जोश साहब से पहली मुलाकात साल 1936 में हुई, जब तरक़्क़ीपसंद मुसन्निफ़ीन की पहली कॉन्फ्रेंस के दौरान उस अंजुमन की…
जन्मदिवस पर विशेष: सांप्रदायिक राज्य अपने ही सहधर्मियों को ले डूबेगा- फ़िराक़ गोरखपुरी
फ़िराक़ गोरखपुरी हालांकि अपनी ग़ज़लों और मानीख़ेज़ शे’र के लिए जाने जाते हैं, मगर उन्होंने नज़्में भी लिखी। और यह…
फिराक की पुण्यतिथिः हिंदुस्तान के माथे का टीका और उर्दू ज़बान की आबरू
‘‘एक उम्दा मोती, खु़श लहजे के आसमान के चौहदवीं के चांद और इल्म की महफ़िल के सद्र। ज़हानत के क़ाफ़िले…