Tuesday, September 26, 2023

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धीमे-धीमे तेज से तेजतर होते हुए तीव्रतम होती नफरती की आँधी

70 के दशक में तब की जनता सरकार के विदेश मंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी, कहा जाता है कि, प्रोटोकॉल तोड़कर दुनिया के मशहूर शायर फैज़ अहमद फैज़ से मिलने उनके घर गए थे। फैज़ से मुलाक़ात...

जन्मदिन पर विशेष: फ़ैज की गजलों से कांप उठती थी सत्ता की रूह

मुझसे पहली सी मुहब्बत मेरी महबूब न माँग मैंने समझा था के तू है तो दरख्शाँ है हयात तेरा ग़म है तो ग़म-ए-दहर का झगड़ा क्या है तेरी सूरत से है आलम में बहारों को है सबात तेरी आँखों के सिवा दुनिया में...

फ़ैज़ की पुण्यतिथि पर विशेष: कैद भी नहीं कैद कर सकी जिसके सपनों की उड़ान

1955 में फ़ैज़ ने, जो 1951 से ही मोंटगोमरी जेल में राजद्रोह की गतिविधियों के आरोप में क़ैद थे, नज़्म आ जाओ अफ्रीका लिखी थी। यह नज़्म उस जुमले पर आधारित थी जो उन्होंने अफ्रीका के उपनिवेश-विरोधी बाग़ियों से उनके उत्साहवर्धक...

फैज को न इस्लाम पचा सकता है और न हिंदू खारिज कर सकता है!

(पाकिस्तान में कभी जनरल ज़ियाउल हक़ की सैन्य सरकार को उखाड़ फेंकने के आह्वान का प्रतीक बनी मशहूर शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की नज़्म `हम देखेंगे` ने इन दिनों हिन्दुस्तान के शासकों को बेचैन कर रखा है। आईआईटी, कानपुर...

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जन्मशती विशेष: याद आते रहेंगे देव आनंद

देव आनंद ज़माने को कई फिल्मी अफसाने दिखा कर गुजरे। उनका निजी जीवन भी किसी फिल्मी अफसाने से कम...