यह सन् 1998 की बात है। तब मैं प्रकाशन विभाग से निकलने वाली उर्दू मैगजीन आज कल में सब एडिटर था और मेरे संपादक थे शम्सुर्रहमान फारूकी के भाई महबूब रहमान फारूकी साहब। तब शम्सुर्रहमान साहब का एक मजमून...
(जॉक लकान के मनोविश्लेषण के सिद्धांतों पर केंद्रित एक विमर्श की प्रस्तावना)
मनस्तात्विक विश्लेषण की एक संक्षिप्त शास्त्रीय पृष्ठभूमि
जब भी हम आदमी के मन या चित्त की कल्पना करते हैं, हमें उसका शुद्ध रूप एक अनादि, अनंत, अपौरुषेय शून्य ही...