अंततः वोट कबाड़ने और सत्ता में बने रह कर अपनों को रेवड़ियां बांटने के लिये आखरी पांसा भी फेंक दिया…
सर के हिजाब न देख, उनका जज़्बा देख
जब घर से निकल के एहतेजाज ज़रूरी हो तब क्यों ऐसे में हिजाब पे ऐतराज ज़रूरी हो इन पंक्तियों का…
अंततः वोट कबाड़ने और सत्ता में बने रह कर अपनों को रेवड़ियां बांटने के लिये आखरी पांसा भी फेंक दिया…
जब घर से निकल के एहतेजाज ज़रूरी हो तब क्यों ऐसे में हिजाब पे ऐतराज ज़रूरी हो इन पंक्तियों का…