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श्वेता भट्ट ने की केरल के मुख्यमंत्री से मुलाकात, कहा- सांसद से लेकर आम जनता के समर्थन और सहयोग की जरूरत

तिरुअनंतपुरम। पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता भट्ट ने केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला से मुलाकात की है। उनकी यह मुलाकात भट्ट को 1990 में हिरासत में मौत एक मामले में सजा सुनाए जाने के तकरीबन एक महीने बाद हुई है।

25 जुलाई को विजयन से मिलने के बाद श्वेता भट्ट ने कहा कि वह केरल दोनों नेताओं का समर्थन हासिल करने के लिए आयी थीं जिससे उनके पति के खिलाफ बदले की कार्रवाई का कारगर रूप से जवाब दे सकें। उन्होंने एनडीटीवी को बताया कि “मैं यहां समर्थन हासिल करने के लिए आयी थी। मेरे पति राजनीतिक बदले की कार्रवाई के शिकार हैं। अपने केस को लड़ने के लिए मुझे सांसद से लेकर कानून निर्माता और आम जनता तक का समर्थन चाहिए। मैंने मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि वह अपने समकक्ष दूसरे मुख्यमंत्रियों से भी बात करें।”

संजीव भट्ट के साथ ऐसा 2002 से शुरू हुआ जब उन्होंने गुजरात दंगों के दौरान कुछ ऐसी बातें कहीं जो तत्कालीन नरेंद्र मोदी की सत्ता के बिल्कुल खिलाफ जाती थीं। उसी के बाद से उनके खिलाफ बदले की कार्रवाई शुरू हो गयी। और फिर एक प्रक्रिया में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। यहां तक कि उन पर गुजरात प्रशासन द्वारा 2002 के दंगे में साठ-गांठ करने तक का आरोप लगाया गया लेकिन बाद में कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया।

श्वेता भट्ट, पिनराई विजयन और अन्य लोग।

पिनराई विजयन और चेन्निथला दोनों ने अपनी तरफ से पूरा सहयोग देने की बात कही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि “हम आईपीएस अफसर संजीव भट्ट की पत्नी को हर तरह का सहयोग करेंगे। जिन्हें गलत तरीके से फंसाकर बीजेपी सरकार द्वार जेल में डाल दिया गया है। हम उसी विचार के दूसरे मुख्यमंत्रियों और नेताओं जैसे अरविंद केजरीवाल, एचडी कुमारस्वामी और एमके स्टालिन से इस मसले पर बात करेंगे। हम इस मसले पर केरल के सासंदों को भी एकताबद्ध करने की कोशिश करेंगे।”

दूसरी तरफ रमेश चेन्निथला ने श्वेता भट्ट के मामले को हर शख्स की फासिज्म के खिलाफ लड़ाई करार दिया। जेल में बंद संजीव भट्ट की पत्नी से मिलने के बाद उन्होंने कहा कि “हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस लड़ाई को कानूनी तौर पर आगे बढ़ाने के लिए उन्हें आम जनता और हर शख्स के समर्थन की जरूरत है जो न्याय के लिए खड़ा हो।”

आपको बता दें कि जामनगर कोर्ट ने हिरासत में एक मौत के मामले में संजीव भट्ट को आजीवन कारावास की सजा सुनायी है। यह मामला 1990 का है। सीपीएम के युवा संगठन डीवाईएफआई ने 26 जुलाई को संजीव भट्ट के पक्ष में अभियान छेड़ने का ऐलान किया था।

श्वेता भट्ट का कहना है कि उनके पति ने कोई भी एक ऐसा काम नहीं किया है जिसके चलते उन्हें आजीवन कारावास जैसी कड़ी सजा मिले। उन्होंने कहा कि “30 अक्तूबर, 1990 के दंगे के मामले में मेरे पति द्वारा एक भी शख्स गिरफ्तार नहीं किया गया था। स्थानीय पुलिस द्वारा तकरीबन 133 दंगाइयों को गिरफ्तार किया गया था और उनमें से एक भी उनकी हिरासत में नहीं था। वह राजनीतिक बदले के शिकार हैं। मैं इसे कानूनी तरीके से लड़ूंगी लेकिन फिर भी मुझे हर तरह के समर्थन की जरूरत है।”श्वेता भट्ट के साथ उनके बेटे शांतनु भट्ट भी मौजूद थे।

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