ढाई आखर : सिनेमा की एक अर्थवान भाषा गढ़ने की कोशिश
हिन्दी में ऐसी बहुत कम फ़िल्में बनती हैं जिन्हें देखते हुए उसी सर्जनात्मकता और सौन्दर्य-बोध का एहसास होता है जो उत्कृष्ट साहित्य को पढ़ने से [more…]
हिन्दी में ऐसी बहुत कम फ़िल्में बनती हैं जिन्हें देखते हुए उसी सर्जनात्मकता और सौन्दर्य-बोध का एहसास होता है जो उत्कृष्ट साहित्य को पढ़ने से [more…]