नागपुर जेल में फिर से भूख हड़ताल पर बैठे प्रोफेसर साईबाबा की तबियत बिगड़ी

Estimated read time 0 min read

नई दिल्ली। नागपुर जेल में बंद प्रोफेसर जीएन साईबाबा ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। यह दूसरी बार है जब वह हड़ताल कर रहे हैं। 21 मई, 2022 से शुरू हुई इस हड़ताल को अब छह दिन बीत गए हैं। इसके पहले उन्होंने डेढ़ साल पहले लॉकडाउन के दौरान हड़ताल की थी। इस दौरान उन्होंने कई मांगों को जेल प्रशासन के सामने रखी थी। जिसमें प्रमुख रूप से उनके परिवार द्वारा दी जाने वाली दवाएं, किताबें और पत्र आदि को जल्द से जल्द उनके पास तक पहुंचाने की मांगें शामिल थीं। इसमें कुछ मांगों को प्रशासन ने मान लिया था लेकिन कुछ अभी भी नहीं पूरी हुई थीं। आप को बता दें कि साईबाबा शरीर से 90 फीसदी अक्षम हैं।

लिहाजा उन्हें अंडा सेल में रहते हुए हर तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उनके शरीर और स्वास्थ्य के हिसाब से प्रशासन की ओर से जो सुविधाएं मुहैया करायी जानी चाहिए वह नहीं हो पा रही हैं। ऊपर से उन्हें परेशान करने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। मसलन अभी कुछ दिनों पहले उनके बैरक के सामने सीसीटीवी कैमरा लगा दिया गया। और यह सब कुछ उन्हें बगैर बताए किया गया। जिससे जेल में रहते उनके ऊपर चौबीस घंटे निगाह रखी जा रही है। यह किसी भी शख्स की निजता का खुला उल्लंघन है।

उन्होंने अपनी इस भूख हड़ताल में सीसीटीवी कैमरे को हटाने की मांग को सबसे ऊपर रखा है। डॉ. साईबाबा की रक्षा और बचाव के लिए बनी कमेटी ने बताया है कि इस सिलसिले में परिवार की तरफ से महाराष्ट्र के गृहमंत्री को कुछ दिनों पहले ज्ञापन भी दिया गया था। लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला।

इसके अलावा उनके स्वास्थ्य और बीमारी से जुड़े ईलाज के लिए उचित मेडिकल सुविधाएं मुहैया कराए जाने की मांग की गयी है। इस सिलसिले में उनके परिजनों की ओर से कई बार आवेदन किया गया लेकिन प्रशासन की तरफ से इस दिशा में कोई पहल नहीं की गयी। इसी कड़ी में पैरोल की मांग की गयी है।

साईबाबा ने अंडासेल से सामान्य बैरक में ट्रांसफर करने की मांग की है उनका कहना कि अंडासेल में इस समय की चिलचिलाती धूप में नहीं रहा जा सकता है इसके अलावा स्थान इतना कम है कि उसमें ह्वीलचेयर पर बैठक कर किसी का दो कदम भी चल पाना मुश्किल है।

इसी कड़ी में उनके तथा परिजनों की ओर से उनको नागपुर जेल से हैदराबाद स्थित चेरलापली जेल में तबादले की मांग की गयी है। इस सिलसिले में उनके परिजनों की ओर से जेल के अधिकारियों और महाराष्ट्र के गृहमंत्री को ज्ञापन पहले ही दिया जा चुका है।

इसके अलावा पहले की गयी तमाम मांगें जिन्हें प्रशासन अभी पूरा नहीं कर सका है उसे भी पूरी करने की मांग इसमें शामिल है।

इस मामले में साईबाबा के वकील आकाश सोरडे की तरफ से कुछ अपडेट भी आए हैं। जिसमें बताया गया है कि भूख हड़ताल के चौथे दिन यानी 24 मई को अधिकारियों ने सीसीटीवी कैमरों के मुंह को बदलने की बात मान ली है। बाकी मांगों के लिए उनका कहना था कि उच्च स्तर के ही अधिकारी फैसला ले सकते हैं लिहाजा साईबाबा ने उन्हें भी अलग से पत्र लिखा है। जिसमें एडीजी जेल का नाम प्रमुख रूप से बताया गया है। साथ ही उन्होंने सूबे के गृहमंत्री को एक और पत्र लिखा है। और उनसे मांग की है कि उनके अधिकार क्षेत्र में जो मांगें आती हैं उन्हें वह तत्काल पूरा करें। सोरडे ने बताया कि जेल अधिकारी अब उन्हें पानी की बोतल देने के लिए तैयार हो गए हैं जिसे उन्होंने पहले देने से इंकार कर दिया था।

छह दिनों की भूख हड़ताल के चलते साईबाबा के स्वास्थ्य बहुत तेजी से गिर गया है। हड़ताल के तीसरे दिन ही उनके टट्टी के रास्ते खून आया था। यह पूरा खून उनके बिस्तर पर फैल गया था जिससे पूरी चादर गंदी हो गयी और उसे साफ करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही साईबाबा की त्वचा काफी ढीली हो गयी है और वह मांसपेशियों से बिल्कुल अलग होकर झूलने की स्थिति में आ गयी है। इन स्थितियों को देखते हुए उन्हें कल जेल अस्पताल में भर्ती किया गया है। सीएमओ और सुपरिंटेंडेंट ने उनके बेहतर ईलाज का आश्वासन दिया है।

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author