तो क्या करें?
गाजीपुर में करीब 7 मिमी बारिश ने लाखों किसानों की उम्मीदों को बेरहमी से धो दिया है। बारिश से होने वाले नुकसान को लेकर करीमुद्दीनपुर इलाके के ग्रामीणों ने कहा कि अभी हम लोग आलू की फसल का उचित मूल्य नहीं मिलने के चलते परेशान थे। अब इस बेमौसम बारिश से हमारी गेहूं और सरसों की खेती भी प्रभावित हो गई है। ऐसे में अब हम लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि हम खेती करें या कुछ और करें।

आजमगढ़ के बुढ़नपुर में सबसे अधिक नुकसान
आजमगढ़ जिले में बारिश से लगभग सैकड़ों एकड़ फसल को नुकसान पहुंचा है। इस बारिश से सबसे ज्यादा नुकसान बूढ़नपुर तहसील में हुआ है। बूढ़नपुर क्षेत्र के ईश्वरपुर, कोयलसा, रतानावे, पुरखीपुर, भैरोपुर, केशवपुर, भरौली, टोडर, चुमुकुनी, गाजीपुर, बभनपुर, पियरिया, मोहननगर, मुबारकपुर, सरैय्या, हुसेपुर, रानीपुर सहित कई गावों में फसलों को नुकसान पहुंचा है। बारिश के चलते लगभग 70 प्रतिशत पक चुकी गेहूं की फसल को नुकसान हुआ है। गेहूं की फसल खेतों में गिर गई है।
फैजाबाद के किसानों पर आफत की बारिश
फैजाबाद (अयोध्या) में कृषि विभाग की ओर से कराए गए सर्वे रिपोर्ट के अनुसार जिले में गेहूं की 2479 हेक्टेयर फसलों को नुकसान पहुंचा है, जिसमें अकेले रुदौली विकासखंड में 1366 हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई है जबकि मवई में 713.1 व मयाबाजार में 215.4 हेक्टेयर फसल को क्षतिग्रस्त हुई वहीं सबसे कम नुकसान पूराबाजार में 185.1 हेक्टेयर फसल का हुआ है।
इसके अलावा राई/सरसों की 304 हेक्टेयर फसल को नुकसान पहुंचा है। यहां भी सबसे अधिक नुकसान रुदौली विकासखंड के किसानों को ही हुआ है। अकेले रुदौली में ही 49.9 हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई है जबकि दूसरे नंबर पर तारुन विकासखंड में 37.28 हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई है। वहीं सबसे कम नुकसान अमानीगंज विकासखंड में 11.46 हेक्टेयर फसल का हुआ है। इसके अलावा मसूर की 2399 हेक्टेयर में से केवल 9 हेक्टेयर फसल को क्षति पहुंची है।
भीगी फसल से चटककर दाने बाहर आने की चिंता में बलिया के किसान
बलिया जनपद में तेज हवाओं और चमक व गरज के साथ हुई बारिश ने कुछ ही देर में फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया। खासकर गेहूं के साथ ही दलहनी, तिलहनी की फसलों काे नुकसान हुआ है। इसके अलावा आम की फसलों को भी काफी क्षति पहुंची है। किसानों के सामने खलिहान में रखे अनाज के बोझ को सुखाने की चिंता सताने लगी है।

मंगलवार की रात कुछ देर के लिए ही तेज बारिश हुई, जिससे खलिहानों में रखे अनाज के बोझ पूरी तरह भीग गए हैं। उसे सूखाने की चिंता किसानों को सताने लगी है। वहीं खेतों में पकी फसल भीगने के बाद धूप लगने से चटक कर दानों के बाहर आने की चिंता किसानों को सताने लगी है।
गेहूं की खेती करने वाले किसानों को भी नुकसान हुआ है। खेतों में तैयार गेहूं की फसलें गिर गई हैं, जिससे गेहूं की पैदावार प्रभावित होने की संभावना है। अरहर की खेती को भी नुकसान पहुंचा है।
भदोही में उड़द-मूंग की फसल को नुकसान
भदोही जिले में पौने दो घंटे तक मूसलाधार बारिश ने किसानों के माथे पर शिकन ला दिया है। खेतों में तैयार फसल के अलावा कटाई के बाद खेत में रखे सरसों और हाल ही में बोई गई मूंग और उड़द को यह बारिश ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती है। मौसम विभाग के अनुसार हवाओं की रफ्तार बढ़ी है। यह खड़ी फसल को काफी नुकसान पहुंचा सकती है।
बनारस में गेंहू की 90 फीसदी फसल बेकार
बनारस में भी पिछले दो दिनों में आंधी के साथ जमकर बारिश हुई है, और साथ में गिरे ओलों ने किसानों के लिए आग में घी का काम किया है। सरसों, चना, आलू, और टमाटर की फसल पर खासा असर पड़ा है तो गेहूं की फसल बर्बाद हो गई है।
बनारस के चिरईगांव, चौबेपुर, लोहता, जंसा, बड़ागांव में गेहूं की फसल दो से तीन तीन दिन में कटने वाली थी, लेकिन इन्हीं दो दिनों में बारिश के कहर ने गेंहू की फसल को 90 प्रतिशत तक बेकार कर दिया है। किसान अपनी बर्बाद फसल को देख-देखकर अपनी किस्मत को रो रहे हैं। अब उन्हें सिर्फ सरकार से उम्मीद है जो उनके चोट पर कुछ मलहम लगा सकती है।
मुआवजे की राशि ऊंट के मुंह में जीरा
अखिल भारतीय किसान महासभा के चंदौली जिलाध्यक्ष श्रवण कुशवाहा ने जनचौक को बताया कि “मेरी अपनी गेहूं की फसल को साठ फीसदी से अधिक नुकसान पहुंचा है। रबी सीजन में गेहूं, तिलहन में सरसों और दलहन में चना, मटर और मसूर की फसल बर्बाद हो गई है। बारिश और तूफ़ान के बाद से खेतों में पानी भरने से फसलों की जड़ें सड़ जाएंगी। इससे पकने के पीक आई फसलों की बालियों के दाने में हल्कापन आ जाएगा। जो सीधे तौर पर अनाज के उत्पादन को बुरी तरह से प्रभावित करेगा।”

उन्होंने कहा कि “चंदौली, सोनभद्र, वाराणसी, गाजीपुर, मिर्जापुर, मऊ, भदोही, बलिया, आजमगढ़ समेत पूरे सूबे के किसानों की फसल को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। सरकार द्वारा मुआवजे की जो घोषणा है, इससे किसान असंतुष्ट है। सरकार दो हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दे रही है, जो किसानों के नुकसान के आगे ऊंट के मुंह में जीरा है।
श्रवण कहते हैं कि “सरकार के मुआवजे की इस राशि से न तो किसानों के खाद, बीज, जुताई, मड़ाई का खर्च निकाल पाएगा और न ही लीज का कर्ज उतार पाएगा। एक एकड़ में दस हजार रुपये की लागत आ रही है। ऐसे में किसान नुकसान की कैसे भरपाई कर पाएंगे? मौसम की बेरुखी और सरकारी योजनाओं से उपेक्षित किसान धीरे-धीरे हाशिए पर जा रहे हैं।”
कृषि अधिकारी ने स्वीकारा नुकसान
चंदौली के कृषि उपनिदेशक बसंत कुमार दुबे ने ‘जनचौक’ को बताया कि “असमय बारिश और तूफान से कृषि प्रधान जनपद के अन्नदाताओं को काफी नुकसान पहुंचा है। रबी सीजन की मुख्य फसलों में गेहूं के साथ दलहनी और तिलहनी फसलों के नुकसान के आंकलन की रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है।”
कृषि मंत्री ने दिया मुआवजे का आश्वासन
उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने मुख्यमंत्री योगी के निर्देश को बताते हुए कहा कि “मुख्यमंत्री योगी ने बे-मौसम हुई बरसात में मृत किसानों के परिवार को 4-4 लाख का मुआवजा दिया है। वहीं जिन किसानों की फसल बर्बाद हुई है उनका निरीक्षण करवाया जा रहा है ताकि उनके नुकसान का आकलन मिल सके।
(वाराणसी से पत्रकार पवन कुमार मौर्य की ग्राउंड रिपोट)
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