लखनऊ। आइसा,ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वूमेन्स एसोसिएशन, रिवोल्यूशनरी यूथ एसोसिएशन, जन संस्कृति मंच और सामाजिक संगठनों के राज्यव्यापी प्रतिरोध दिवस के तहत आज लखनऊ विश्वविद्यालय गेट नंबर 1 से परिवर्तन चौक तक निकाले जाने वाले शांतिपूर्ण प्रतिरोध मार्च को पुलिस ने बलपूर्वक रोक दिया।
यह प्रदर्शन डॉ. माद्री काकोटी और नेहा सिंह राठौर पर फर्जी मुकदमों के खिलाफ था। भारी संख्या में छात्र, शिक्षक और संस्कृतिकर्मी जमा हो गए थे, तभी प्रदर्शन मार्च शुरू होने से पहले ही विश्वविद्यालय के गेट को भारी पुलिस बल ने घेर लिया और दर्जनों छात्रों, शिक्षकों और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
यह कार्रवाई स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि योगी-मोदी सरकार कितनी डरी हुई है। आज के उत्तर प्रदेश में ट्वीट करने वाले को ‘देशद्रोही’ और प्रदर्शन करने वाले को ‘कानून-व्यवस्था के लिए खतरा’ घोषित कर दिया जाता है। आज के प्रदर्शन पर बर्बर हमला इस सच्चाई को उजागर करता है कि यह सरकार अब अभिव्यक्ति की आज़ादी से डरती है।
आइसा के उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष समर गौतम ने कहा “आज की गिरफ्तारी सिर्फ़ प्रदर्शन को रोकने की नहीं थी—यह हर असहमति को कुचलने की कार्रवाई थी। जब ट्वीट को देशद्रोह और विरोध को अराजकता कहा जाने लगे, तो समझ लीजिए कि लोकतंत्र दम तोड़ रहा है।”

एपवा की कमला गौतम का कहना है कि “सरकार सोचती है कि गिरफ़्तारी से हम डर जाएंगे, लेकिन हम संघर्ष के रास्ते पर हैं। जब तक नेहा और माद्री पर से फर्जी मुकदमे वापस नहीं लिए जाते, हमारा आंदोलन जारी रहेगा—चाहे जेल में हो या बाहर।”
RYA के राजीव गुप्त ने अपनी बात रखते हुए कहा कि “यह सिर्फ़ कुछ लोगों की लड़ाई नहीं है। यह उन सभी की लड़ाई है जो सवाल करते हैं, जो पढ़ाते हैं, जो गाते हैं, जो सोचते हैं। इस सरकार को सच से डर लगता है। और हम डरने वाले नहीं हैं।”
वहीं जनसंस्कृति मंच के यूपी के कार्यकारी अध्यक्ष कौशल किशोर का कहना था कि “आज की गिरफ्तारी यह बताती है कि हमला सिर्फ़ विचारों पर नहीं है, यह संस्कृति, शिक्षा और इंसानियत पर हमला है। माद्री और नेहा के खिलाफ कार्रवाई इस फासीवादी दौर की भयावहता को उजागर करती है। जन संस्कृति मंच हर प्रतिरोधी आवाज़ के साथ खड़ा है।”
आइसा के कार्यकर्ता शंतम निधि ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “अगर आप गाते हैं, तो आप देशद्रोही हैं। अगर आप पढ़ाते हैं, तो आप उग्रपंथी हैं। अगर आप सवाल करते हैं, तो आप अपराधी हैं। यह सरकार सोच से डरती है। लेकिन वो भूल रही है—जब जनता डरना छोड़ देती है, तो सत्ता लड़खड़ा जाती है। आज की कार्रवाई ने हमें और मज़बूत कर दिया है।”
प्रयागराज में भी हुआ विरोध प्रदर्शन
नेहा सिंह राठौर और मेदुसा पर किए गए एफआईआर के खिलाफ प्रयागराज में भी विरोध प्रदर्शन किया गया।
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा), अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा), इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) द्वारा राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन के तहत जिलाधिकारी कार्यालय प्रयागराज पर विरोध प्रदर्शन करते हुए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ज्ञापन सौंपा। लखनऊ विश्वविद्यालय की सहायक आचार्य डॉ. माद्री काकोटी (मेदुसा) के खिलाफ जारी किए गए कारण बताओ नोटिस और प्रसिद्ध लोक गायिका नेहा सिंह राठौर पर दर्ज की गई झूठी एफआईआर को रद्द करने की मांग की है। यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और असहमति के लोकतांत्रिक अधिकार पर फासीवादी हमला है।

आइसा के प्रदेश उपाध्यक्ष भानु ने कहा कि सरकार और प्रशासन ने पहलगाम त्रासदी के बाद उठी जनता की भावनाओं का इस्तेमाल करते हुए असहमति की आवाज़ों पर हमला बोला है। यह कार्रवाई न केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने का प्रयास है, बल्कि सरकार की अपनी सुरक्षा विफलताओं से ध्यान भटकाने की एक सोची-समझी साजिश भी है।
आरवाईए प्रदेश सहसचिव सोनू यादव ने कहा कि पहलगाम में जो त्रासद पूर्ण हमला हुआ, वह सरकार की सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी चूक थी। इस चूक की जांच और जवाबदेही तय करने के बजाय, सत्ता ने इसे सांप्रदायिक नफरत फैलाने और असहमति व्यक्त करने वालों को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल किया है। सरकार त्रासदी को रोकने में विफल रही, अब उसे राजनीतिक हथियार बनाकर विरोध के हर स्वर को दबाने में लगी है।
हम सभी जानते हैं कि डॉ. माद्री काकोटी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा था कि धर्म पूछकर गोली मारना, धर्म पूछकर लिंच करना, धर्म पूछकर नौकरी से निकालना और धर्म पूछकर बुलडोज करना — यह सब बर्बरता और आतंकवाद है, और असली आतंकियों को पहचानने की ज़रूरत है। उनके इस पोस्ट का मकसद नफ़रत के माहौल के खिलाफ बोलना और असली समस्याओं को उजागर करना था।
लेकिन इस लोकतांत्रिक आवाज़ को चुप कराने के लिए उनके खिलाफ बीएनएस की कठोर धाराओं के तहत झूठे मुकदमे दर्ज कर दिए गए। डॉ. मद्री काकोटी (डॉ मेदुसा) और लोक गायिका नेहा सिंह राठौर के खिलाफ दर्ज फर्ज़ी मुकदमे निरस्त करने की मांग करते हैं। साथ ही लखनऊ में प्रदर्शन कर रहे आइसा, आरवाईए , ऐपवा और जसम के नेताओं और कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी बेहद तानाशाही पूर्ण कार्यवाही है। गिरफ्तार किए गए सभी आंदोलनकरियों को तत्काल छोड़ा जाए।
आज हुए प्रदर्शन में इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) के प्रदेश सचिव सुनील मौर्य, आइसा के प्रदेश सहसचिव शशांक अनिरुद्ध, विवेक सुल्तानवी, शिवरतन, विश्वेंद्र आदि शामिल रहे।
(प्रेस विज्ञप्ति)
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