अयोध्या और काशी के तर्ज पर विंध्य कॉरिडोर के जरिए भले ही विख्यात देवी धाम विंध्याचल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नए भव्य स्वरूप में ले जाने की कवायद तेजी से चल रहा है। लेकिन देखा जाए तो विंध्य क्षेत्र के कई ऐसे पौराणिक, धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल हैं जो विकास से कोसों दूर बने हुए हैं। जहां से गुजरने वाले भक्तों के पैरों में न केवल छाले पड़ रहे हैं, बल्कि उन्हें प्यास से व्याकुल भी देखा जा सकता है। यह तस्वीर तब की है जब विंध्य कॉरिडोर का कार्य प्रगति पर है और तो और अभी हाल में ही चैत्र नवरात्रि मेला 2023 को संपन्न कराए जाने के नाम पर लाखों-करोड़ों रुपये की राशि को पानी की तरह बहाया गया है।
विख्यात देवी धाम विंध्याचल में दर्शन-पूजन के साथ ही विंध्य क्षेत्र के अष्टभुजा पहाड़ और त्रिकोण परिक्रमा का भी महत्व है। बताया जाता है कि वर्ष के दोनों नवरात्र में दर्शनार्थी त्रिकोण यात्रा करना नहीं भूलते हैं। त्रिकोण यात्रा में काली-खो मंदिर, अष्टभुजा देवी मंदिर, अष्टभुजा पहाड़ का महात्म्य है। वर्ष के दोनों नवरात्रि के अलावा अन्य दिनों में भी हजारों की संख्या में भक्तों का यहां हुजूम उमड़ पड़ता है। हजारों भक्तों के जरिए कई परिवारों का जीविकोपार्जन संचालित होता है, जिनमें धाम क्षेत्र के पंडा-पुजारियों से लेकर दुकानदार भी शामिल हैं। लेकिन दु:खद है कि जिन दर्शनार्थियों के चढ़ावे से धाम की व्यवस्था और इससे जुड़े हुए लोग का भरण पोषण होता है उनकी सुविधाओं के पर कभी ध्यान नहीं दिया जाता।
अभी पिछले दिनों संपन्न हुए चैत्र नवरात्रि मेले में शासन-प्रशासन द्वारा विंध्याचल देवी धाम में आयोजित होने वाले 9 दिन के चैत्र नवरात्रि मेले को सकुशल संपन्न कराने के लिए लाखों रुपये की भारी-भरकम रकम खर्च कर दी गई। यूं कहें कि पैसा पानी की तरह बहाया गया है, लेकिन बात करें तो विंध्य क्षेत्र के कई ऐसे स्थल हैं जो सुविधाओं से महरूम हैं, जहां से होकर गुजरने वाले भक्तों के पांव में छाले पड़ जाते हैं। सड़क-पानी सहित कई मुकम्मल व्यवस्थाएं यहां दुरुस्त ना होने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जबकि इन दर्शनार्थियों से प्रतिवर्ष लाखों-करोड़ों रुपये का चढ़ावा प्राप्त हो रहा है।
उपेक्षित पड़ा है त्रिकोण क्षेत्र सीताकुंड मार्ग
विंध्याचल क्षेत्र के सीता कुंड मार्ग का धार्मिक और पौराणिक महत्व है। विंध्य क्षेत्र के त्रिकोण परिक्रमा में सीता कुंड का प्रमुख स्थान है। देश के कोने-कोने से आने वाले दर्शनार्थी विंध्याचल देवी धाम के दर्शन पूजन के पश्चात सीताकुंड भी आना नहीं भूलते। ऐसे में सैकड़ों की संख्या में यहां दर्शनार्थियों की भीड़ लगी रहती है तो नवरात्र के दिनों में यह संख्या हजारों से होते हुए लाखों तक में पहुंच जाती है। लेकिन पिछले कई वर्षों से जर्जर पड़ी हुई सड़क, जिनके नुकीली गिट्टीयां भक्तों के पैरों में जख्म का काम कर रही हैं। सीता कुंड मार्ग पूरी तरह छतिग्रस्त है साथ ही सीता कुंड मार्ग पर लगे हैंडपंप पूरी तरह खराब हैं। अब यह क्यों खराब हैं, इसका जवाब जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासन के पास भी नहीं है।
दर्शन पूजन की लालसा से आए तीर्थयात्री दिलीप कुमार बड़े ही बेबाकी से कहते हैं कि “सीताकुंड मार्ग पूरी तरह से जर्जर होने के साथ जोखिम भरा भी है। जहां पैदल चलना बिल्कुल मुनासिब नहीं है। सड़क पर नुकीली बिखरी हुई गिट्टियां पैरों में गहरे जख्म का कारण बनती हैं। इससे भी कहीं ज्यादा जटिल पानी की गंभीर समस्या है। वह अपनी व्यथा बताते हुए “जनचौक” को बताते हैं कि यहां के अधिकांश हैंडपंप बिगड़े पड़े हैं इसलिए पानी के लिए पैसे देने पड़ते हैं, तब जाकर कहीं प्यास बुझती है।”
कुछ ऐसी ही पीड़ा सुनाते हैं बबलू साहनी। वो बताते हैं कि परिवार के साथ दर्शन पूजन के लिए यहां आए थे। त्रिकोण परिक्रमा का उन्होंने वर्णन सुन रखा था इसलिए उनकी कामना था कि इस बार वह मां विंध्यवासिनी धाम का दर्शन पूजन करने के साथ ही त्रिकोण परिक्रमा भी करेंगे सो उन्होंने त्रिकोण परिक्रमा भी पूरी की। लेकिन सीताकुंड मार्ग की दशा और पहाड़ियों पर दर्शनार्थियों के लिए कोई मुकम्मल व्यवस्था ना होने के कारण उनकी आस्था न केवल आहत हुई, बल्कि वह यहां की व्यवस्थाओं को कोंसते हुए नजर आए।
विंध्य क्षेत्र की पहाड़ियों पर गुंडों-बदमाशों का रहता है खौफ
हाल के महीनों में जिस प्रकार विंध्य क्षेत्र की पहाड़ियों मसलन अष्टभुजा, काली-खो, सीताकुंड इत्यादि मार्गों, स्थानों पर अपराधियों की धमक बढ़ी है। इसका सीधा असर दर्शनार्थियों के आवागमन पर भी देखा जा रहा है। विंध्य क्षेत्र की पहाड़ियों को बाहरी अपराधियों की शरण स्थली कहा जाता है, इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है। पिछले महीने बिहार के अपराधियों की यहां धमक सुनाई देने के साथ ही गोली चलने की भी घटना सामने में आ चुकी है। कुछ शातिर किस्म के लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था। ऐसे में यहां सुरक्षा व्यवस्था का घोर अभाव नजर आता है। कहने को भले ही पुलिस चौकी की स्थापना की गई है लेकिन वह पर्याप्त नहीं है। इसी प्रकार विंध्य क्षेत्र की पहाड़ियों पर रात्रि की बात छोड़ दें तो दिन के उजाले में भी अपराधी प्रवृत्ति के लोगों का जमावड़ा देखा जाता है। खुद यहां के साधु-संत और मठ-मंदिरों पर रहने वाले लोग भी दबी जुबान स्वीकार करते हैं।
विंध्य पहाड़ी पर गहराने लगी है पानी की समस्या
धार्मिक आस्था के साथ-साथ पर्यटन और पौराणिक महत्व को समेटे हुए विंध्य क्षेत्र के पहाड़ियों के बीच स्थित सीता कुंड में गर्मी प्रारंभ होने से पूर्व ही पानी की समस्या गहराने लगती है। यह समस्या कोई हाल के दिनों की नहीं है, बल्कि पूर्व के वर्षों से चली आ रही है। बावजूद इसके गर्मी में सीताकुंड मार्ग पर पानी की घोर किल्लत का समाधान आज तक नहीं निकाला जा सका है। कहने को एक तरफ जहां ‘हर घर नल जल’ योजना के तहत पाइप लाइन को विस्तार देते हुए जोर शोर से तैयारी चल रही हैं। बावजूद इसके विंध्य क्षेत्र की पहाड़ियों पर अभी भी मुकम्मल ढंग से पानी की व्यवस्था सुनिश्चित नहीं हो पाई है। जिसका सीधा असर यहां आने वाले तीर्थयत्रियों पर पड़ता है।
पानी की समस्या को देखते हुए उन्हें बोतलबंद पानी पर निर्भर होना पड़ता है। भले ही बोतल बंद पानी आज एक वृहद कारोबार का रूप ले चुका है लेकिन दर्शन की लालसा में आने दूरदराज के तीर्थ यात्रियों के लिए यह एक लूट का कारोबार ही कहा जाएगा। ऐसे में सवाल उठता है कि विंध्य क्षेत्र की पहाड़ियों पर पानी की मुकम्मल व्यवस्था ना होना आखिरकार किसकी कमी है?
आजमगढ़ के गंभीरपुर से दर्शन पूजन के लिए विंध्याचल आए धर्मेंद्र कुमार का कहना है कि “वह बेटे का मुंडन संस्कार कराने के लिए विंध्याचल देवी धाम आए हुए थे। परिवार के साथ दर्शन-पूजन करने के पश्चात विंध्य महात्म्य के अनुसार उन्होंने त्रिकोण पथ काली-खो, अष्टभुजा का दर्शन पूजन करने के साथ ही साथ सीता कुंड का भी लगे हाथ भ्रमण करना चाहा, लेकिन यहां सड़क और पानी की बदहाल दशा को देखकर मन काफी व्यथित हो उठा है”
स्थानीय लोगों को भी चुभती हैं समस्याएं
विंध्य क्षेत्र के दर्शनीक स्थलों में सीता कुंड की दुर्दशा और उपेक्षा को लेकर स्थानीय लोगों में भी आक्रोश है। सीताकुंड मार्ग की दुर्दशा और यहां की समस्याओं पर अकोढ़ी गांव निवासी बृजेश कुमार कहते हैं कि “विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी धाम क्षेत्र में स्थित सीताकुंड मार्ग पर पानी की बड़ी समस्या है। सड़क की बदहाली ऐसी है कि नूकीले पत्थर भक्तों के पैरों में कांटे बनकर चुभ रहे हैं। नवरात्र के दिनों में जीर्णोद्धार की आस लगी हुई थी, लेकिन नवरात्र बीतने के बाद आस निराश हो चुकी है।” वह व्यथित लहजे में सवाल दागते हैं कि “वाह रे नवरात्र की तैयारी और वाह रे संबंधित अधिकारी, जिन्हें चैत्र नवरात्रि की तैयारी के दौरान जरा भी सीता कुंड की बदहाल व्यवस्था नजर नहीं आई।”
पत्रकार गणेश दुबे सीताकुंड मार्ग की उपेक्षा पर अपनी प्रतिक्रिया में कहते हैं कि “बेशक मां विंध्यवासिनी धाम क्षेत्र में इस बार जिला प्रशासन द्वारा कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं जो पूर्व के किसी नवरात्र में नहीं किए गए थे, लेकिन विंध्य महोत्सव और गंगा में आतिशबाजी से लेकर नवरात्र मेले को जिस प्रकार से धूमधाम से संपन्न कराने के लिए पानी की तरह पैसा बहाया गया है, उसी प्रकार से सीताकुंड मार्ग का जीर्णोद्धार कराने के साथ-साथ वहां सड़क-बिजली, पानी की मुकम्मल व्यवस्था भी सुनिश्चित कराना चाहिए था, ताकि यहां आने वाले दर्शनार्थियों को इन समस्याओं से न जूझना पड़ता।”
(मिर्जापुर से संतोष देव गिरि की रिपोर्ट)