Thursday, March 30, 2023

Dalit Literature

दलित लेखन : इतिहास की पुनर्व्याख्या

भारतीय समाज आदिकाल से ही वर्ण व्यवस्था द्वारा नियंत्रित रहा है। ऐसा माना जाता है कि जो वर्ण व्यवस्था प्रारंभ में कर्म पर आधारित थी कालान्तर में जाति में परिवर्तित हो गई। वर्ण ने जाति का रूप कैसे धारण...

‘दलित साहित्य’ ही कहना क्यों जरूरी?

बीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में दलित समाज की वेदना और उत्पीड़न को दलित साहित्य के माध्यम से दुनिया के समक्ष लाने का महत्वपूर्ण कार्य हुआ है। पिछली सदी के सातवें दशक में ‘दलित साहित्य’ का हिंदी पट्टी में शुरुआती...

निर्णायक और नेतृत्वकारी भूमिका में रहे हैं प्रेमचंद के स्त्री पात्र

विवादों के कारण ही सही प्रेमचंद का साहित्य फिर से ज़ेरे बहस है। दलित साहित्य के लेखकों ने उनके साहित्य को सहानुभूति का साहित्य कहा है, लेकिन स्त्री लेखन की ओर से अभी कोई गंभीर सवाल नहीं उठाया गया...

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मनरेगा को मारने की मोदी सरकार की साजिशों के खिलाफ खेग्रामस करेगा देशव्यापी आंदोलन, 600 रु दैनिक मजदूरी की मांग

पटना 30 मार्च 2023। अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के उपरांत...