कॉर्पोरेट जगत में वित्तीय कदाचार पर अपनी विस्फोटक रिपोर्टों के लिए दुनियाभर में मशहूर अमेरिकी शॉर्ट-सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च के हाल ही में बंद होने की खबर पर भारतीय मीडिया में काफी चर्चा देखने को मिली है। इस शॉर्टसेलिंग फर्म के बंद होने को लेकर दक्षिणपंथी मीडिया में तमाम तरह की अटकलें चलाई जा रही हैं, जिसका वास्तविकता से कोई सरोकार नहीं है।
2017 में नैट एंडरसन द्वारा स्थापित, यह फर्म दुनिया भर में प्रमुख वित्तीय संस्थाओं में कथित धोखाधड़ी और गलत कामों को उजागर करने के लिए मशहूर रही है। हिंडनबर्ग की रिपोर्टें अमेरिका सहित विभिन्न देशों के कॉर्पोरेट घरानों पर असरकारी प्रभाव डालने के लिए जानी जाती रही है, जिनको हिंडनबर्ग रिपोर्ट की निष्कर्षों के चलते अरबों डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा है।
लेकिन हिंडनबर्ग के बंद होने की घोषणा से सबसे ज्यादा जश्न का माहौल अगर कहीं देखने को मिल रहा है तो वह देश भारत है। सोशल मीडिया में तरह-तरह की टिप्पणियाँ मिल रही हैं। मोदी समर्थक सोशल मीडिया हैंडल फर्म के बंद होने की घोषणा को डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति पदभार ग्रहण करने से जोड़ रहे हैं। उनके हिसाब से हिंडनबर्ग फर्म को ट्रम्प राष्ट्रपति बनने के बाद कड़ी कार्रवाई के डर से बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
एक अन्य नैरेटिव में यह चलाया जा रहा है कि संभवतः ज़ोर्ज सोरोस ने अब हिंडनबर्ग को फंडिंग बंद कर दी है। कुलमिलाकर इस नैरेटिव का निष्कर्ष यह है कि अमेरिका स्थित डीप स्टेट भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और विशेषकर आम निवेशकों को अस्थिर करने के लिए हिंडनबर्ग जैसे शॉर्टसेलर के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था को चोट पहुँचाना चाहता है। पता नहीं 80 करोड़ लोगों को 5 किलो मुफ्त राशन पर पिछले 4 वर्षों से टिकाने वाले देश की तरक्की से दुनिया कैसे परेशान है, लेकिन फिलहाल हिंडनबर्ग को बंद करने के फैसले का फायदा उठाने में हर्ज ही क्या है।
अब ये दूसरी बात है कि हिंडनबर्ग ने 2017 में अपनी स्थापना के बाद से दुनियाभर की करीब दो दर्जन कंपनियों पर रिसर्च पेश कर वित्तीय अनियमितताओं का पता लगाने और उन देशों के निवेशकों के लिए बेहतर पारदर्शिता का वातावरण तैयार करने में मदद की है।
2017 से इस फर्म ने अडानी समूह के खिलाफ अपनी रिपोर्ट के अलावा जिन व्यावसायिक समूहों के बारे में रिपोर्ट जारी की हैं, वे इस प्रकार से हैं:
2017 में अमेरिकी सिक्यूरिटी एक्सचेंज बोर्ड (एसईसी) को हेज फण्ड, आरडी लीगल से संबंधित एक व्हिसलब्लोअर रिपोर्ट पेश की थी।
इसी तरह, नवंबर 2017 में नैस्डेक में पंजीकृत पर्शिंग गोल्ड की अनियमित कंपनी खुलासों की एक श्रृंखला के पीछे कंपनी से जुड़े एक व्यक्ति की पहचान एसईसी के समक्ष पेश की थी।
नवंबर 2017 में हिंडनबर्ग ने 3 बिलियन डॉलर मार्केट कैप वाले ओपको हेल्थ के नापाक आपराधिक संबंधों के साथ-साथ इसके उत्पाद की विफलताओं एवं अनियमित प्रकटीकरणों के बारे में एक लेख प्रकाशित किया। 2018 के अंत में कंपनी के चेयरमैन/सीईओ और खुद कंपनी पर SEC के द्वारा धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था। बाद में फर्म को भारी पेनाल्टी चुकता कर समझौता करना पड़ा था।
दिसंबर 2017 में हिंडेनबर्ग ने नैस्डेक पंजीकृत फर्म पोलारिटीटीई के अनियमित वित्तीय खुलासे के बारे में एक लेख लिखा। बाद में कंपनी के सीएफओ ने इस्तीफा दे दिया और 2018 में एसईसी द्वारा फर्म के ऊपर आरोप तय किये गये।
दिसंबर 2017 में हिंडनबर्ग ने नैस्डेक पंजीकृत फर्म रायट ब्लॉकचेन के संदिग्ध अधिग्रहणों के बारे में एक के बाद एक लेखों की एक श्रृंखला निकाली, जिसमें कंपनी के अंदरूनी लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए डिज़ाइन किए गए प्रतीत होते थे। बाद में फरवरी 2018 में CNBC ने एक खुलासा किया जिसमें हिंडनबर्ग के निष्कर्षों की पुष्टि और व्याख्या की गई। रायट के तत्कालीन सीईओ पर SEC द्वारा धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था। इसके पूर्व सीईओ कथित तौर पर अब सक्रिय आपराधिक जांच के दायरे में हैं।
दिसंबर 2018 में हिंडेनबर्ग रिपोर्ट में बताया गया कि न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में पंजीकृत फर्म, एफ़्रिया ने बड़ी मात्रा में अनियमित, ओवर-सबस्क्राइब अधिग्रहणों की एक श्रृंखला बनाई जिसमें इनसाइडर डीलिंग के लक्षण नजर आ रहे थे। बाद में कंपनी के भीतर के लोगों ने अपने स्वयं के अधिग्रहणों में अघोषित हिस्सेदारी होने की बात स्वीकार की, जिसके चलते कंपनी के चेयरमैन/सीईओ, एक सह-संस्थापक और एक कार्यकारी/बोर्ड मेंबर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
दिसंबर 2018 में हिंडनबर्ग ने लिबर्टी हेल्थ साइंस और एफ़्रिया के बीच अनियमित अधिग्रहण और सौदों के बारे में एक लेख प्रकाशित किया था। इसके परिणामस्वरूप, लिबर्टी के चार निदेशकों ने कंपनी सीईओ और सीएफओ के साथ इस्तीफा दे दिया। 2020 में, लिबर्टी हेल्थ साइंसेज ने स्वीकार किया कि कंपनी ने मुकदमे का निपटान करने के लिए 18 लाख डॉलर चुकाए।
दिसंबर 2018 में हिंडनबर्ग ने चीन स्थित फर्म यांग्त्ज़े रिवर पोर्ट एंड लॉजिस्टिक्स जो नैस्डेक में लिस्टेड 2 बिलियन डॉलर मार्केट कैप वाली लॉजिस्टिक्स कंपनी के बारे में रिपोर्ट की कि कई विसंगतियों के अलावा कंपनी की प्रमुख संपत्ति अस्तित्व में ही नहीं थी। कंपनी ने हिंडेनबर्ग पर मानहानि का आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर कर दिया, जिसके जवाब में हिंडेनबर्ग ने अपने प्रयासों को दोगुना कर दिया।
लेकिन कई स्वतंत्र मीडिया आउटलेट और एक कानूनी फर्म ने हिंडनबर्ग की रिपोर्टिंग की पुष्टि की। कंपनी को 6 महीने बाद NASDAQ से हटा दिया गया, और इसकी मार्केट कैप में 98% से अधिक तक की गिरावट आ गई।
इसी तरह सितंबर 2019 में नैस्डेक में पंजीकृत ब्लूम एनर्जी, अक्टूबर 2019 में स्माइल डायरेक्ट क्लब, मार्च 2020 में प्रेडिक्टिव टेक्नोलॉजी ग्रुप,
हिंडनबर्ग ने ऑनलाइन सट्टेबाजी ऑपरेटर ड्राफ्टकिंग्स, जियोथर्मल पावर प्लांट कंपनी ऑरमैट टेक्नोलॉजीज, इलेक्ट्रिक कार कंपनी मुलेन टेक्नोलॉजीज और एसओएस नामक एक चीनी ब्लॉकचेन और क्रिप्टोमाइनिंग फर्म के बारे में भी रिपोर्ट जारी की।
मार्च 2023 में, हिंडनबर्ग ने जैक डोरसी के ब्लॉक पर एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें उपयोगकर्ताओं की संख्या को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने, खातों का अवैध गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किए जाने, एसईसी की संभावित जांच और धोखेबाजों को अपने प्लेटफॉर्म से प्रतिबंधित करने में विफल रहने का आरोप लगाया गया था। रिपोर्ट के जारी होने के फौरन बाद ही कंपनी के शेयरों में 22% की गिरावट देखने को मिली थी।
इससे पहले जनवरी 2023 में, हिंडनबर्ग ने भारत के अडानी समूह के कर्जों और एकाउंटिंग संबंधी गड़बड़ी पर रिपोर्ट जारी करते हुए शॉर्ट पोजीशन ली थी और दावा किया था कि अडानी समूह दशकों से स्टॉक हेराफेरी और एकाउंटिंग में धोखाधड़ी की स्कीम में शामिल रहा है। इसका नतीजा भारत में अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी बिकवाली में दिखाई दी। कंपनी का मूल्यांकन 150 बिलियन डॉलर कम हो गया था और रिपोर्ट ने विश्व में नंबर 3 की पोजीशन पर पहुंच चुके अडानी समूह को 30वें स्थान पर धकेल दिया था।
इसलिए यदि भारत में यह प्रचारित किया जा रहा है कि हिंडनबर्ग और ज़ोर्ज सोरोस (डीप स्टेट) मिलकर भारत की अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने के लिए ये सब काम कर रहे थे, तो उन्हें इस फर्म की इन कार्रवाइयों के बारे में या तो जानकारी नहीं है, या वे अपने निहित स्वार्थ के लिए देश में भ्रम की स्थिति बनाये रखना चाहते हैं।
हिंडनबर्ग ने सिर्फ अडानी समूह के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं और धोखाधड़ी पर रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की थी, वरन अमेरिका के भीतर भी दर्जनों कंपनियों की अनियमितताओं का खुलासा कर निवेशकों के वित्तीय हितों की रक्षा करने का ही काम किया है। अडानी मामले के बाद भी हिंडनबर्ग की कई रिपोर्ट जारी हुई हैं।
लेकिन चूँकि भारत में अडानी समूह का सत्ताधारी पार्टी के साथ नाभिनाल रिश्ता जगजाहिर है, इसलिए भारतीय मीडिया और सोशल मीडिया पर हर उस मौके को अपनी जीत के तौर पर दर्शाने का मौका होता है, जहां उसे लगता है कि अडानी समूह को इससे किसी न किसी प्रकार से लाभ मिल सकता है।
बता दें कि अमेरिका में अडानी समूह के खिलाफ अदालत में जो मामला चल रहा है, उसका हिंडनबर्ग रिपोर्ट से कोई वास्ता नहीं है। यह मामला एफबीआई और एसईसी की पड़ताल में सामने आया है, जिसे अब अमेरिकी अदालत सुनवाई कर रही है।
हाँ यह कहा जा सकता है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद दुनियाभर के अडानी समूह को लेकर जो संदेह गहराया है, उसके चलते एफबीआई और एसईसी की सक्रियता बढ़ी और अडानी समूह एक नई और बड़ी मुसीबत में फंस चुका है।
इसके अलावा, पश्चिमी निवेशक और ऋणदाता अडानी समूह से कर्ज अदायगी की मांग कर रहे हैं। ऊपर से अमेरिकी अदालत में घूस प्रकरण मामले के कारण भारतीय बैंकों के लिए भी अडानी समूह में और देनदारी अधिकाधिक कठिन होती जा रही है।
हिंडनबर्ग के संस्थापक नेट एंडरसन ने फर्म को बंद करने के फैसले के पीछे की वजह को सार्वजनिक रूप से पत्र जारी कर स्पष्ट कर दिया था। एंडरसन के अनुसार, उनके हाथ में जो काम थे, उसे पूरा कर अब वह अपने परिवार को समय देना चाहता है।
पत्र में एंडरसन ने साफ़ तौर पर स्वीकार किया है कि वह कोई सुपरमेन नहीं हैं, और इस काम में वे और उनके 11 सहकर्मियों ने जीतोड़ मेहनत की है। इन वर्षों के दौरान उन्हें कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा।
अपने पत्र में एंडरसन आगे कहते हैं कि उनकी टीम ने दिन-रात एक कर जो काम किया वह उनकी कल्पना से भी बड़ा साबित हुआ। हम करीब 100 व्यक्तियों, जिनमें से कई अरबपति और कुलीन वर्ग से थे के खिलाफ नियामकों के माध्यम से सिविल और आपराधिक मामले दर्ज कराने में सफलता हासिल की। हमने कुछ ऐसे साम्राज्यों को हिलाने का काम किया, जिन्हें हम झकझोरे जाने की जरूरत महसूस कर रहे थे।
धीरे-धीरे लोगों को भी महसूस हुआ कि भले ही आपकी हैसियत कुछ भी हो, लेकिन यदि आप चाहो तो प्रभाव डाल सकते हो। लेकिन यह सब इतना तीव्र था कि अक्सर मैं सपने में जाग जाता हूँ, क्योंकि मैं नींद में भी किसी नए खोजी सूत्र के बारे में सोच रहा होता था, जिसके बारे में मैं दिन में परेशान था। ऐसा नहीं है कि हमें डर नहीं लगता, लेकिन हमें सत्य पर भरोसा है और उम्मीद है कि यह हमें सही रास्ते पर ले जायेगा। मैं इस सबके लिए आभारी हूँ।
तो फिर अब क्यों इसे भंग कर रहा हूँ? इसके पीछे कोई खास बात नहीं है- न कोई विशेष खतरा, या स्वास्थ्य समस्या या व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है।
एंडरसन आगे कहते हैं, “किसी ने एक बार मुझसे कहा था कि एक निश्चित बिंदु पर पहुँचने के उपरांत एक सफल करियर एक स्वार्थी कार्य में तब्दील हो जाता है। शुरू में, मुझे महसूस हुआ कि मुझे खुद को कुछ चीजें साबित करने की जरूरत है। अब आख़िरकार मुझे शायद अपने जीवन में पहली बार आत्मसंतुष्टि मिल गई है।
इस बीच हमने जो ज्ञान एकत्रित किया है उसे अपनी छोटी सी टीम में फंसाकर रखना भी स्वार्थी लगता है। पिछले कई वर्षों के दौरान हमारे पास आपमें से कई लोगों के हजारों संदेश पहुंचे हैं, जिसमें पूछा गया है कि हम जो करते हैं उसे कैसे करते हैं, या क्या आप टीम में शामिल हो सकते हैं। इसके लिए मैं अगले 6 महीनों के दौरान इसके हर एक पहलू को ओपन-सोर्स करने के लिए सामग्रियों और वीडियो की एक श्रृंखला पर काम करने की योजना बना रहा हूं, जिसमें यह स्पष्ट किया जायेगा कि हमारा मॉडल और हम अपनी जांच कैसे करते हैं।
हमारी टीम के कुछ लोग अपनी खुद की रिसर्च फर्म शुरू करने जा रहे हैं, जिसे मैं दृढ़तापूर्वक और सार्वजनिक रूप से प्रोत्साहित करूंगा, भले ही इसमें मेरी कोई व्यक्तिगत भागीदारी नहीं होगी। हमारी टीम में अन्य लोग भी हैं, जिनकी सेवाएं ली जा सकती हैं। यदि आपको किसी ऐसे व्यक्ति की ज़रूरत है जो प्रतिभाशाली होने के साथ-साथ जिनके साथ काम करने में आसानी हो, तो बेझिझक मुझसे संपर्क कर सकते हैं।
इसलिए वे लोग, जो समझ रहे हैं कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट को बंद करने के बाद दुनियाभर के क्रोनी पूंजीपतियों के लिए संकट के बादल छंट गये, तो ऐसा नहीं होने जा रहा है। एंडरसन का इरादा अब अपने कामों को मीडिया के जरिये बड़े प्लेटफार्म पर लाने और अपने सहकर्मियों को रिसर्च फर्म स्थापित करने में मदद कर इस काम को गुणात्मक रूप से बढ़ाने पर केंद्रित रहने वाला है।
(रविंद्र पटवाल जनचौक संपादकीय टीम के सदस्य हैं)