फ़ैज़ की जयंतीः ‘अब टूट गिरेंगी ज़ंजीरें, अब जिंदानों की खैर नहीं’

उर्दू अदब में फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ का मुकाम एक अजीमतर शायर के तौर पर है। वे न सिर्फ उर्दू भाषियों…

जयंतीः तरक्कीपसंद शायरी में गजल को मुक़ाम दिलाने वाले शायर मजरूह सुलतानपुरी

मैं अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल मगरलोग साथ आते गए और कारवां बनता गया उर्दू अदब में ऐसे बहुत…