संयुक्त किसान मोर्चा आगे की रणनीति बनाने के लिए आज कर रहा बैठक, आंदोलन को तेज करने पर होगा फैसला

Estimated read time 1 min read

सरकार और किसान नेताओं के बीच पिछले कई दिनों से चल रही बयानबाजी के बीच अब संयुक्त किसान मोर्चा आज बुधवार को बैठक करके आंदोलन की अगली रणनीति तय करेगा। किसान मोर्चा की इस बैठक में सभी संगठनों के नेता शामिल होंगे। इसमें सरकार से बातचीत का रास्ता खोलने के लिए आंदोलन तेज करने की रणनीति बनाई जाएगी। इस बैठक में जिस तरह के फैसले लिए जाएंगे, उनको अन्य किसानों को बताया जाएगा और उसके आधार पर आगे आंदोलन चलेगा। पंजाब के आठ लोकसभा सांसदों ने किसान कानूनों को वापस लेने वाला प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया है। वहीं बीजेपी ने सरकार के पक्ष के समर्थन के लिए अपने सांसदों के लिए थ्री-लाइन व्हिप जारी किया है।

कल लोकसभा और राज्यसभा में तमाम विपक्षी दलों के सांसदों ने किसान आंदोलन का केंद्र सरकार द्वारा दमन किए जाने और किसान विरोधी कृषि क़ानूनों की जोरदार मुखालफत की। लोकसभा में AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “भारत-चीन सीमा पर चीन लगातार इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहा है और फोर्स जमा कर रहा है। मैं ये सरकार से जानना चाहता हूं कि जब बर्फ पिघलेगी और चीन फिर से भारतीय सुरक्षाबलों पर हमला करेगा तो इसके लिए हमारी क्या तैयारी है? हम टिकरी, सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर पर इंफ्रास्ट्रक्चर बना रहे हैं, अरुणाचल प्रदेश में नहीं। किसानों के साथ ऐसा व्यवहार हुआ है, ऐसा लग रहा है कि वो चीनी सेना हैं।  आपको कानून वापस लेना ही होगा और अपने अहंकार को भूलना होगा।”

अकाली दल नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कृषि कानूनों को लेकर सरकार के रवैये को असंवेदनशील और अहंकार से भरा बताते हुए कहा, “कोविड-19 के समय में जब लोग घरों में बंद थे, तब अध्यादेश के जरिए इन्हें थोप दिया गया और बाद में शंकाएं दूर किए बिना कानून बना दिया गया।”

हरसिमरत कौर बादल ने आगे कहा, “अनाज उत्पादन का पवित्र काम करने वाले किसान आज अपनी जायज मांगों को लेकर ठिठुरती ठंड में पिछले 70-75 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं, जिनमें बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं भी हैं। केंद्र की भाजपा नीत सरकार में मंत्री रह चुकीं कौर ने कहा कि पिछले छह महीने से, जब अध्यादेश लाया गया, तब से किसान अपनी मांग रख रहे हैं, लेकिन इस सरकार के आंख, कान और मुंह बंद हैं।”

समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने कहा, “कल मैंने सुना था ‘MSP था, MSP है, MSP रहेगा’। ये सिर्फ भाषणों में हैं ज़मीन पर नहीं है। किसानों को कुछ नहीं मिल रहा है, अगर मिलता तो वो दिल्ली में बैठे नहीं होते। मैं किसानों को धन्यवाद देना चाह रहा हूं कि उन्होंने देश भर के किसानों को जगाया है।”

अखिलेश यादव ने आगे कहा, “अगर सरकार ये कह रही है कि कानून किसानों के लिए है तो जब किसानों को ही मंजूर नहीं है तो वापस क्यों नहीं लिया जा रहा है? जिन लोगों के लिए ये बनाया गया है वो ये चाहते ही नहीं हैं। सरकार को कौन रोक रहा है? क्या ये आरोप जो लगाया जा रहा है कि सरकार इस कानून को लाकर कॉरपोरेट्स के लिए कार्पेट बिछा रही है, ये सही है?

वहीं एक दिन पहले राज्य सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आंदोलनकारियों को आंदोलनजीवी परजीवी कहे जाने के मुद्दे पर अखिलेश यादव ने कहा कि देश ने आंदोलन के जरिए ही आजादी हासिल की है। असंख्य अधिकार आंदोलन के जरिए ही पाए गए थे। महिलाओं ने वोट देने का अधिकार आंदोलन के जरिए हासिल किया था। अफ्रीका, दुनिया और भारत में आंदोलन के जरिए ही महात्मा गांधी राष्ट्रपित बने। आंदोलन के बारे में क्या कहा जा रहा है? वो लोग ‘आंदोलनजीवी’ हैं। मैं उन लोगों को क्या कहूं जो चंदा इकट्ठा कर रहे हैं? क्या वो ‘चंदाजीवी संगठन’ के कार्यकर्ता हैं।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद फारूक अब्दुल्ला ने कृषि क़ानूनों पर सरकार के अड़ियल रुख का जोरदार विरोध करते हुए सदन में कहा, “ये कोई धार्मिक ग्रंथ नहीं है, जिसमें बदलाव नहीं किए जा सकते हैं। अगर किसान उसे वापस लेने के लिए कह रहे हैं तो आप बात क्यों नहीं कर सकते? इसे प्रतिष्ठा का विषय न बनाएं। ये हमारा देश है। हम इस देश के हैं, आइए हर किसी का सम्मान करते हैं।”

पंजाब के लुधियाना से कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि नए कृषि कानून से सरकारी मंडिया खत्म हो जाएंगी। हालांकि, सरकार की ओर से वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर सहित कई सांसदों ने आपत्ति करते हुए चुनौती दी कि वह बताएं कि कानून में कहां लिखा है कि सरकारी मंडिया खत्म कर दी जाएंगी। इसके जवाब में कांग्रेस सांसद ने कहा कि सरकारी मंडियों पर टैक्स है, लेकिन प्राइवेट मंडियों पर टैक्स नहीं लगाया जाएगा, इसलिए मंडियां खत्म हो जाएंगी।

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author