पटना: पंचायती कार्यों को नौकरशाही के हवाले किये जाने के खिलाफ माले का राज्यव्यापी प्रदर्शन

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पटना। पंचायतों को नौकरशाही के हवाले करने के अलोकतांत्रिक निर्णय के खिलाफ अध्यादेश लाकर पंचायतों के कार्यकाल को 6 माह बढ़ाने की मांग पर भाकपा-माले के राज्यव्यापी प्रतिवाद के तहत राजधानी पटना सहित राज्य के विभिन्न जिला/प्रखंड मुख्यालयों व घरों से प्रतिवाद दर्ज किया गया। राज्य कार्यालय में माले राज्य सचिव कुणाल के नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया।

माले राज्य सचिव ने कहा कि कोविड जैसी महामारी के संकट के दौर में पंचायतों के कार्यकाल को 6 माह के लिए बढ़ाया जाना चाहिए क्योंकि इस संस्था की पहुंच बहुत दूर तक है। पंचायती व्यवस्था के जनप्रतिनिधि जनता से सीधे जुड़े लोग हैं और कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम और सर्वव्यापी टीकाकरण अभियान में उनकी भूमिका व उनका अनुभव विशेष महत्व रखता है। फिर सरकार इस तंत्र का उपयोग क्यों नहीं करना चाह रही है? इस तंत्र के जरिए एक निश्चित अवधि के भीतर टीकाकरण की पूरी प्रक्रिया की जा सकती है और कोविड को लेकर गांव-गांव जागरूकता अभियान भी चलाया जा सकता है, जिसकी अभी सबसे ज्यादा आवश्यकता है, लेकिन सरकार उल्टे अध्यादेश लाकर पंचायतों के तमाम अधिकार नौकरशाही को सौंपना चाह रही है। यह पूरी तरह से आत्मघाती कदम साबित होगा। माले इसको एक घोर अलोकतांत्रिक कदम मानती हैं। मौके पर बृजबिहारी पांडेय, प्रदीप झा, विभा गुप्ता, प्रकाश कुमार व अन्य नेता उपस्थित थे।

उन्होंने आगे कहा कि कोविड-19 के दूसरे हाहाकारी दौर में जब स्वास्थ्य व्यवस्था नकारा साबित हुई है, तब लोगों की व्यापक भागीदारी से ही इस त्रासदी से उबरना सम्भव हो सकता है। लेकिन यह दुर्भाग्य है कि आज सबकुछ नौकरशाही के जिम्मे छोड़ा जा रहा है और अब पंचायती कामकाज भी उन्हीं के हवाले किया जा रहा है। यह लोकतांत्रिक संस्थाओं को खत्म करने का प्रयास तो है, साथ ही यह भी प्रश्न उठता है कि क्या पहले से ही कई प्रकार के अतिरिक्त बोझ का वहन कर रही नौकरशाही इस जिम्मेवारी को निभा पाएगी?   

इसलिए भाकपा माले ने मांग है कि सरकार नौकरशाही के जिम्मे पंचायतों के तमाम कामकाज सुपुर्द करने वाला अध्यादेश लाने की बजाय पंचायतों के कार्यकाल को 6 महीना बढ़ाने वाला अध्यादेश लाए और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता को बहाल रखने की गारंटी करे।

पटना ग्रामीण के पालीगंज, मनेर, नौबतपुर, फुलवारी, पुनपुन, दुल्हिनबाजार, संपतचक, मसोढ़ी, बिहटा, बेलछी आदि प्रखंडों में 100 से अधिक गांवों में इस सवाल पर प्रतिवाद दर्ज हुआ। गुलजारबाग कमेटी द्वारा पटना सिटी में भी प्रतिवाद हुआ।

माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कटिहार के बारसोई में पार्टी समर्थकों के साथ विरोध किया। अन्य सभी विधायक भी आज के प्रतिवाद में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की आड़ में पंचायतों के लोकतांत्रिक अधिकार को सरकार कुचलना बंद करे।

मुजफ्फरपुर के औराई-कटरा, बोचहां, शहर आदि जगहों पर प्रतिवाद दर्ज किया गया। जहानाबाद जिला कार्यालय में घोषी विधायक रामबलि सिंह यादव, जिला सचिव श्रीनिवास शर्मा के नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया। बक्सर के डुमरांव कार्यालय में प्रदर्शन किया गया। भोजपुर के गड़हनी में अगिआंव विधायक मनोज मंजिल ने विरोध दिवस का नेतृत्व किया। बेगूसराय, अरवल, सुपौल, भागलपुर, सिवान, गोपालगंज, गया, नालंदा, नवादा, दरभंगा, बेगूसराय, समस्तीपुर आदि जिलों में भी माले नेताओं ने प्रदर्शन किया। तरारी में रमेश सिंह, विजय राम, लालसा देवी अद नेताओं के नेतृत्व में विरोध दर्ज हुआ।

दरभंगा पंचायतों को नौकरशाही के हाथों सौपने के खिलाफ भाकपा(माले) के राज्यव्यापी आह्वान पर आज जिले में दर्जनों जगहों पर विरोध दिवस मनाया गया। इस विरोध दिवस में पंचायत प्रतिनिधि बसंतपुर पंचायत के मुखिया कुमारी नीलम, बहादुरपुर देकुली के मुखिया नंदलाल ठाकुर, पिररी पंचायत के मुखिया तीलिया देवी, सरपंच, सदर पंचायत समिति केशरी कुमार यादव, सहित अन्य समिति, वार्ड सदस्य, वार्ड पंच के अलावा भाकपा(माले) कार्यकर्ताओ ने भाग लिया। भाकपा(माले) जिला कार्यालय में वरिष्ठ नेता आर के सहनी के नेतृत्व में आयोजित की गई। इस अवसर पर लक्ष्मी पासवान, शिवन यादव, गंगा मंडल, आइसा जिला अध्यक्ष प्रिंस राज ने भाग लिया। वही दूरी ओर केवटी में भाकपा(माले) जिला सचिव बैद्यनाथ यादव के नेतृत्व में विरोध दिवस मनाया गया। इसके साथ ही बहादुरपुर, हायाघाट, सदर, बिरौल, केवटी सहित अन्य प्रखंडों में कार्यक्रम आयोजित की गई।

(भाकपा माले बिहार द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित)

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