‘झारखंड संविधान जागरण यात्रा’: आदिवासी जीवन दर्शन से सभ्य लोगों को सीख लेने की जरूरत

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खूंटी, झारखंड। बिरसा मुण्डा के शहादत दिवस के अवसर पर 9 जून से 10 दिनों तक चली “झारखंड संविधान जागार जतरा” (झारखंड संविधान जागरण यात्रा) का समापन 18 जून को खूंटी जिला मुख्यालय स्थित उर्ससुलाई बालिका विद्यालय के सभागार में किया गया। जिसमें वक्ताओं ने कहा कि आदिवासी जीवन दर्शन से दुनिया के कथित सभ्य लोगों को सीख लेने की जरूरत है।

कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि संविधान की 5वीं अनुसूची के प्रावधान में आदिवासी इलाकों के निवासियों की स्थानीय स्वशासन व्यवस्था को संवैधानिक मान्यता है। वहीं अनुच्छेद 25 सभी को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करता है जिसमें भारत के नागरिक होने के नाते किसी भी धर्म को मानने की स्वतंत्रता है। लेकिन सरकारों द्वारा नागरिकों को इन अधिकारों से वंचित करने की पुरजोर कोशिशें की जा रही हैं।

उल्लेखनीय है कि आजादी के मात्र साढ़े चार महीने बाद ही पहली जनवरी 1948 में खरसावां हाट बाजारटांड़ में पुलिस फायरिंग में हजारों लोग मारे गए थे। जिसे आजाद भारत का जलियांवाला बाग हत्याकांड की संज्ञा दी गई है। कितने लोग उस गोली कांड में शहीद हुए थे, यह आज भी रहस्य बना हुआ है। लाशों को ट्रकों पर लादकर दूर-दराज के जंगलों में फेंक दिया गया था।

आज जहां शहीद स्थल बना हुआ है, पहले वहां एक कुंआ हुआ करता था। पुलिस फायरिंग में मारे गये आदिवासियों के शवों को ओड़िसा पुलिस ने पहले उस कुंआ में डाला था, जब कुआं शवों से भर गया, तब जाकर लाशों को अन्यत्र ठिकाने लगाया गया। इसी से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस गोलीकांड में कितने लोग शहीद हुए होंगे।

एक तरफ जहां पूरी दुनिया पहली जनवरी को नए वर्ष का जश्न मनाती है, वहीं झारखंड के खरसावां का आदिवासी समुदाय एक जनवरी को ‘काला दिवस’ के रूप में मनाता है। हर साल एक जनवरी को खरसांवा के शहीद स्थल पर शहीदों को याद किया जाता है और श्रद्धासुमन अर्पित किया जाता है।

खरसांवा के इसी शहीद स्थल से “झारखण्ड संविधान जागार जतरा” 9 जून से प्रारंभ होकर खूंटी पहुंचा और खूंटी जिला मुख्यालय स्थित उर्ससुलाई बालिका विद्यालय के सभागार में एक समारोह में तब्दील हो गया।

समारोह में खरसांवा, पश्चिम सिंहभूम एवं सिमडेगा जिले के 20 प्रखंडों, 100 से अधिक ग्राम सभाओं, स्कूलों, प्रखण्ड, पंचायत, थाना जैसे सरकारी कार्यालयों में भारतीय संविधान में निहित मूल्यों, मौलिक अधिकारों, नागरिक कर्त्तव्यों और आदिवासियों की स्वशासन व्यवस्था की 5वीं अनुसूची पर विस्तारपूर्वक बातचीत की गई।

कार्यक्रम की शुरुआत खूंटी स्थित शहीद भगत सिंह चौक पर स्थापित भगत सिंह की मूर्ति पर माल्यार्पण के बाद की गयी। उसके बाद वहां उपस्थित जन-समूह बैनर तथा हाथों में तिरंगा लिए रैली की शक्ल में उर्सुलाईन बालिका विद्यालय स्थित सभागार पहुंचा।

सभागार में कार्यक्रम से पहले शहीद बिरसा मुण्डा की प्रतिमा पर लोगों द्वारा पुष्पांजलि अर्पित की गई। पुष्पांजलि अर्पण के बाद संविधान निर्माण की प्रक्रिया पर बनी डोक्युमेंट्री फिल्म दिखाई गई। उसके बाद आदिवासी परामर्शदात्री परिषद के पूर्व सदस्य रतन तिर्की की अगुवाई में सामूहिक रूप से संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया गया।

इस अवसर पर “संविधान जागार जतरा” के संयोजक मण्डल के सदस्य प्रभाकर तिर्की ने कहा कि इस जतरा (यात्रा) का मुख्यतः तीन उद्देश्य हैं। पहला नयी पीढ़ी को संविधान की महत्ता से अवगत कराना, दूसरा ग्राम सभा पदाधारियों एवं तमाम जनप्रतिनिधियों को उनके संवैधानिक अधिकारों की जानकारियों से लैश करना और तीसरा सरकारी कर्मियों, गैरसरकारी संस्था के प्रतिनिधियों और अन्य सभी सेवा प्रदाताओं को उनके संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करने के प्रति सचेत करना है।

तिर्की ने जोर देकर कहा कि संविधान में 5वीं अनुसूची का प्रावधान है, जो उन इलाकों के निवासियों की स्थानीय स्वशासन व्यवस्था को संवैधानिक मान्यता देता है।

समारोह को संबोधित करते हुए जतरा से जुड़े तारामणि ने कहा कि अनुच्छेद 25 हमें धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करता है अर्थात हम भारत के नागरिक होने के नाते किसी भी धर्म को मानने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन पिछले दिनों झारखण्ड में हमारे नागरिकों को इन अधिकारों से वंचित करने की पुरजोर कोशिशें सरकारों द्वारा की गई।

जतरा में शामिल सदस्य जेम्स हेरेंज ने कहा कि आज दुनिया जलवायु संकट जैसे गंभीर चुनौतियों से जूझ रही है। इसका समाधान संविधान के अनुच्छेद 48 (क) में निहित है और आदिवासी समुदाय सदियों से अपने प्राकृतिक संसाधनों को बचाने में लगा हैं अर्थात वे संविधान को गहराई से अध्ययन नहीं किये हैं, बावजूद इसके संवैधानिक मूल्यों के हिसाब से वे स्वयं को आत्मसात कर लिए हैं। उनको ऐसे कुछ मामलों में संविधान पढ़ाने की जरुरत नहीं है, लेकिन उनके जीवन दर्शन से दुनिया के कथित सभ्य लोगों को सीख लेने की जरूरत है।

कार्यक्रम के दौरान उपस्थित जन-समूह को संविधान की प्रस्तावना की कॉपी दी गई। साथ ही यह बताया गया कि इसे फ्रेम कराकर अपने घरों में सुरक्षित रखा जाना चाहिए। कार्यक्रम में मौजूद सरकारी अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों को प्रस्तावना की प्रति देते हुए अपील की गई कि वे इसे अपने अपने कार्यालयों में फ्रेम करके रखें।

इस यात्रा का सबसे सकारात्मक पक्ष यह रहा कि जहां इस यात्रा में आम लोगों की भागीदारी रही वहीं सरकारी विभागों के विभिन्न अधिकारियों ने अपना उत्साह दिखाते हुए कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु आयोजकों का मनोबल बढ़ाया।

समारोह में संविधान जागार जतरा के सदस्य मिथिलेश कुमार, लुईस कुजूर, प्रबल महतो, पुष्कर, आनंद, मंथन, कांग्रेस महिला मोर्चा खूंटी की अध्यक्ष खिरिस्टीना बारला, स्कूल के छात्राएं, विभिन्न जिलों से आये सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे। धन्यवाद ज्ञापन एलेक्स केरकेट्टा ने किया।

(विशद कुमार वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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Ratan Tirkey
Ratan Tirkey
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1 year ago

जोरदार जोहार जोरदार बधाईयां एवं शुभकामनाएं 🌿

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