Friday, April 19, 2024

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झारखंड में बिरसा मुंडा स्मारक बना सरकारों की उपेक्षा का शिकार

जलियांवाला बाग (13 अप्रैल 1919 ) से पहले का जलियांवाला बाग, यानी अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता का पहला गवाह बना था, झारखंड के खूंटी जिला अंतर्गत मुरहू प्रखंड का डोंबारी बुरू, जहां आज से ठीक 118 साल पहले 9 जनवरी 1900 को ब्रिटिश सेना-पुलिस...

रानी कमलापति या आदिवासियों का धृतराष्ट्र आलिंगन!

संघी कुनबे को भारत के मुक्ति आंदोलन के असाधारण नायक बिरसा मुण्डा की याद उनकी शहादत के 122वें वर्ष में आयी। अंग्रेजों से लड़ते हुए और इसी दौरान आदिवासी समाज को कुरीतियों से मुक्त कराते हुए महज 24 साल...

बिरसा मुंडा का उलगुलान कंपनीराज के खिलाफ था: दीपंकर

बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर झारखंड के रांची के बगईचा में जुटे देश भर से आये आदिवासी आन्दोलनकारी संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा आयोजित ‘आदिवासी अधिकार कन्वेंशन’ को संबोधित करते हुए भाकपा माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा...

बिरसा मुंडा: 25 साल का जीवन, 5 साल का संघर्ष और भगवान का दर्जा!

भारत के इतिहास में बिरसा मुंडा एक ऐसे आदिवासी नायक हैं जिन्होंने झारखंड में अपने क्रांतिकारी विचारों से उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में आदिवासी समाज की दिशा बदलकर नवीन सामाजिक और राजनीतिक युग का सूत्रपात किया। अंग्रेजों द्वारा थोपे...

अमर शहीद बिरसा मुंडा की विरासत

अमर शहीद बिरसा मुंडा 19 वीं सदी के अंतिम दशक में हुए स्वतंत्रता आंदोलन के महान लोकनायक थे। उनका ‘उलगुलान’ (आदिवासियों का जल-जंगल-जमीन पर दावेदारी का संघर्ष) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास का महत्वपूर्ण अध्याय है। इस आंदोलन ने...

बिरसा मुंडा की शहादत दिवस पर विशेष : “नहीं बदली व्यवस्था, बनी हुई है उलगुलान की जरूरत”

''मैं केवल देह नहीं मैं जंगल का पुश्तैनी दावेदार हूँ पुश्तें और उनके दावे मरते नहीं मैं भी मर नहीं सकता मुझे कोई भी जंगलों से बेदखल नहीं कर सकता उलगुलान! उलगुलान!! उलगुलान!!!'' 'बिरसा मुंडा की याद में' शीर्षक से यह कविता आदिवासी साहित्यकार हरीराम मीणा ने...

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मोदी की गारंटी: भाजपा की जगह मोदी, लोकतंत्र की जगह तानाशाही

मतदान की शुरुआत होने में जब महज पांच दिन बचे थे तब कहीं जाकर मौजूदा सत्ता पार्टी भाजपा ने...