सबा दीवान और राहुल रॉय की फिल्मों का आज से ऑनलाइन समारोह

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नई दिल्ली। फिल्म निर्माताओं के एक समूह और पांच फिल्म कलेक्टिव ने मिलकर फिल्म निर्माताओं सबा दीवान और और राहुल रॉय की डॉक्यूमेंट्री को दिखाने के लिए एक ऑन लाइन समारोह का आयोजन किया है। गौरतलब है कि दीवान और रॉय की फरवरी दंगा मामले में दिल्ली पुलिस जांच कर रही है। वह जांच जिसके बारे में तमाम विपक्षी नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और दूसरों का कहना है कि उसका इस्तेमाल असहमति को कुचलने और सांप्रदायिक हिंसा के असली आरोपियों को बचाने के लिए की जा रही है।

“एकजुटता में: सबा दीवान और राहुल रॉय का एक फिल्म समारोह” एक ऑनलाइन आयोजन है जिसमें दिखायी जाने वाली फिल्मों का लिंक कुछ सीमित समय के लिए लोगों से साझा करने के साथ ही उन्हें उपलब्ध कराया गया है। फिल्म दिखाए जाने के बाद उस पर फेसबुक समूहों में बहस होगी। इसके आयोजकों में Vikalp@Prithvi (मुंबई) के साथ मारुपक्कम, पेडेस्ट्रियन पिक्चर्स (बेंगलुरू), सिनेमा ऑफ रेजिस्टेंस (गाजियाबाद) और पीपुल्स फिल्म कलेक्टिव (कोलकाता) शामिल हैं।

समारोह 22 अक्तूबर यानी आज से शुरू हो रहा है। और पहली जिस फिल्म पर बहस होनी है वह रॉय द्वारा निर्मित ‘When Four Friends Meet’ है। सन 2000 में बनी यह फिल्म दिल्ली के जहांगरीपुरी इलाके में रहने वाले मजदूर तबके के चार युवाओं पर केंद्रित है जिसमें वे महिलाओं के साथ कैसे व्यवहार करते हैं, उनकी अनिश्चित नौकरी और तमाम दूसरी चीजें दिखायी गयी हैं। दूसरी फिल्म 28 अक्तूबर को प्रदर्शित की जाएगी। यह सबा दीवान की है। ‘दिल्ली-मुंबई-दिल्ली’ नाम की इस फिल्म में एक युवा महिला का चित्रण किया गया है जो मुंबई के एक डांस बार में काम करती है।

दीवान और रॉय को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल द्वारा सितंबर में बुलाया गया था। जिसमें पुलिस का दावा था कि उनका जुड़ाव कुछ छात्र संगठनों और दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप (डीपीएसजी) नाम के एक ह्वाट्सएप ग्रुप से है।

इस मामले में सैकड़ों कलाकारों और फिल्म निर्माताओं ने उनके साथ एकजुटता जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि असहमति रखने वाले कलाकारों, अकेडमीशियनों, एक्टिविस्टों, पत्रकारों और दूसरों को फालतू की जांचों से परेशान करना और मनगढंत तथा जबरन कबूलनामे के आधार पर उनकी गिरफ्तारी बिल्कुल अस्वीकार्य है।

रॉय और दीवान दोनों अपने एक्टिविज्म और सामाजिक सेवा के लिए जाने जाते हैं। हाल के सीएए विरोधी प्रदर्शनों और फरवरी में हुए उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगों के दौरान उन्होंने बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। वह रॉय की याचिका थी जिसके जरिये उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट से दिल्ली पुलिस द्वारा एंबुलेंस के लिए सुरक्षित रास्ता मुहैया कराने का निर्देश देने की मांग की थी। कोविड-19 के दौरान उन्होंने गुड़गांव में एक समूह का निर्माण किया था जो फंसे हुए प्रवासियों के लिए पका खाना और राशन सप्लाई करने के काम में जुटा था। 

(कुछ इनपुट ‘द वायर’ से लिए गए हैं।) 

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