Tag: film

  • ‘मैं उनके गीत गाता हूं, जो शाने पर बगावत का अलम लेकर निकलते हैं’

    ‘मैं उनके गीत गाता हूं, जो शाने पर बगावत का अलम लेकर निकलते हैं’

    जां निसार अख्तर, तरक्कीपसंद तहरीक से निकले वे हरफनमौला शायर हैं, जिन्होंने न सिर्फ शानदार ग़ज़लें लिखीं, बल्कि नज़्में, रुबाइयां, कितआ और फिल्मी नगमें भी उसी दस्तरस के साथ लिखे। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 18 फरवरी, 1914 को जन्मे सैय्यद जां निसार हुसैन रिजवी उर्फ जां निसार अख्तर को शायरी विरासत में मिली। उनके…

  • मुक्ति कामना का प्रतीक ‘द व्हाइट टाइगर’

    मुक्ति कामना का प्रतीक ‘द व्हाइट टाइगर’

    एक सफेद शेर है जो पिंजरे में कैद है और उसकी बेचैनी, उसका गुस्सा और उसकी तड़प- सब एक तरफ और दुनिया के झंझट और मुसीबतें एक तरफ,  अरविंद अडिगा के उपन्यास पर आधारित फिल्म “द व्हाइट टाइगर” को हिंदी में देखना सुखद था, मूल फ़िल्म यद्यपि अँग्रेजी में है पर डबिंग और डायलॉग डिलीवरी…

  • फिल्म इंडस्ट्री के बड़े-बड़े धुरंधर किसान आंदोलन पर चुप हैं: नसीरुद्दीन शाह

    फिल्म इंडस्ट्री के बड़े-बड़े धुरंधर किसान आंदोलन पर चुप हैं: नसीरुद्दीन शाह

    (नसीरुद्दीन शाह। भारत के जीवित कलाकारों में सबसे बड़ा नाम। इनकी समझदारी भरी संवेदनशीलता हमें अक्सर रास्ता दिखाती आई है। पिछले कई दिनों से नसीर साहब अपने बयानों को लेकर काफी चर्चा में रहे हैं। उनसे बात की जमील गुलरेज ने। प्रस्तुत है पूरी बातचीत : संपादक) प्रश्न: लॉकडाउन कैसा गुजरा?नसीरुद्दीन शाह: सच्ची मुझे बहुत ज्यादा…

  • बेहद मौजू हो गई है चार्ली चैप्लिन की फिल्म ‘द ग्रेट डिक्टेटर’

    बेहद मौजू हो गई है चार्ली चैप्लिन की फिल्म ‘द ग्रेट डिक्टेटर’

    प्रख्यात फ़िल्म अभिनेता, चार्ली चैप्लिन की  आज पुण्यतिथि है। चार्ली विश्व सिनेमा के एक महानतम अभिनेता रहे हैं। उनका निधन, 25 दिसंबर 1977 को हुआ था। वे कहते थे, हंसे बिना, गुज़ारा हुआ एक दिन, बरबाद हुए एक दिन के बराबर है। कॉमेडी के लीजेंड कहे जाने वाले इस महान कलाकार की प्रतिभा को एक…

  • फिल्म श्रमजीवीः मजदूरों की जिंदगी का दर्द भरा दस्तावेज

    फिल्म श्रमजीवीः मजदूरों की जिंदगी का दर्द भरा दस्तावेज

    यह सिलाई मशीन चलने की आवाज़ है। लगता है कि इसमें रेल की आवाज़ की अनुगूंज घुली हुई है। फ़िल्म `वस्त्र उद्योग` (टैक्सटाइल एंड गारमेंट इंडस्ट्री) के मज़दूरों पर केंद्रित है, तो सिलाई मशीनों की आवाज़ें आनी ही है। बात अपने ही देश में प्रवासी कहे जाने वाले मज़दूरों की है, तो मशीन और रेल…

  • सबा दीवान और राहुल रॉय की फिल्मों का आज से ऑनलाइन समारोह

    सबा दीवान और राहुल रॉय की फिल्मों का आज से ऑनलाइन समारोह

    नई दिल्ली। फिल्म निर्माताओं के एक समूह और पांच फिल्म कलेक्टिव ने मिलकर फिल्म निर्माताओं सबा दीवान और और राहुल रॉय की डॉक्यूमेंट्री को दिखाने के लिए एक ऑन लाइन समारोह का आयोजन किया है। गौरतलब है कि दीवान और रॉय की फरवरी दंगा मामले में दिल्ली पुलिस जांच कर रही है। वह जांच जिसके…

  • गुरु गंभीर भाषा के दंश का शिकार ‘गंभीर आदमी’ !

    गुरु गंभीर भाषा के दंश का शिकार ‘गंभीर आदमी’ !

    कल मनु जोसेफ के पहले उपन्यास पर आधारित सुधीर मिश्रा की फिल्म, भारत सरकार के एक वैज्ञानिक आचार्या के अनुसूचित जाति के क्लर्क अय्यन मणि की कुंठाओं की त्रासदी की कहानी की फिल्म ‘सीरियस मेन’ देखी ।  अय्यन मणि तमिलनाडु के एक गांव के बेहद गरीब और वंचित दलित परिवार से मुंबई में सरकारी नौकरी…

  • दिनेश ठाकुर, थियेटर जिनकी सांसों में बसता था

    दिनेश ठाकुर, थियेटर जिनकी सांसों में बसता था

    हिंदी रंगमंच में दिनेश ठाकुर की पहचान शीर्षस्थ रंगकर्मी, अभिनेता और नाट्य ग्रुप ‘अंक’ के संस्थापक, निर्देशक के तौर पर है। दिनेश ठाकुर के नाट्य ग्रुप ‘अंक’ का सफर साल 1976 में शुरू हुआ था जो उनके इस दुनिया से जाने के आठ साल बाद भी जारी है। रंगमंच हो, टेलीविजन या फिर सिनेमा हर…

  • जयंती पर विशेष: खुमार बाराबंकवी, जिनकी शायरी का खुमार आज भी दिल से उतारे नहीं उतरता

    जयंती पर विशेष: खुमार बाराबंकवी, जिनकी शायरी का खुमार आज भी दिल से उतारे नहीं उतरता

    खुमार बाराबंकवी का शुमार मुल्क के उन आलातरीन शायरों में होता है, जिनकी शानदार शायरी का खुमार एक लंबे अरसे के बाद भी उतारे नहीं उतरता है। एक दौर था जब खुमार की शायरी का नशा, उनके चाहने वालों के सिर चढ़कर बोलता था। जिन लोगों ने मुशायरों में उन्हें रु-ब-रु देखा-सुना है या उनके…

  • निरंकुश मर्दानगी का वीभत्स रूप पेश कर रही हैं कंगना

    निरंकुश मर्दानगी का वीभत्स रूप पेश कर रही हैं कंगना

    कंगना राणावत के सन्दर्भ में महिला होने की दुहाई हास्यास्पद है। वे निरंकुश मर्दानगी का वीभत्स रूप प्रस्तुत कर रही हैं। मुंबई को पाक अधिकृत कश्मीर कहना, अपने दफ्तर को राम मंदिर और उस पर बाबर के हमले जैसे रूपक पेश करना, न केवल अति हिंसक भाषा है बल्कि इसमें दक्षिणपंथी राजनीति द्वारा घृणा और…