इंडिजिनस नेविगेटर: आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाने का प्रयास

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रांची। विमेन एंड जेंडर रिसोर्स सेंटर (WGRC) और आदिवासी विमेन नेटवर्क के तत्वावधान में बुधवार को रांची के गोस्नर चर्च कम्पाउंड में एचआरडीसी कार्यालय में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में झारखंड के विभिन्न जिलों गुमला, खूंटी, सिमडेगा, सरायकेला-खरसावां और बोकारो से आए प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी रही।

कार्यक्रम का संचालन इंडिजिनस नेविगेटर इंडिया चैप्टर की समन्वयक एलिना होरो द्वारा किया गया। इस अवसर पर एलिना होरो ने बताया कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य आदिवासी समुदायों को उनके अधिकारों और कल्याण के संबंध में व्यवस्थित रूप से डेटा एकत्र करने और विश्लेषण करने के लिए आवश्यक उपकरण Indigenous navigator के बारे विस्तृत जानकारी साझा करना था। यह पहल इंडिजिनस नेविगेटर के व्यापक मिशन का हिस्सा है, जो संयुक्त राष्ट्र के आदिवासी लोगों के अधिकारों पर घोषणा (यूएनडीआरआईपी) और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) जैसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ संरेखित होकर, आदिवासी समुदायों को उनकी स्थिति की जानकारी और निगरानी करने में सहयोग करता है।

एलिना होरो ने बताया कि इंडिजिनस नेविगेटर एक सहयोगात्मक प्रयास है, जिसे दुनिया भर के आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाने के लिए आदिवासियों द्वारा ही डिज़ाइन किया गया है। यह पहल समुदायों को व्यापक डेटा संग्रह उपकरण प्रदान करके उन्हें स्वास्थ्य, शिक्षा, भूमि अधिकारों और सांस्कृतिक संरक्षण सहित विभिन्न क्षेत्रों में उनकी स्थितियों का आकलन और सुधार करने में सक्षम बनाती है। यह डेटा-चालित दृष्टिकोण न केवल स्थानीय स्वामित्व और सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है बल्कि स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर नीति वकालत प्रयासों को भी मजबूत करता है।

एलिना होरो ने ऐसी कार्यशालाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला जो आदिवासी समुदायों में स्वामित्व और सशक्तिकरण की भावना को बढ़ावा देती हैं। उन्होंने कहा, इंडिजिनस नेविगेटर के साथ सहयोग करके, हम अपने समुदायों को उनके अधिकारों की वकालत करने और उनके समग्र कल्याण में सुधार के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान प्रदान करना चाहते हैं।

कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों ने इन उपकरणों का उपयोग करने पर व्यावहारिक प्रशिक्षण सत्रों में भाग लिया, जिससे उन्हें डेटा संग्रह प्रक्रिया और डेटा आधारित समुदाय के लिए कार्य करने में इसके महत्व के बारे में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्राप्त हुई। इन व्यावहारिक सत्रों ने प्रभावी नीति परिवर्तनों और सतत विकास के लिए समुदाय-चालित डेटा के महत्व पर जोर दिया।

(झारखंड से विशद कुमार की रिपोर्ट)

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