Tag: लोकतंत्र
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कवि अटल बिहारी वाजपेयी की कविताओं में नहीं दिखते स्त्री, दलित, वंचित और श्रमिक
‘हिंदू तन-मन, हिंदू जीवन, रग रग हिंदू मेरा परिचय’ ये पंक्तियां भाजपा के सबसे उदार समझे जाने वाले चेहरे अटल बिहारी वाजपेयी की हैं। महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में नाम आने और गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे से संघ के संबंध के खुलासे के बाद से यह संगठन भारतीय जनमानस में खलनायक बन…
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आज़ादी एक अधूरा शब्द नहीं है?
पिछली सदी के आखिरी पहर में अद्वितीय लेखक-पत्रकार राजकिशोर की एक किताब आई थी। उसमें छीजती हुई आज़ादी की चिंता के साथ लिखे उत्कृष्ट और विचारोत्तेजक निबंधों में पहला निबंध ही यही था: ‘आजादी एक अधूरा शब्द है’। इस निबंध में राजकिशोर लिखते हैं, “आज़ादी का एक और अर्थ है असहमति। जो चीजें आदमी की…
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‘जेपी बनते नजर आ रहे हैं प्रशांत भूषण’
कोर्ट के जाने माने वकील और सोशल एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना मामले में दोषी करार दिया है। कोर्ट 20 अगस्त को प्रशांत भूषण की सज़ा पर सुनवाई करेगा। फैसला आने के कुछ घंटों बाद प्रशांत भूषण फेसबुक लाइव पर आए। आल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन यानी आईसा के फेसबुक पेज…
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सोचिये लेकिन, आप सोचते ही कहां हो!
अगर दुनिया सेसमाप्त हो जाता धर्मसब तरह का धर्ममेरा भी, आपका भीतो कैसी होती दुनिया न होती तलवार की धारतेज़ और लंबीन बनती बंदूकेनहीं बेवक्त मरते यमनमें बच्चेरोहंगिया आज अपनेसमुद्र में पकड़ रहे होतेमछलियांईरान आज भी अपनेसमोसे के लिये यादकिया जातासऊदी में लोकतंत्र होताभारत में लोगयूं नफ़रतों की दीवारपर चढ़े न होतेपाकिस्तान न बनतातो फिर…
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बचा-खुचा लंगड़ा लोकतंत्र भी हो गया दफ्न!
आह, अंततः लोकतंत्र बेचारा चल बसा। लगभग सत्तर साल पहले पैदा हुआ था, बल्कि पैदा भी क्या हुआ था। जैसे-तैसे, खींच-खांच कर बाहर निकाला गया था। अविकसित, अपूर्ण, रुग्ण। उम्मीद थी कि एक बार जैसे-तैसे बाहर आ जाएगा और ठीक से देख-रेख होगी तो बाकी रह गया विकास भी पूर्ण हो जाएगा और हमारा लोकतंत्र…
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जम्मू-कश्मीर पर प्रतिबंध के एक सालः जनता पर सरकारी दमन के खिलाफ भाकपा-माले ने मनाया एकजुटता दिवस
मुजफ्फरपुर में भाकपा माले ने पार्टी कार्यालय समेत शहर से गांव तक कश्मीर एकजुटता दिवस मनाया गया। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को खत्म करने, राज्य को भंग करने और वहां के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर जारी हमले के एक साल पूरा होने पर वहां की जनता के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए पोस्टर के…
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राष्ट्रवाद के साथ धर्म भी बन गया है धूर्तों के चेहरे का मुखौटा!
जिस किसी ने भी कहा था कि राष्ट्रवाद धूर्तों की आख़िरी पनाहगाह है, उसे उस दूसरी चोर गुफा का अंदाजा नहीं रहा होगा, जिसे धर्म, रिलिजन या मजहब कहते हैं। कहीं कोई इन दोनों का कॉकटेल बनाने की सवाई धूर्तता में पारंगत हो, तो फिर जो होता है, वह इस पांच अगस्त को होने जा…