भोपाल। दो देशों के बीच युद्ध, मादक पदार्थों की तस्करी और कई गैर-कानूनी कार्यों में बच्चों का व्यापक दुरुपयोग किया जाता है। युद्ध के दौरान सैनिक बच्चों के साथ यौन दुर्व्यवहार भी करते हैं। युद्ध या किसी भी हिंसा से बच्चों को बचाने के लिए हर वर्ष 12 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय रेड हैंड डे मनाया जाता है। इस अवसर पर दस्तक बाल समूह और संस्था विकास संवाद से जुड़े बाल एवं महिला समूह के सदस्यों ने बाल सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने पर बल दिया।
दुनिया भर में होने वाले सभी तरह की हिंसा में बच्चों के दुरुपयोग और शोषण को रोकने के लिए दस्तक बाल समूह से जुड़े बच्चों ने रेड हैंड डे के अवसर पर आवाज उठाई। इस मौके पर संस्था विकास संवाद से जुड़े बाल एवं महिला समूह के सदस्यों ने दुनिया की सरकारों से बाल सुरक्षा के लिए विशेष ध्यान देने की अपील की।
गौरतलब है कि युद्ध में प्रभावित होने वाले दुनिया भर के बच्चों की सुरक्षा को लेकर बाल अधिकार संस्थाओं द्वारा 12 फरवरी को रेड हैंड डे के रूप में मनाया जाता है। इन्टरनेट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार दुनिया भर में करीब 250,000 बच्चों को सैनिकों के रूप में दुर्व्यवहार का शिकार होना पड़ रहा है।

बच्चों का अपहरण कर उन्हें झूठे वादों से फुसलाया जाता है और फिर उन्हें मारने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। उन्हें अक्सर संदेशवाहक, जासूस या कुली के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। ये बच्चों के लिए दर्दनाक अनुभव होते हैं। उन्हें मनोवैज्ञानिक और शारीरिक घाव होते हैं, जो अक्सर जीवन भर उनके साथ रहते हैं।
कई लड़कियों को जबरन भर्ती भी किया जाता है, उनमें से कई यौन हिंसा का शिकार बन जाती हैं। इन सबसे बचने और बाल सैनिकों के इस्तेमाल के खिलाफ़ अंतर्राष्ट्रीय रेड हैंड दिवस मनाया जाता है। इसी संदर्भ में संस्था विकास संवाद से जुड़े दस्तक बाल व युवा किशोरी समूह के सदस्यों ने सांकेतिक रूप से खून में सने लाल हाथ दिखाते हुए बच्चों की हिंसा और शोषण से सुरक्षा के लिए 8 जिलों में रैली और बाल चर्चा के आयोजन हुए।

बंदूक नहीं किताब और खिलौने चाहिए! बच्चों को हिंसा से सुरक्षा चाहिए! इन नारों के साथ दस्तक बाल व युवा समूह से जुड़े सदस्यों ने अपने गांव में रैली निकाली और लाल हाथ की छाप दिखाकर एकजुटता का संदेश दिया।
इस मौके पर गुना जिले के विकास मित्र कृपाल सिंह ने कहा कि टीबी में हम आए दिन एक देश द्वारा दूसरे देश पर हमला करने की खबर देख रहे हैं जिनमें बच्चों के स्कूल, खेल घर पार्क टूट जाते हैं और दोस्तों, परिवारों पर होने वाले हमले के बीच मासूम बचपन संकट में दिखाई देता है।
पन्ना से राम विशाल ने कहा कि भारत देश में भी मोबाइल पर हिंसक गेम और फिल्में देखकर बच्चे भी हिंसक व्यवहार अपनाने लगे हैं। इस मौके पर युवाओं व बच्चों से चर्चा करते हुए मंगेश सोनी ने कहा कि बड़े युद्ध और छोटे झगड़ों में अक्सर बच्चों के दोस्त और स्कूल छूट जाते हैं जिससे बच्चों के मन में एक दूसरे के खिलाफ हिंसा और असुरक्षा की भावना बढ़ने लगती है।
इन सब मामलों को समझने और बच्चों के अधिकारों के लिए खड़े होने का अवसर है रेड हैंड डे जिसे पूरी दुनिया में बच्चों के हक में शांति सुरक्षा की अपील करते हुए मनाया गया है।
(प्रेस विज्ञप्ति)
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