आदिवासी कवि नीतिशा खलखो को सावित्रीबाई फुले सम्मान

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पटना। आदिवासी कवि और हिंदी की प्रोफेसर नीतिशा खलखो को सावित्रीबाई फुले सम्मान से सम्मानित किया गया है। रविवार को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान के निकट प्राथमिक शिक्षक संघ भवन में जन लेखक संघ, बिहार इकाई का द्वितीय वार्षिक राज्य सम्मेलन आयोजित हुआ।

प्रोफेसर खलखो के अलावा, भारत और नेपाल के कई अन्य कवियों और लेखकों को इस एक दिवसीय आयोजन में विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

जन लेखक संघ के बैनर तले “बहुजन साहित्य की प्रासंगिकता” विषय पर परिसंवाद और कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, हरियाणा, नेपाल, भूटान, दिल्ली, पंजाब आदि राज्यों के लेखकों ने अपनी रचनाएं और विचार साझा किए।

जन लेखक संघ के महासचिव महेंद्र पंकज ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए सभी का स्वागत किया। बाबा साहब आंबेडकर को पुष्पांजलि अर्पित की गई और विषय का परिचय कराया गया।

75-वर्षीय महेंद्र पंकज ने बहुजन साहित्य की आवश्यकता पर बोलते हुए कहा कि पीड़ित व्यक्ति ही अपनी पीड़ा का सही तरीके से इज़हार कर सकता है। इसलिए, बहुजनों को जाति प्रथा और शोषण के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करनी चाहिए।

वंचितों के दर्द को व्यक्त करते हुए प्रोफेसर खलखो ने अपनी प्रसिद्ध कविता “अख़बार और आसिफ़ा” का पाठ किया। यह कविता जम्मू के आदिवासी बकरवाल समुदाय की 8 वर्षीय बच्ची आसिफ़ा के साथ हुए सामूहिक बलात्कार की त्रासदी को बयान करती है।

प्रोफेसर नीतीशा की शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय और जेएनयू से हुई है। उनका लेखन, जिसमें कविता और कहानी शामिल हैं, समाज के कमज़ोर वर्गों की पीड़ा और उनके संघर्षों पर केंद्रित है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रवींद्र भारतीय ने किया।

(अभय कुमार की रिपोर्ट)

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