film
संस्कृति-समाज
तानाशाही के खिलाफ बुलंद आवाज का नाम है अमर सिंह चमकीला
Janchowk -
'अमर सिंह चमकीला' साधारण बायोपिक फ़िल्म होते हुए भी असाधारण फ़िल्म है। इम्तियाज अली सोसाइटी के दबाए जाने वाले डिस्कोर्स को पॉपुलर तरीके से परोसने की महारत रखते हैं। दबाव, नैतिकता के तथाकथित ठेकेदारों द्वारा पहले भी बनाया जाता...
संस्कृति-समाज
‘मुक्तेश्वर टू मुंबई’ तैयार हुई समोसा एंड सन्स
उत्तराखंड राज्य में रहकर मुंबई फिल्म इंडस्ट्री के लिए यह फ़िल्म बनाना 'समोसा एंड सन्स' के मेकरों के लिए आसान नहीं रहा था। इसके बारे में बात करते फिल्म के डायरेक्टर ऑफ फोटोग्राफी और फिल्म की निर्देशक शालिनी शाह...
संस्कृति-समाज
‘घोड़े को जलेबी खिलाने जा रिया हूं’ फिल्म में यथार्थ का प्रभावशाली चित्रण
Janchowk -
अनामिका हक्सर की फिल्म 'घोड़े को जलेबी खिलाने जा रिया हूं' बहुत गहरा प्रभाव छोड़ती है। यह फिल्म कई मायने में सफल कही जाएगी। फिल्म देखने के बाद उसके असर से आप लंबे समय तक मुक्त नहीं हो पाते।...
बीच बहस
रणदीप हुड्डा की फिल्म और सत्ता के भूखे लोग
पिछले एक दशक से इस देश की सांस्कृतिक, धार्मिक, और ऐतिहासिक अवधारणाओं को बदलने का लगातार प्रयास हो रहा हैं। जिस तरह से सिर्फ दो सवा दो साल में संसद के नए भवन को एक निश्चित तिथि के दिन...
संस्कृति-समाज
बाबागिरी को बेनकाब करता अकेला बंदा
‘ये दिलाये फतह, लॉ है इसका धंधा, ये है रब का बंदा’। जब ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ शुरू होती है और मनोज बाजपेयी को पहली बार दिखाया जाता है तो बैकग्राउंड में यही गीत सुनाई देता है। बंदा...
बीच बहस
फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ बनी दुष्प्रचार का हथियार
केरल का नाम सुनते ही हमारे मन में उभरता है एक ऐसा राज्य जहां शांति और सद्भाव का राज है, जहां निरक्षता का निर्मूलन हो चुका है, जहां शिक्षा एवं स्वास्थ्य सूचकांक बहुत अच्छे हैं, और जहां कोविड-19 महामारी...
संस्कृति-समाज
रणवीर सिंह के निधन पर विशेष: अस्त हो गया आधुनिक रंगमंच का एक चमकता नक्षत्र
आधुनिक रंगमंच के गहन अध्येता, अभिनेता-निर्देशक, नाट्य आलोचक और नाटककार रणवीर सिंह दुनिया के इस विशाल रंगमंच पर अपनी भूमिका निभाकर, हमेशा के लिए नेपथ्य में चले गए हैं। 23 अगस्त की सुबह जयपुर में उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली।...
संस्कृति-समाज
जन्मदिन पर विशेष:अमरोहा के हसनपुर में खेली-कूदी हैं सायरा
सायरा बानो उस वक्त कोई बड़ी हस्ती नहीं थीं जब उन्होंने बॉलीवुड के ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार को अपने सपनों का राजकुमार माना था। 23 अगस्त 1944 को जन्मी सायरा बानो महज़ 12 साल की थीं जब वह दिलीप कुमार...
बीच बहस
देवी काली और विविधवर्णी हिन्दू धर्म
एक टीवी बहस में पैगम्बर मुहम्मद के बारे में नूपुर शर्मा की एक टिप्पणी को ईशनिंदा माना गया। इसके बाद खाड़ी के कुछ देशों व कुछ अन्य मुस्लिम-बहुल राष्ट्रों ने इसका विरोध किया और अमरावती और उदयपुर में निहायत...
बीच बहस
प्रेम धवन, जिनके गाने आज भी लोगों को देश प्रेम के रंग में डुबो देते हैं
प्रेम धवन की शिनाख़्त एक वतनपरस्त गीतकार की रही है। जिन्होंने अपने गीतों से देशवासियों में वतनपरस्ती का जज़्बा जगाया। एकता और भाईचारे का पैग़ाम दिया। प्रेम धवन, शुरुआत से ही प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़ गए थे। पढ़ाई...
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प्रधानमंत्री की भाषा: सोच और मानसिकता का स्तर
धरती पर भाषा और लिपियां सभ्यता के प्राचीन आविष्कारों में से एक है। भाषा का विकास दरअसल सभ्यता का...
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