किताब में छिपी है गांव की पीड़ा और किसानों का दर्द
लेखक चाहते थे कि पुस्तक प्रसारित हो तो देश में रोज़गारविहीन जन विरोधी विकास नीति पर देशव्यापी बहस छिड़ सकती है और हमारे द्वारा प्रस्तुत [more…]
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