झारखंड में अटकलों पर विराम, हेमंत संभालेंगे सीएम की कुर्सी

Estimated read time 1 min read

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमानत मिलने और उनके जेल से बाहर आने के बाद राज्य में राजनीतिक समीकरण बदलने को लेकर अटकलों का बाजार उस वक्त थम गया जब इंडिया गठबंधन की बैठक के बाद हेमंत सोरेन को पुनः मुख्यमंत्री बनाए जाने पर सहमति बनी और चंपई सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया।

हेमंत सोरेन को जमीन घोटाला मामले में ईडी ने 31 जनवरी 2024 को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी से पहले हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। हेमंत के इस्तीफा देने के बाद चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुना गया था और उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया था। लेकिन 29 जून 2024 को हाईकोर्ट ने हेमंत सोरेन को राहत देते हुए जमानत दे दी। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ईडी के पास हेमंत सोरेन के खिलाफ कोई सबूत नहीं है।

हेमंत सोरेन को जमानत मिलने और उनके जेल से बाहर आने के बाद राज्य में अटकलों का बाजार गर्म हो गया था। राजनीतिक गलियारे में कई सवालों के बीच एक चर्चा काफी अहम थी कि क्या हेमंत सोरेन फिर से सीएम की कुर्सी पर आसीन होना चाहेंगे?

उल्लेखनीय है कि झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी 2025 को समाप्त होने वाला है। पिछला विधानसभा चुनाव दिसंबर 2019 में हुआ था। इसे लेकर संभावना जताई जा थी कि झारखंड विधानसभा का चुनाव नवंबर या दिसंबर 2024 में होगा।

वहीं खबर आई कि झारखंड विधानसभा चुनाव अक्टूबर के तीसरे हफ्ते में होगा। 10 सितंबर के बाद कभी भी चुनाव की तिथियों की घोषणा हो सकती है। इसके साथ ही राज्य में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो जाएगी। भारत निर्वाचन आयोग ने राज्य निर्वाचन कार्यालय को यह संकेत दे दिया है कि हरियाणा, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर के साथ ही झारखंड विधानसभा का भी चुनाव कराया जाएगा।

हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर, जबकि महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 27 नवंबर को समाप्त हो रहा है। हालांकि झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी तक है, फिर भी इस बार चुनाव साथ कराने की प्रबल संभावना है। वर्ष 2019 में हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव साथ-साथ हुए थे, मगर झारखंड विधानसभा चुनाव अलग हुआ था। राज्य निर्वाचन कार्यालय इन तीनों राज्यों के समानांतर ही झारखंड में भी चुनाव की तैयारियों में जुट गया है।

उल्लेखनीय है कि मतदान से कम से कम 45 दिन पहले चुनाव की घोषणा करने का नियम है। चूंकि हरियाणा में 31 अक्टूबर तक चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर लेना है, ऐसे में 45 दिन का समय देने के लिए 10 सितंबर से 15 सितंबर तक का समय उपयुक्त होगा।

रिप्रजेंटेंशन ऑफ पीपुल्स एक्ट के मुताबिक भारत निर्वाचन आयोग नियत समय के छह महीने के अंदर कभी भी चुनाव करा सकता है। इस संदर्भ में राज्य सरकार कोई अड़चन नहीं डाल सकती है। झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी को समाप्त होगा, ऐसे में 5 जुलाई से लेकर 5 जनवरी के बीच चुनाव कराने पर राज्य सरकार आपत्ति नहीं कर सकती।

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रवि कुमार ने कहा कि “भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश के मुताबिक काम हो रहा है। हम विधानसभा चुनाव के लिए तैयार हैं। प्रशिक्षण का काम शुरू हो चुका है। पिछले विधानसभा चुनाव में अक्टूबर में वोटर लिस्ट का अंतिम प्रकाशन हुआ था, इस बार यह अगस्त में ही पूरा हो जाएगा। ऐसे में हम काफी आगे चल रहे हैं। वोटर लिस्ट के अंतिम प्रकाशन के बाद चुनाव के बचे अन्य काम भी पूरे कर लिए जाएंगे।”

ऐसे में कई सवालों के बीच एक सवाल अहम हो जाता है कि क्या तीन महीने के लिए हेमंत सोरेन का मुख्यमंत्री पद पर आसीन होना सही रहेगा?

कहना ना होगा कि जहां एक तरफ चंपई सोरेन के इस्तीफ़े के बाद पार्टी में चंपई सोरेन के लोगों में उदासीनता आई है लेकिन वे खुल कर इसपर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं कर सकते। वहीं दूसरी तरफ भाजपा कोई बड़ा दाव चलने की फिराक में है।

संभावना जताई जा रही है कि हेमंत सोरेन को पुनः मुख्यमंत्री बनने कि संभावना के मद्देनजर चुनाव आयोग केन्द्र के इशारे पर दो महीना पहले ही राज्य में चुनाव की तैयारी में तो नहीं जुट गया है?

कई अनुत्तरित सवाल हैं जिसके जवाब राजनीतिक गलियारे में कौंध रहे हैं। इन कई सवालों के बीच एक सवाल यह भी उठ रहा है कि हेमंत सोरेन के फिर से कुर्सी पर काबिज होने से हो सकता है कि झामुमो के भीतर बिखराव हो जाए। अगर ऐसा होता है तो विधानसभा चुनाव में झामुमो को काफी नुकसान होगा।

यह संभावना खारिज होती इसलिए दिख रही है कि रांची के कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास में पिछले 3 जुलाई को हुई सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायक दल की बैठक में हेमंत सोरेन को एक बार फिर विधायक दल का नेता चुन लिया गया और चंपई सोरेन को समन्वय समिति का चेयरमैन बनाने का निर्णय लिया गया। वहीं उसी दिन शाम में हेमंत सोरेन और चंपई सोरेन राज्यपाल भवन गए और वहां पहुंचकर चंपई सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं दूसरी तरफ हेमंत सोरेन ने तुरंत सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। अब हेमंत सोरेन राज्य के 13वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे।

विधायक दल की बैठक में कांग्रेस के झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर और झारखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश कुमार ठाकुर, विधायक प्रदीप यादव, सत्यानंद भोक्ता, विनोद कुमार सिंह सहित गठबंधन के सभी घटक दलों झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के विधायक शामिल थे। विधायक दल की बैठक में शामिल होने के लिए गुलाम अहमद मीर और राजेश ठाकुर विशेष रूप से दिल्ली से रांची पहुंचे थे।

ऐसे में संभावना यह है कि झामुमो अपने आप को झारखंड में और ज्यादा मजबूत करने की रणनीति पर फोकस करेगा।

हेमंत के जेल से बाहर आते ही झामुमो की राज्यसभा सदस्य महुआ माजी ने कहा था “अब हेमंत सोरेन जब बाहर आ चुके हैं तो हमारा गठबंधन चाहता है कि वह फिर से सीएम बने और चंपई सोरेन की भी यही इच्छा है।”

(झारखंड से विशद कुमार की रिपोर्ट)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author