संदीप पाण्डेय का सीएम योगी को खुला पत्र, पूछा-सरकार एवं पुलिस क्यों असुरक्षित महसूस करती है?

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प्रसिद्ध समाजसेवी एवं रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता संदीप पाण्डेय ने आजमगढ़ में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए अधिग्रहित की जाने वाली 670 एकड़ भूमि के विरोध में चल रहे आंदोलन के नेता राजीव यादव का पुलिस द्वारा अपहरण एवं लखनऊ से वाराणसी जाते समय रेलगाड़ी में अपने व 5 अन्य साथियों के साथ पुलिसिया उत्पीड़न पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक खुला पत्र लिखा है। पत्र को मीडिया में जारी करते हुए उन्होंने कहाकि क्या कारण है कि चंद किसानों-नौजवानों के पदयात्रा निकालने और पर्चे बांटने पर योगी सरकार एवं प्रदेश की पुलिस अपने को असुरक्षित महसूस कर रही है?

गौरतलब है कि आजमगढ़ के मंदुरी में प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए अधिग्रहित की जाने वाली 670 एकड़ भूमि से 8 गांव व करीब दस हजार लोग विस्थापित होंगे। जिसके विरोध में 13 अक्टूबर से स्थानीय किसानों का विरोध-प्रदर्शन चल रहा है। खिरियाबाग के आंदोलन के समर्थन में संदीप पाण्डेय 24 से 27 दिसम्बर, 2022  वाराणसी से आजमगढ़ एक पदयात्रा निकालने वाले थे। जो खिरिया बाग आंदोलन के 75 दिन पूरे होने के अवसर पर निकाली जाने वाली थी। लेकिन पुलिस ने पदयात्रा को रोककर आंदोलनकारियों के उत्पीड़न पर उतर आयी।

संदीप पाण्डेय पत्र में लिखते हैं कि, “आंदोलन के नेता राजीव यादव पुलिस विभाग की खुफिया इकाई से लगभग तीन दिन पहले से संपर्क में थे। उन्होंने पुलिस को बताया था कि कोई 10-15 लोग पदयात्रा में चलेंगे, रास्ते में कोई बड़ी सभा नहीं होगी, हम सिर्फ पर्चे बांटेंगे और 27 दिसम्बर को मंदुरी पहुंच कर सभा होगी जहां रोज ही लोग 300-400 की संख्या में इकट्ठा होते हैं। हमने मान लिया था कि चूंकि आंदोलन होने दिया जा रहा है इसलिए पदयात्रा भी निकालने दी जाएगी। इससे पहले कानपुर, उन्नाव, बाराबंकी व लखनऊ से 13 किसान व कार्यकर्ता दो वाहनों में एक यात्रा लेकर मंदुरी जा चुके थे।”

संदीप पाण्डेय पत्र में लिखते हैं कि, “23 दिसम्बर की रात लखनऊ से वाराणसी की रेलगाड़ी में मेरे व 5 अन्य साथियों के बैठने के करीब आधे घंटे के अंदर ही एक पुलिसकर्मी हमारे पास आ गया और हमारी तस्वीर खींचने लगा। वाराणसी कैण्ट स्टेशन पर ही पुलिस ने हमें हिरासत में ले लिया। पहले हमें सिगरा थाने ले जाया गया और फिर वाराणसी पुलिस लाइन्स।”

पुलिस लाइन्स में उन्हें मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने से रोक दिया गया। उनके एक सहयोगी का मोबाइल फोन छीनने की कोशिश की गई। उनके लिए नाश्ता बनाकर लाई मित्र रंजू को भी अंदर नहीं आने दिया जा रहा था। जब संदीप पाण्डेय सोफे से उतर कर अपने पांच साथियों के साथ जमीन पर बैठ कर पुलिस लाइन्स के अंदर ही धरना शुरू कर दिया तो सहायक पुलिस आयुक्त डॉ. अतुल अंजान त्रिपाठी के आने के बाद उनके मित्रों को अंदर आने दिया गया।

इसके साथ ही उनके प्रचार सामग्री को पुलिस ने ले लिया और उनके साथियों बीच अलग कर दिया गया। अपर पुलिस आयुक्त राजेश कुमार पाण्डेय का तर्क था कि कमरे में जगह न होने के कारण ऐसा किया गया। संदीप पाण्डेय के पुनः जमीन पर बैठने और धरने की बात करने पर उनके पांच साथियों को कमरे में लाया गया और वादा किया गया कि  प्रचार सामग्री वापस लौटा दी जाएगी।

पुलिस का प्रस्ताव था कि वे पदयात्रियों को वाहन से आंदोलन स्थल आजमगढ़ पहुंचा देंगे। संदीप पाण्डेय के साथ अमित मौर्य, संत राम यादव बाराबंकी से, रामशंकर उन्नाव से, श्याम बिहारी हरदोई से व आदिल अंसारी कन्नौज से को पुलिस वाहन से लखनऊ पहुंचा दिया गया। संदीप पाण्डेय ने अपना टिकट कटा रेल से वापस जाने का प्रस्ताव रखा था। किंतु पुलिस नहीं चाहती थी कि वह वाराणसी में रहें। भगवान अवाघड़े जो सतारा, महाराष्ट्र से पदयात्रा में चलने के लिए आए थे उन्होंने राजीव यादव के साथ आजमगढ़ जाना तय किया।

जब संदीप पाण्डेय के साथी पुलिस लाइन्स में उनके साथ फोटो आदि लेना चाह रहे थे तो डॉ. अतुल अंजान त्रिपाठी ने हमसे कहा कि पुलिस लाइन्स के बाहर हम यह काम कर सकते हैं किंतु जिस जीप में संदीप को लखनऊ भेजा गया उसके चालक को निर्देश दे दिए गए थे कि उसे रुकना नहीं है ताकि वह मीडिया से बात न कर सकें।

संदीप पाण्डेय पत्र में लिखते हैं कि, “अभी राजीव यादव व साथी हमें छोड़कर वाराणसी से आजमगढ़ मार्ग पर 22 किलोमीटर ही गए थे कि करीब ढाई बजे तुरांव नामक जगह पर एक बिना नम्बर प्लेट की गाड़ी में कुछ सादे कपड़ों में लोगों ने, जो अपने को विशेष कार्य बल या एस.टी.एफ. का बता रहे थे, राजीव की गाड़ी रोकी, उनको व उनके भाई एडवोकेट विनोद यादव, जो गाड़ी चला रहे थे, को पीटते हुए अपनी गाड़ी में बैठा लिया व विनोद के हाथ से उनकी गाड़ी की चाभी छीन ली। पहले वह वाहन वाराणसी की दिशा में गया किंतु कुछ दूर जाने के बाद पलट कर आजमगढ़ की ओर चला। राजीव से घंटा भर सवाल पूछे गए कि वे हवाई अड्डे के खिलाफ क्यों आंदोलन कर रहे हैं, क्यों वे मेधा पाटकर व राकेश टिकैत जैसे नेताओं को बुला रहे हैं, क्यों मैं पदयात्रा निकाल रहा था, उनके संसाधनों का स्रोत क्या है, आदि। उनका मुखिया विनोद दूबे नामक व्यक्ति बीच बीच में आजमगढ़ पुलिस अधीक्षक से बात भी कर रहा था। मैंने राजीव व विनोद को अज्ञात व्यक्तियों द्वारा उठाए जाने की शिकायत अपर पुलिस महानिदेशक राम कुमार व अन्य पुलिस अधिकारियों को की। कुछ देर के बाद राजीव व विनोद को कंधरापुर पुलिस थाने, जो आंदोलन स्थल के समीप है, लाया गया एवं फिर जिला मुख्यालय में एक न्यायालय में जमानत पर छोड़ने के लिए लाया गया। जाहिर है कि राजीव व विनोद के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज किया गया था लेकिन उनका जुर्म क्या था हमें मालूम नहीं?”

संदीप पाण्डेय ने योगी सरकार से सवाल किया है कि, बताया जा रहा है कि आपकी सरकार में कानून व व्यवस्था दुरुस्त हो गई है। लेकिन हकीकत यह है कि पुलिस दमनात्मक हो गई है। वे बिना कोई मुकदमा किए लोगों को अवैध हिरासत में लेती है, उनके मोबाइल छीनती है, उन्हें फोटो नहीं खींचने देती और उन्हें मीडिया से बात नहीं करने देती। आजमगढ़ की पुलिस को क्या जरूरत थी कि वह अपराध शाखा की मदद से राजीव का अपहरण करवाए? यदि पुलिस अधीक्षक बात ही करना चाह रहे थे तो राजीव को बुलाकर सीधे बात कर लेते। पुलिस एक जन आंदोलन के नेता के साथ अपराधी जैसा व्यवहार क्यों कर रही है और खुद गुण्डा बनी हुई है। जाहिर है कि पुलिस पेशेवर तरीके से काम करने के बजाए गैर-कानूनी तरीके अपना रही है और हमारे मौलिक सांविधानिक अधिकारों अनुच्छेद 19 (क) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, (ख) शांतिपूर्ण ढंग से एकत्रित होने, (ग) संगठन बनाने, (घ) भारत में खुले घूमने की आजादी का उल्लंघन कर रही है।

(संदीप पाण्डेय, महासचिव, सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) द्वारा जारी पत्र पर आधारित)

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