नई दिल्ली। एक गैर सरकारी संगठन के लगभग 40 लोगों ने सोमवार 29 जनवरी की शाम अंतरराष्ट्रीय कलकत्ता पुस्तक मेला स्थल पर प्रदर्शन किया। उनका आरोप है कि पुलिस ने उन्हें सड़क पर रहने वाले बच्चों से जुड़ी “सामाजिक गतिविधियां” नहीं करने दी।
बिधाननगर पुलिस कमिश्नरेट के एक अधिकारी ने कहा कि कुछ लोग पुस्तक मेला मैदान में लिटिल मैगजीन मंडप के सामने शाम 7 बजे के आसपास इकट्ठे हुए और पुलिस और कार्यक्रम अधिकारियों के खिलाफ नारे लगाने लगे जिससे मेले में आने वालो लोगों के बीच तनाव पैदा हो गया।
उन्होंने बताया कि पुलिस ने एनजीओ के सदस्यों को रिहा करने से पहले लगभग 20 आंदोलनकारियों को कुछ समय के लिए अपने नियंत्रण कक्ष में रखा।
एनजीओ ‘अमर पाठशाला’ के सदस्यों ने दावा किया कि वे 28 जनवरी को एक कार्यक्रम के लिए सड़क पर रहने वाले कई बच्चों को मेला मैदान में लाए थे, लेकिन पुलिस ने “बिना किसी कारण के” बच्चों को मेले में जाने नहीं दिया।
संगठन के एक प्रवक्ता ने कहा कि “अगर पुस्तक मेला सबका है तो बच्चों के प्रति इतना भेदभावपूर्ण रवैया क्यों?”
वहीं पब्लिशर्स एंड बुकसेलर्स गिल्ड के अध्यक्ष त्रिदीब चटर्जी ने कहा कि मेले के एक कोने में कुछ लोगों ने प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा, “पुस्तक मेला पुस्तक प्रेमियों, बच्चों और सभी वर्गों के लिए एक मंच है।”
अधिकारियों ने कहा कि कुछ युवाओं ने हाल ही में मेला मैदान में गाजा के घटनाक्रम और अयोध्या में राम मंदिर के विरोध में प्रदर्शन किया था लेकिन पुलिस ने उन्हें तितर-बितर कर दिया। चटर्जी ने कहा, “हम नहीं चाहते कि मेला नारेबाजी या राजनीति का अड्डा बन जाए।”
(‘द टेलिग्राफ’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)
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