अलविदा आग़ा साहब ! फासीवादी ताकतों की आहट बारीकी से सुनने वाली एक क़लम ख़ामोश

मुख्यधारा के वरिष्ठ पत्रकार ज़फ़र आग़ा नहीं रहे। फासीवादी ताकतों की आहट बारीकी से सुनने वाली एक और सशक्त क़लम…

फासीवादी ताकतें बिना ‘जनयुद्ध’ के राजसत्ता से बेदखल नहीं होती हैं

इतिहास की गवाही है कि अभी की सहस्त्राब्दी की किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में फासीवादी ताकतें किसी भी देश की…